इस्राएली एलीम से आगे बढ़े। मिस्त्र देश से निकलने के बाद दूसरे महीने के पन्द्रहवें दिन इस्स्राएलियों का सारा समुदाय एलीम और सीनय के बीच सीन नामक मरुभूमि पहुँचा। इस्राएलियों का सारा समुदाय मरुभूमि में मूसा और हारून के विरुद्ध भुनभुनाने लगा। इस्त्राएलियों ने उन से कहा, "हम जिस समय मिस्त्र देश में माँस की हड्डियों के सामने बैठते थे और इच्छा-भर रोटी खाते थे, यदि हम उस समय प्रभु के हाथ मर गये होते, तो कितना अच्छा होता। आप हम को इस मरुभूमि में इसलिए ले आये हैं कि हम सब के सब भूखों मर जायें।" प्रभु ने मूसा से कहा, "मैं तुम लोगों के लिए आकाश से रोटी बरसाऊँगा। लोग बाहर निकल कर प्रतिदन एक-एक दिन का भोजन बटोर लिया करेंगे। मैं इस तरह उनकी परीक्षा लूँगा और देखूँगा कि वे मेरी संहिता का पालन करते हैं या नहीं। छठे दिन उन्हें दूसरे दिनों की अपेक्षा दुगुनी रोटी बटोर कर तैयार करनी चाहिए।" मूसा और हारून ने इस्त्राएलियों के सारे समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा, "आज शाम को तुम लोग जानोगे कि प्रभु ही तुम लोगों को मिस्र से निकाल लाया और कल सुबह तुम प्रभु की महिमा देखोगे; क्योंकि प्रभु अपने विरुद्ध तुम्हारी शिकायतें सुन चुका है। हम कौन होते हैं, जो तुम हमारे विरुद्ध भुनभुनाते हो?" मूसा ने कहा, "प्रभु आज शाम को तुम्हें खाने के लिए मांस देगा और कल सुबह इच्छा-भर रोटी, क्योंकि प्रभु अपने विरुद्ध तुम्हारा भुनभुनाना सुन चुका है। हम कौन होते हैं? तुम लोगों ने हमारे विरुद्ध नहीं, बल्कि प्रभु के विरुद्ध भुनभुनाया है।" मूसा ने हारून से कहा, "इस्राएलियों के सारे समुदाय को यह आदेश दो प्रभु के सामने उपस्थित हो, क्योंकि वह तुम्हारा भुनभुनाना सुन चुका है।" जब हारून इस्त्राएलियों को सम्बोधित कर रहा था, तो उन्होंने मुड़ कर मरुभूमि की ओर देखा और प्रभु की महिमा बादल के रूप में उन्हें दिखाई दी। प्रभु ने मूसा से यह कहा, "मैं इस्स्राएलियों का भुनभुनाना सुन चुका हूँ। तुम उन से यह कहना शाम को तुम लोग माँस खा सकोगे और सुबह इच्छा-भर रोटी। तब तुम जान जाओगे कि मैं, प्रभु, तुम लोगों का ईश्वर हूँ।" उसी शाम को बटेरों का झुण्ड उड़ता हुआ आया और छावनी पर बैठ गया और सुबह छावनी के चारों ओर कुहरा छाया रहा। कुहरा दूर हो जाने पर मरुभूमि की जमीन पर पाले की तरह एक पतली दानेदार तह दिखाई पड़ी। इस्राएली यह देख कर आपस में कहने लगे, "मानहू" अर्थात् “यह क्या है !” क्योंकि उन्हें मालूम नहीं था कि यह क्या था। मूसा ने उन से कहा, "यह वही रोटी है, जिसे प्रभु तुम लोगों को खाने के लिए देता है।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु ने उन्हें स्वर्ग की रोटी दी।
1. उन्होंने अपनी रुचि का भोजन माँगा और इस प्रकार ईश्वर की परीक्षा ली। उन्होंने ईश्वर की निन्दा करते हुए यह भी कहा, "क्या ईश्वर हमारे लिए मरुभूमि में भोजन का प्रबन्ध कर सकता है?"
2. प्रभु ने आकाश के बादलों को आदेश दिया, उसने आकाश के द्वार खोल दिये। उसने उनके भोजन के लिए मन्ना बरसाया और उन्हें स्वर्ग की रोटी दी।
3. मनुष्य ने स्वर्गदूतों की रोटी खायी। प्रभु ने उन्हें भरपूर भोजन दिया। उसने आकाश में पुरवाई चलायी और अपनी शक्ति द्वारा दखिना बहायी।
4. उसने धूल की तरह उन पर माँस बरसाया और उनके शिविर के बीचोबीच तथा उनके तम्बुओं के चारों ओर समुद्र की रेत की तरह पक्षियों को गिराया।
अल्लेलूया ! बीज ईश्वर का वचन है और बोने वाले हैं मसीह। जो उन्हें पाता है, वह अनन्तकाल तक जीता रहेगा। अल्लेलूया !
येसु किसी दिन घर से निकल कर समुद्र के किनारे जा बैठे। उनके पास इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी कि वह नाव पर चढ़ कर बैठ गये और सारी भीड़ तट पर बनी रही। वह दृष्टान्तों द्वारा उन्हें बहुत-सी बातें समझाने लगे। उन्होंने कहा, "सुनो! कोई बोने वाला बीज बोने निकला। बोते-बोते कुछ बीज रास्ते के किनारे गिरे और आकाश के पक्षियों ने आ कर उन्हें चुग लिया। कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें अधिक मिट्टी नहीं मिली। वे जल्दी ही उग गये, क्योंकि उनकी मिट्टी गहरी नहीं थी। सूरज चढ़ने पर वे झुलस गये और जड़ न होने के कारण सूख गये। कुछ बीज काँटों में गिरे और काँटों ने बढ़ कर उन्हें दबा दिया। कुछ बीज अच्छी भूमि में गिरे और फल लाये - कुछ सौ-गुना, कुछ साठ-गुना और कुछ तीस-गुना। जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।"
प्रभु का सुसमाचार।