प्रभु ने जो कुछ कहा था, मूसा ने वह सब पूरा किया। दूसरे वर्ष के प्रथम महीने, उस महीने के प्रथम दिन, निवास का निर्माण किया। उसने जमीन में कुरसियाँ डाल दीं और उन पर तख्ते रख कर और काँड़ियाँ बाँध कर खम्भे खड़े किये। उसने निवास पर तम्बू ताना और उसके ऊपर तम्बू का आवरण रख दिया, जैसा कि प्रभु ने मूसा को आदेश दिया था। उसने विधान की पाटियाँ मंजूषा में रखीं, मंजूषा में डण्डे लगाये और उसके ऊपर एक आवरण बिछाया। उसने मंजूषा निवास में रख कर उसके सामने एक परदा लगाया और इस प्रकार विधान की मंजूषा आँखों से ओझल कर दी, जैसा कि प्रभु ने मूसा को आदेश दिया था। बादल ने दर्शन-कक्ष को ढक लिया और प्रभु की महिमा निवास में भर गयी। मूसा तम्बू में प्रवेश नहीं कर सके, क्योंकि बादल उस पर छाया रहता था और निवास प्रभु की महिमा से भर गया था। समस्त यात्रा के समय इस्राएली तभी आगे बढ़ते थे, जब बादल निवास पर से उठ कर दूर हो जाता था। जब बादल नहीं उठता, तो वे प्रतीक्षा करते रहते। उनकी समस्त यात्रा के समय प्रभु का बादल दिन में निवास के ऊपर छाया रहता था, किन्तु रात को उस में आग दिखाई पड़ती, जिसे सभी इस्राएली देख सकते थे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे विश्वमंडल के प्रभु ! तेरा मंदिर कितना रमणीय है।
1. प्रभु का प्रांगण देखने के लिए मेरी आत्मा तरसती रहती है। मैं उल्लसित हो कर तन-मन से जीवन्त ईश्वर का स्तुतिगान करता हूँ।
2. गौरैया को बसेरा मिलता है और अबाबील को अपने बच्चों के लिए घोंसला। हे विश्वमंडल के प्रभु! मेरे राजा ! मेरे ईश्वर ! मुझे तेरी वेदियाँ प्रिय हैं।
3. तेरे मंदिर में रहने वाले धन्य हैं ! वे निरन्तर तेरा स्तुतिगान करते हैं। धन्य हैं वे, जो तुझ से बल पा कर तेरे पर्वत सियोन की तीर्थयात्रा करते हैं।
4. हज़ार दिनों तक और कहीं रहने की अपेक्षा, एक दिन भी तेरे प्रांगण में बिताना अच्छा है। दुष्टों के शिविरों में रहने की अपेक्षा, ईश्वर के मंदिर की सीढ़ियों पर खड़ा होना अच्छा है।
अल्लेलूया ! हे प्रभु ! हमारे हृदय का द्वार खोल दे, जिससे हम तेरे पुत्र की शिक्षा स्वीकार करें। अल्लेलूया !
येसु ने लोगों से यह कहा, "स्वर्ग का राज्य समुद्र में डाले हुए जाल के सदृश है, जो हर तरह की मछलियाँ बटोर लाता है। जाल के भर जाने पर मछुए उसे किनारे पर खींच लेते हैं। तब वे बैठ कर अच्छी मछलियाँ चुन-चुन कर बरतनों में जमा करते हैं और रद्दी मछलियाँ फेंक देते हैं। संसार के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत जा कर धर्मियों में से दुष्टों को अलग करेंगे और उन्हें आग के कुंड में झोंक देंगे। वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।" "क्या तुम लोग ये सब बातें समझ गये हो?" शिष्यों ने उत्तर दिया, "जी हाँ।" येसु ने उन से कहा, "प्रत्येक शास्त्री, जो स्वर्ग के राज्य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्थ के सदृश है, जो अपने खजाने में से नयी और पुरानी चीजें निकालता है।" येसु ये दृष्टान्त समाप्त करने के बाद वहाँ से चले गये।
प्रभु का सुसमाचार।