मूसा ने एक इथोपियाई स्त्री से विवाह किया था। इस इथोपियाई पत्नी के कारण मिरियम और हारून मूसा की निन्दा करने लगे। उन्होंने कहा, "क्या प्रभु केवल मूसा के द्वारा बोला है? क्या वह हमारे द्वारा भी नहीं बोला है?" प्रभु ने यह सुना। मूसा अत्यन्त विनम्र था। वह पृथ्वी के सब मनुष्यों में सब से अधिक विनम्र था। प्रभु ने तुरन्त मूसा, हारून और मिरियम से कहा, "तुम तीनों दर्शन-कक्ष जाओ।" तीनों वहाँ गये। तब प्रभु बादल के खंभे के रूप में उतर कर तम्बू के पास खड़ा हो गया। उसने हारून और मिरियम को बुलाया। दोनों आगे बढ़े और प्रभु ने उन से कहा, "मेरी बात ध्यान से सुनो। मैं तुम्हारे नबियों को दिव्य दर्शनों में दिखाई देता हूँ और स्वप्न में उनसे बातें करता हूँ। मैं अपने सेवक मूसा के साथ ऐसा नहीं करता। मेरी सारी प्रजा में वही विश्वसनीय है। मैं उससे पहेली नहीं बुझाता, बल्कि आमने-सामने स्पष्ट रूप से बातें करता हूँ। वह प्रभु का स्वरूप देखता है। मेरे सेवक मूसा की निन्दा करने में तुम्हें डर क्यों नहीं लगा?" प्रभु का क्रोध उन पर भड़क उठा और वह उन्हें छोड़ कर चला गया। तब बादल तम्बू पर से हट गया और मिरियम का शरीर कोढ़ से बर्फ की तरह सफेद हो गया। हारून ने मिरियम की ओर मुड़ कर देखा कि वह कोढ़िन हो गयी है। हारून ने मूसा से कहा, "महोदय ! हम ने मूर्खतावश पाप किया है। कृपया हमें उसका दण्ड न दिलायें। मिरियम को उस मृतजात शिशु के सदृश न रहने दें, जिसका शरीर जन्म के समय आधा गला हुआ है।" मूसा ने यह कहते हुए प्रभु से प्रार्थना की, "हे ईश्वर ! इसका रोग दूर करने की कृपा कर।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! हम पर दया कर, क्योंकि हमने पाप किया है।
1. हे ईश्वर ! तू दयालु है, मुझ पर दया कर। तू दयासागर है, मेरा अपराध क्षमा कर। मेरी दुष्टता पूर्ण रूप से धो डाल, मुझ पापी को शुद्ध कर।
2. मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ, मेरा पाप निरन्तर मेरे सामने है। मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है, जो काम तेरी दृष्टि में बुरा है वही मैंने किया है।
3. हे ईश्वर ! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर और मेरा मन सुदृढ़ बना। अपने सान्निध्य से मुझे दूर न कर और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से न हटा।
अल्लेलूया ! गुरुवर ! आप ईश्वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं। अल्लेलूया !
लोगों के तृप्त हो जाने के बाद येसु ने अपने शिष्यों को इसके लिए बाध्य किया कि वे नाव पर चढ़ कर उन से पहले उस पार चले जायें; इतने में वह स्वयं लोगों को विदा कर देंगे। येसु लोगों को विदा कर एकांत में प्रार्थना करने के लिए पहाड़ी पर चढ़े। संध्या होने पर वह वहाँ अकेले थे। नाव उस समय तट से दूर जा चुकी थी। वह लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि वायु प्रतिकूल थी। रात के चौथे पहर येसु समुद्र पर चलते हुए शिष्यों के पास आये। जब उन्होंने येसु को समुद्र पर चलते हुए देखा, तो वे बहुत घबरा गये और यह अट्ठारहवाँ सप्ताह बुधवार 535 कह कर, "यह कोई प्रेत है", डर के मारे चिल्लाने लगे। येसु ने तुरन्त उन से कहा, "धीरज धरो; मैं ही हूँ। डरो मत।" पेत्रुस ने उत्तर दिया, "प्रभु ! यदि आप ही हैं, तो मुझे पानी पर अपने पास आने की आज्ञा दीजिए।” येसु ने कहा, "आ जाओ।" पेत्रुस नाव से उतर गया और पानी पर चलते हुए येसु की ओर बढ़ा; किन्तु वह प्रचंड वायु देख कर डर गया और जब डूबने लगा, तो चिल्ला उठा, "प्रभु ! मुझे बचाइए।" येसु ने तुरन्त हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया और कहा, “रे अल्पविश्वासी ! तुम्हें सन्देह क्यों हुआ?" वे नाव पर चढ़े और वायु थम गयी। जो नाव में थे, उन्होंने यह कहते हुए येसु को दण्डवत् किया, "सचमुच आप ईश्वर के पुत्र हैं !" वे पार उतर कर गेनेसरेत पहुँच गये। वहाँ के लोगों ने येसु को पहचान लिया और आसपास के सब गाँवों में इसकी ख़बर फैला दी। वे सब रोगियों को येसु के पास ले आये और उन से अनुनय-विनय करने लगे कि वह उन्हें कपड़े का पल्ला भर छूने दें। जितनों ने उनका स्पर्श किया, वे सब के सब भले-चंगे हो गये।
प्रभु का सुसमाचार।
येरुसालेम के कुछ फ़रीसी और शास्त्री किसी दिन येसु के पास आ कर कहने लगे, "आपके शिष्य पुरखों की परम्परा क्यों तोड़ते हैं? वे तो बिना हाथ धोये रोटी खाते हैं?" येसु ने लोगों को पास बुला कर कहा, "तुम लोग मेरी बात सुनो और समझो। जो मुँह में आता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता; बल्कि जो मुँह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध कर देता है।" बाद में शिष्य आ कर येसु से कहने लगे, "क्या आप जानते हैं कि फ़रीसी आप की बात सुन कर बहुत बुरा मान गये हैं?" येसु ने उत्तर दिया, "जो पौधा मेरे स्वर्गिक पिता ने नहीं रोपा है, वह उखाड़ा जायेगा। उन्हें रहने दो; वे अंधों के अंधे पथप्रदर्शक हैं। यदि अंधा अंधे को ले चले, तो दोनों ही गड्ढे में गिर जायेंगे।"
प्रभु का सुसमाचार।