याकूब ने बएर-शेबा छोड़ कर हारान के लिए प्रस्थान किया। वह किसी तीर्थस्थान जा पहुँचा और वहाँ रात भर ठहर गया, क्योंकि सूर्यास्त हो गया था। उसने वहाँ पड़े हुए पत्थरों में से एक को उठा लिया और उसे तकिया बना कर वहाँ सो गया। उसने यह स्वप्न देखा : एक सीढ़ी धरती पर खड़ी थी; उसका सिरा स्वर्ग तक पहुँचता था और ईश्वर के दूत उस पर उतरते-चढ़ते थे। ईश्वर याकूब के पास खड़ा हो गया और बोला, "मैं प्रभु, तुम्हारे पिता इब्राहीम का ईश्वर तथा इसहाक का ईश्वर हूँ। मैं तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को यह धरती दे दूँगा, जिस पर तुम लेट रहे हो। तुम्हारे वंशज भूमि के रजकणों की तरह असंख्य हो जायेंगे और पश्चिम तथा पूर्व, उत्तर तथा दक्षिण में फैल जायेंगे। तुम्हारे और तुम्हारे वंश द्वारा पृथ्वी भर के राष्ट्र आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। तुम जहाँ कहीं भी जाओगे, मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और तुम्हें इस प्रदेश वापस ले जाऊँगा, क्योंकि मैं तुम्हें तब तक नहीं छोड़ेंगा जब तक तुम से जो कहा, उसे पूरा न कर दूँ।" याकूब नींद से जाग उठा और बोला, "निश्चय ही, प्रभु इस स्थान पर विद्यमान है और यह मुझे मालूम नहीं था।" वह भयभीत हो गया और बोला, "यह स्थान कितना श्रद्धाजनक है ! यह तो ईश्वर का निवास है, यह स्वर्ग का द्वार है!" उसने बहुत सबेरे उठ कर सिरहाने का वह पत्थर उठाया, उसे स्मारक के रूप में खड़ा किया और उसके सिरे पर तेल उँडेल दिया। उसने स्थान का नाम बेतेल रखा। वह नगर पहले लूज कहलाता था। याकूब ने यह प्रतिज्ञा की, "यदि ईश्वर मेरे साथ रहेगा और मेरी इस यात्रा में मेरी रक्षा करेगा, यदि वह मुझे खाने के लिए भोजन और पहनने के लिए कंपड़े देगा और यदि मैं सकुशल अपने पिता के घर लौटूंगा, तो प्रभु ही मेरा ईश्वर होगा और जो पत्थर मैंने स्मारक के रूप में खड़ा किया, वह ईश्वर का मंदिर होगा। जो कुछ तू मुझे प्रदान करेगा, मैं उसका दशमांश तुझे दिया करूँगा।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे मेरे ईश्वर ! मैं तुझ पर ही भरोसा रखता हूँ।
1. तुम जो सर्वोच्च के आश्रय में रहते और सर्वशक्तिमान् की छत्रच्छाया में सुरक्षित हो, तुम प्रभु से यह कहो, "तू ही मेरी शरण है और मेरा गढ़, तू ही मेरा ईश्वर है, तुझ पर ही मैं भरोसा रखता हूँ।"
2. वह तुम्हें बहेलिये के फन्दे से छुड़ायेगा, जो तुम्हारा सर्वनाश चाहता है। वह तुम्हें अपने पंखों से छिपायेगा और तुम्हें उसके पैरों के नीचे शरणस्थान मिलेगा।
3. वह मेरा भक्त है, इसलिए मैं उसका उद्धार करूँगा। वह मेरा नाम लेता है, इसलिए मैं उसकी रक्षा करूँगा। वह मेरी दुहाई देता है, इसलिए मैं उसकी सुनूँगा। मैं संकट में उसके साथ रहूँगा और उसे बचा कर सम्मानित करूँगा।
अल्लेलूया ! हमारे मुक्तिदाता और मसीह ने मृत्यु का विनाश किया और अपने सुसमाचार द्वारा अमर जीवन को आलोकित किया है। अल्लेलूया !
येसु शिक्षा दे ही रहे थे कि एक अधिकारी आया। वह उन्हें दण्डवत् कर बोला, "मेरी बेटी अभी-अभी मर गयी है। आइए, उस पर हाथ रखिए और वह जी जायेगी।" येसु उठ कर अपने शिष्यों के साथ उसके पीछे हो लिये। उस समय एक स्त्री, जो बारह बरस से रक्तस्त्राव से पीड़ित थी, पीछे से आ कर येसु के कपड़े का पल्ला छू गयी; क्योंकि वह मन-ही-मन कहती थी- यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ, तो चंगी हो जाऊँगी। येसु ने मुड़ कर उसे देख लिया और कहा, "बेटी, ढारस रखो। तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा कर दिया है।" और उसी क्षण वह स्त्री चंगी हो गयी। येसु ने अधिकारी के घर पहुँच कर बाँसुरी बजाने वालों को और लोगों को रोते-पीटते देखा और कहा, "हट जाओ। लड़की मरी नहीं है, सो रही है।" इस पर वे उनकी हँसी उड़ाने लगे। भीड़ बाहर कर दी गयी। तब येसु ने भीतर जा कर लड़की का हाथ पकड़ा और वह उठ खड़ी हुई। इस बात की चर्चा उस इलाके के कोने-कोने में फैल गयी।
प्रभु का सुसमाचार।