वर्ष का पन्द्रहवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 1

पहला पाठ

निर्गमन-ग्रन्थ 3:13-20

"मेरा नाम 'सत्' है। जिसका नाम 'सत्' है, उसी ने मुझे भेजा है।"

मूसा ने झाड़ी में से प्रभु की वाणी सुन कर उस से कहा, "जब मैं इस्त्राएलियों के पास पहुँच कर उन से यह कहूँगा - तुम्हारे पूर्वजों के ईश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, और वे मुझ से पूछेंगे कि उसका नाम क्या है, तो मैं उन्हें क्या उत्तर दूँगा?" ईश्वर ने मूसा से कहा, "मेरा नाम 'सत्' है।" उसने फिर कहा, "तुम इस्राएलियों को यह उत्तर दोगे जिसका नाम 'सत्' है, उसी ने मुझे भेजा है।" इसके बाद ईश्वर ने मूसा से कहा, "तुम इस्राएलियों से यह कहोगे - प्रभु, तुम्हारे पूर्वजों के ईश्वर, इब्राहीम, इसहाक तथा याकूब के ईश्वर ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है। यह सदा के लिए मेरा नाम रहेगा और यही नाम ले कर सब पीढ़ियाँ मुझ से प्रार्थना करेंगी।" "अब जा कर इस्राएल के नेताओं को एकत्र करो और उन से यह कहो, 'प्रभु, तुम्हारे पूर्वजों का ईश्वर, इब्राहीम, इसहाक और याकूब का ईश्वर, मुझे दिखाई दिया और उसने मुझ से कहा मैंने तुम लोगों की सुध ली है और मैं जानता हूँ कि मिस्र देश में तुम पर क्या बीत रही है। मैंने यह निर्णय किया है: मैं तुम्हें मिस्र की दासता से निकाल कर कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, परिज्जियों, हिब्बियों और यबूसियों के देश ले जाऊँगा, जहाँ दूध और मधु की नदियाँ बहती हैं'।" "वे तुम्हारी बात मानेंगे और तुम इस्स्राएल के नेताओं के साथ मिस्त्र के राजा के पास जाओगे और उस से यह कहोगे, 'प्रभु, इब्रानियों का ईश्वर, हमें दिखाई दिया। हमें मरुभूमि में तीन दिन की यात्रा करने दीजिए, जिससे हम अपने प्रभु-ईश्वर को बलि चढ़ायें'। मैं जानता हूँ कि जब तक मिस्र के राजा को विवश नहीं किया जायेगा, वह तुम लोगों को नहीं जाने देगा। इसलिए मैं अपना भुजबल प्रदर्शित करूँगा और विविध चमत्कार दिखा कर मिस्त्रियों को सन्तप्त करूँगा। इनके बाद वह तुम लोगों को जाने देगा।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 104:1,5,8-9,24-27

अनुवाक्य : प्रभु सदा अपना विधान याद करता है। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. प्रभु को धन्यवाद दो, उसका नाम धन्य कहो, राष्ट्रों में उसके महान् कार्यों का बखान करो। उसके अपूर्व कार्य, उसके चमत्कार तथा उसके निर्णय याद रखो।

2. वह सदा अपना विधान याद करता है, हजारों पीढ़ियों के लिए अपनी प्रतिज्ञाएँ, इब्राहीम के लिए ठहराया हुआ विधान, इसहाक के सामने खायी हुई शपथ।

3. उसने अपनी प्रजा की संख्या बढ़ायी और उसे उसके शत्रुओं से अधिक शक्तिशाली बनाया। उसने मिस्त्रियों का हृदय बदल दिया और वे इस्राएलियों से बैर करने तथा उनके साथ छल-कपट करने लगे।

4. तब उसने अपने सेवक मूसा को और अपने कृपापात्र हारून को भेजा। इन दोनों ने मिस्त्रियों में प्रभु के चमत्कार दिखाये। और हाम के देश में अपूर्व कार्य सम्पन्न किये।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो ! तुम सब के सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।" अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 11:28-30

"मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ।"

येसु ने कहा, "थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो। तुम सब के सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शांति पाओगे, क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का।"

प्रभु का सुसमाचार।