मिस्त्र देश से निकलने के ठीक तीन महीने बाद इस्त्राएली सीनय की मरुभूमि पहुँचे। वे यफीदीम से चले थे और उन्होंने सीनय की मरुभूमि पहुँच कर पहाड़ के सामने ही पड़ाव डाला। प्रभु ने मूसा से कहा, "मैं एक काले बादल में तुम्हारे पास आ रहा हूँ, जिससे ये लोग मुझे तुम्हारे साथ बातें करता हुआ सुनें और सदा ही तुम में अटल विश्वास करें।" मूसा ने प्रभु को लोगों का उत्तर सुना दिया। प्रभु ने मूसा से कहा, “तुम लोगों के पास जा कर आदेश दो कि वे आज और कल अपने को पवित्र करें और अपने वस्त्र धो लें। वे परसों के लिए अपने को तैयार करें, क्योंकि परसों प्रभु सभी लोगों के सामने सीनय पर्वत पर उतरेगा।" तीसरे दिन प्रातःकाल बादल गरजे, बिजली चमकी, पर्वत पर काले बादल छा गये, और तुरही का प्रचंड निनाद सुनाई पड़ा - शिविर में सभी लोग काँपने लगे। तब मूसा ईश्वर से भेंट करने के लिए लोगों को शिविर से बाहर ले गये और वे पहाड़ के नीचे खड़े हो गये। सीनय पर्वत धुएँ से ढका हुआ था, क्योंकि ईश्वर अग्नि के रूप में उस पर उतरा था। धुआँ भट्ठी के धुएँ की तरह ऊपर उठ रहा था और सारा पहाड़ जोर से काँप रहा था। तुरही का निनाद बढ़ता जा रहा था। मूसा बोले, और ईश्वर ने उसे मेघगर्जन में उत्तर दिया। ईश्वर सीनय पर्वत की चोटी पर उतरा और उसने मूसा को पर्वत की चोटी पर बुलाया।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : तेरी स्तुति निरन्तर होती रहे।
1. हे प्रभु, हमारे पूर्वजों के ईश्वर ! तू धन्य है !
2. तेरा महिमामय पवित्र नाम धन्य है !
3. तू अपने महिमामय मंदिर में धन्य है !
4. तू अपने राज्यसिंहासन पर धन्य है !
5. तू गहराइयों की थाह लेता है। तू धन्य है !
6. तू स्वर्ग की ऊँचाईयों पर धन्य है।
अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !
शिष्यों ने आ कर येसु से कहा, "आप क्यों लोगों को दृष्टान्तों में शिक्षा देते हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, "यह इसलिए है कि स्वर्गराज्य का भेद जानने का वरदान तुम्हें दिया गया है, उन लोगों को नहीं। क्योंकि जिसके पास कुछ है, उसी को और दिया जायेगा और उसके पास बहुत हो जायेगा। लेकिन जिसके पास कुछ नहीं है, उस से वह भी ले लिया जायेगा, जो उसके पास है। मैं उन्हें दृष्टान्तों में शिक्षा देता हूँ, क्योंकि वे देखते हुए भी नहीं देखते और सुनते हुए भी न तो सुनते और न समझते हैं। इसायस की यह भविष्यवाणी उन लोगों पर पूरी उतरती है - तुम सुनते रहोगे, परन्तु नहीं समझोगे। तुम देखते रहोगे, परन्तु तुम्हें नहीं दीखेगा। क्योंकि इन लोगों की बुद्धि मारी गई है। ये कानों से सुनना नहीं चाहते; इन्होंने अपनी आँखों को बन्द कर लिया है। कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देख लें, कानों से सुन लें, बुद्धि से समझ लें, मेरी ओर लौट आयें और मैं इन्हें भला-चूँगा कर दूँ। "परन्तु धन्य हैं तुम्हारी आँखें, क्योंकि वे देखती हैं और धन्य हैं तुम्हारे कान, क्योंकि वे सुनते हैं ! मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - तुम जो बातें देख रहे हो, उन्हें कितने ही नबी और धर्मात्मा देखना चाहते थे; परन्तु उन्होंने उन को देखा नहीं और तुम जो बातें सुन रहे हो, वे उन को सुनना चाहते थे, परन्तु उन्होंने उनको सुना नहीं।"
प्रभु का सुसमाचार।