वर्ष का तेरहवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

उत्पत्ति-ग्रन्थ 27:1-5,15-29

याकूब अपने भाई एसाव का आशीर्वाद प्राप्त करता है।

इसहाक बुड्ढा हो गया और उसकी आँखें इतनी कमजोर हो गयीं कि वह देख नहीं पाता था। उसने अपने ज्येष्ठ पुत्र एसाव को बुलाया और कहा, "बेटा!" एसाव ने उत्तर दिया, "क्या आज्ञा है?" इसहाक ने कहा, "तुम देखते ही हो कि मैं बुड्ढा हो गया हूँ। न जाने कब तक जीवित रहूँगा। तुम अपने हथियार, अपना तरकश और अपना धनुष ले कर जाओ और मेरे लिए शिकार ले आओ। तब मेरी पसन्द का स्वादिष्ट भोजन बना कर मुझे खिलाओ। मैं मरने से पहले तुम्हें आशीर्वाद देना चाहता हूँ।" रिबेका इसहाक और उसके पुत्र एसाव की बातचीत सुन रही थी। रिबेका ने अपने ज्येष्ठ पुत्र के उत्तम वस्त्र, जो घर में उसके पास थे, ले लिये और अपने कनिष्ठ पुत्र याकूब को पहनाये। उसने उसके हाथ और चिकनी गरदन पर बकरी का चमड़ा पहना दिया। तब उसने अपने द्वारा पकाया भोजन और रोटी अपने पुत्र याकूब के हाथ में दे दी। उसने अपने पिता इसहाक के पास जा कर कहा, "पिता जी !” उसने उत्तर दिया, "हाँ, बेटा ! तुम कौन हो?" याकूब ने अपने पिता से कहा, "मैं आपका पहलौठा एसाव हूँ। मैंने वही किया, जो आपने कहा था। कृपा करके आइए, बैठ कर मेरा शिकार खाइए और मुझे आशीर्वाद दीजिए।" इसहाक ने अपने पुत्र से कहा, "बेटा ! तुम को कैसे यह इतने जल्दी मिल गया?" उसने उत्तर दिया, "यह प्रभु, आपके ईश्वर, की कृपा है।" इसहाक ने याकूब से कहा "बेटा ! मेरे पास आओ। मैं टटोल कर जान लेना चाहता हूँ कि तुम सचमुच मेरे पुत्र एसाव हो।" याकूब अपने पिता इसहाक के पास आया। इसने उसे टटोल कर कहा, "आवाज तो याकूब की है, लेकिन हाथ एसाव के हैं।" वह याकूब को नहीं पहचान पाया, क्योंकि उसके हाथ उसके भाई एसाव के हाथों की तरह रोयेंदार थे और इसलिए उसने उसे आशीर्वाद दिया। उसने कहा, "क्या तुम सचमुच मेरे पुत्र एसाव हो?" उसने उत्तर दिया, "हाँ, मैं वही हूँ।" तब इसहाक ने कहा, "मुझे अपना शिकार ला कर खिलाओ और मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।" याकूब भोजन लाया और इसहाक खाने लगा। इसके बाद उसने अंगूरी ला कर इसहाक को पिलायी। तब उसके पिता इसहाक ने कहा, "बेटा ! आओ और मुझे चुम्बन दो।" उसने अपने पिता के पास आ कर उसका चुम्बन किया। इसहाक को उसके वस्त्रों की गन्ध मिली और उसने यह कहते हुए उसे आशीर्वाद दिया, "ओह! मेरे पुत्र की गन्ध उस भूमि की गन्ध जैसी है, जिसे प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त है। ईश्वर तुम्हें आकाश की ओस, उपजाऊ भूमि और भरपूर अन्न तथा अंगूरी प्रदान करे। अन्य जातियाँ तुम्हारी सेवा करें, राष्ट्र तुम्हारे सामने झुकें। तुम अपने भाइयों के स्वामी होओ और तुम्हारी माता के पुत्र तुम को दण्डवत् करें। जो तुम को अभिशाप दे, वह अभिशप्त हो और जो तुम को आशीर्वाद दे, उसे आशीर्वाद प्राप्त हो।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 134:1-6

अनुवाक्य : प्रभु की स्तुति करो - वह भला है। (अथवा : अल्लेलूया !)

1. प्रभु के नाम की स्तुति करो। प्रभु के सेवको ! जो प्रभु के मंदिर में तथा हमारे ईश्वर के मंदिर के प्रांगण में रहते हो, प्रभु की स्तुति करो।

2. प्रभु की स्तुति करो - वह भला है। उसके आदर में भजन सुनाओ वह प्रेममय है। क्योंकि प्रभु ने याकूब को चुना है, उसने इस्राएल को अपनी प्रजा बना लिया है।

3. मैं यह अच्छी तरह जानता हूँ- प्रभु महान् है, हमारा प्रभु सब अन्य देवताओं के परे है। आकाश में, पृथ्वी पर, समुद्र में तथा उसकी गहराइयों में प्रभु, जो चाहता है, वही करता है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।" अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:14-17

"क्या जब तक दुलहा साथ है, बाराती शोक मना सकते हैं?"

योहन के शिष्य एक दिन आ कर कहने लगे, "हम और फ़रीसी उपवास किया करते हैं। आपके शिष्य ऐसा क्यों नहीं करते?” येसु ने उन से कहा, "क्या जब तक दुलहा साथ है, बाराती शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे, जब दुलहा उन से बिछुड़ जायेगा। उन दिनों वे उपवास करेंगे।" "कोई कोरे कपड़े का पैबंद पुराने कपड़े पर नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबंद सिकुड़ कर पुराना कपड़ा फाड़ देता है और चीर बढ़ जाती है। और लोग नयी अंगूरी पुरानी मशकों में नहीं भरते हैं। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, अंगूरी बह जाती है और मशकें बरबाद हो जाती हैं। लोग नयी अंगूरी नयी मुशकों में भरते हैं। इस तरह दोनों ही बची रहती हैं।"

प्रभु का सुसमाचार।