वर्ष का चौदहवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 1

पहला पाठ

उत्पत्ति-ग्रन्थ 32:22-32

"तुम इस्राएल कहलाओगे, क्योंकि तुम ईश्वर पर बिजयी हो गये।"

याकूब रात को उठा और अपनी दो पत्नियों, दो दासियों और ग्यारह पुत्रों के साथ यब्बोक नामक नदी के उस पार गया। वह उन्हें और अपनी सारी सम्पत्ति नदी के उस पार ले गया और इस पार अकेला ही रह गया। एक पुरुष भोर तक उसके साथ कुश्ती लड़ता रहा। जब उसने देखा कि वह याकूब को पछाड़ नहीं सका, तो उसने उसकी जाँघ की नस परं प्रहार किया और लड़ते-लड़ते याकूब की जाँघ का जोड़ उखड़ गया। उसने कहा, "मुझे जाने दो, क्योंकि भोर हो गया है।" याकूब ने उत्तर दिया, "जब तक तुम मुझे आशीर्वाद नहीं दोगे, तब तक मैं तुम्हंर नहीं जाने दूँगा।" उसने पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" उसने उत्तर दिया, "मेरा नाम याकूब है।" इस पर उसने कहा, "अब से तुम याकूब नहीं, बल्कि इस्राएल कहलाओगे; क्योंकि तुम ईश्वर और मनुष्यों के साथ लड़ कर विजयी हो गये।" तब याकूब ने पूछा, "मुझे अपना नाम बता दो।" उसने उत्तर दिया, "तुम मेरा नाम क्यों जानना चाहते हो?" और उसने वहाँ याकूब को आशीर्वाद दिया। याकूब ने उस स्थान का नाम 'पनूएल' रखा, क्योंकि उसने यह कहा, "ईश्वर को आमने-सामने देखने पर भी मैं जीवित रह गया।" जब उसने पनूएल पार किया, तो सूर्य उग रहा था। उस समय से जाँघ का जोड़ उखड़ जाने के कारण वह लँगड़ाता रहा। इस कारण इस्राएली आज तक जाँघ की नस नहीं खाते, क्योंकि उस मनुष्य ने याकूब की उस नस पर प्रहार किया था।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 16:1-3,6-8,15

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं सन्मार्ग पर चल कर तेरे दर्शन करूँगा।

1. हे प्रभु ! मुझे न्याय दिला। मेरी दुहाई पर ध्यान दे। मैं निष्कपट हृदय से जो प्रार्थना कर रहा हूँ, उसे तू सुनने की कृपा कर।

2. तू मेरे पक्ष में निर्णय करेगा, क्योंकि तेरी आँखें सच्चाई देखती हैं। तू मेरे हृदय की थाह लेता और रात को इसकी जाँच करता है। तू मेरी परीक्षा लेता है, किन्तु मुझ में दोष नहीं पाता।

3. हे ईश्वर ! मैं तुझे पुकारता हूँ। मेरी सुन। मुझ पर कृपादृष्टि कर, मेरी प्रार्थना स्वीकार कर। अपना महान् प्रेम मुझे प्रदर्शित कर, क्योंकि तू अपने भक्तों को उनके शत्रुओं से बचाता है।

4. तू आँख की पुतली की तरह मेरी रक्षा कर। मुझे अपने पंखों की छाया में छिपा। मैं सन्मार्ग पर चल कर तेरे दर्शन करूँगा। मैं जागने पर तेरा स्वरूप देख कर परितृप्त हो जाऊँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "भला गड़ेरिया मैं हूँ। मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं।" अल्लेलूया !

सुसमाचार (वर्ष 1 और वर्ष 2)

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:32-38

"फ़सल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं।"

लोग एक गूँगे अपदूतग्रस्त मनुष्य को येसु के पास ले आये। येसु ने अपदूत को निकाला और वह गूँगा बोलने लंगा। लोग अचंभे में पड़ कर कहने लगे, "इस्राएल में ऐसा चमत्कार कभी नहीं देखा गया है।" परन्तु फ़रीसी कहते थे, "यह नरकदूतों *के नायक की सहायता से अपदूतों को निकालता है।" येसु सभागृहों में शिक्षा देते, राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते, हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करते हुए, सब नगरों और गाँवों में घूमते रहते थे। लोगों को देख कर येसु को उन पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके-माँदे पड़े हुए थे। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "फसल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं। इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।"

प्रभु का सुसमाचार।