वर्ष का अट्ठारहवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 1

पहला पाठ

गणना-ग्रन्थ 20:1-13

"लोगों के लिए जीवन्त जल का स्त्रोत बहने दे।"

इस्राएलियों का सारा समुदाय, पहले महीने, सीन नामक मरुभूमि पहुँचा और कुछ समय तक कादेश में रहा। वहाँ मिरियम की मृत्यु हुई और वह दफ़नायी गयी। लोगों को पानी नहीं मिल रहा था, इसलिए वे एकत्र हो कर मूसा और हारून का विरोध करने लगे। उन्होंने यह कहते हुए मूसा से शिकायत की, "ओह ! यदि हम अपने भाई-बन्धुओं के साथ ही प्रभु के हाथ मर गये होते ! क्या आप इसलिए प्रभु का समुदाय इस मरुभूमि में ले आये कि हम और हमारे पशु यहाँ मर जायें? आप हमें मिस्र से निकाल कर इस अशुभ स्थान में क्यों ले आये, जहाँ न तो अनाज मिलता है, न अंजीर, न अंगूर और न अनार? यहाँ तो पीने का पानी तक नहीं मिलता !" मूसा और हारून सभा को छोड़ कर दर्शन-कक्ष के द्वार पर आये। वे मुँह के बल गिर पड़े और प्रभु की महिमा उन्हें दिखाई दी। प्रभु ने मूसा से यह कहा, "डण्डा ले लो और अपने भाई हारून के साथ समुदाय को एकत्र करो। तुम लोगों के सामने चट्टान को यह आदेश दोगे 'हमें अपना पानी दो !' इस प्रकार तुम चट्टान में से पानी निकालोगे और तुम लोगों और पशुओं को पीने के लिए पानी दोगे।" मूसा ने तम्बू से डण्डा ले लिया, जैसा कि प्रभु ने उसे आदेश दिया था। मूसा और हारून ने चट्टान के सामने लोगों को एकत्र किया और उन से कहा, "हे विद्रोहियों ! सुनो। क्या हम तुम लोगों के लिए इस चट्टान में से पानी निकालें?" मूसा ने हाथ उठा कर दो बार चट्टान पर डण्डा मारा और चट्टान में से पानी की धारा फूट निकली। इस प्रकार लोगों और पशुओं को पीने के लिए पानी मिला। इसके बाद प्रभु ने मूसा और हारून से कहा, "तुमने मुझ में विश्वास नहीं किया और इस्त्राएलियों की दृष्टि में मेरी पवित्रता को बनाये नहीं रखा, इसलिए तुम इस समुदाय को उस देश नहीं पहुँचाओगे, जिसे मैं उन्हें दे दूँगा।" यह मरीबा का पानी है, जहाँ इस्त्राएलियों ने प्रभु की शिकायत की और प्रभु ने उनके सामने अपनी पवित्रता प्रकट की।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 94:1-2,6-9

अनुवाक्य : ओह ! यदि तुम आज उसकी यह वाणी सुनो, "अपना हृदय कठोर न बनाओ।"

1. आओ ! हम प्रभु के सामने आनन्द मनायें, अपने शक्तिशाली त्राणकर्त्ता का गुणगान करें। हम स्तुति करते हुए उसके पास जायें, भजन गाते हुए उसे धन्य कहें।

2. आओ ! हम दण्डवत् कर प्रभु की आराधना करें, अपने सृष्टिकर्त्ता के सामने घुटने टेकें। वही तो हमारा ईश्वर है और हम हैं उसके चरागाह की प्रजा, उसकी अपनी भेड़ें।

3. ओह ! यदि तुम आज उसकी यह वाणी सुनी, "अपना हृदय कठोर न बनाओ, जैसा कि पहले मरीबा और मस्सा की मरुभूमि में हुआ था। उस दिन तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी परीक्षा ली। मेरे कार्यों को देखते हुए भी, उन्होंने मुझ में विश्वास नहीं किया।"

जयघोष

अल्लेलूया ! तुम पेत्रुस अर्थात् चट्टान हो और इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा और अधोलोक के फाटक इसके सामने टिक नहीं पायेंगे। अल्लेलूया !

सुसमाचार (वर्ष 1 और वर्ष 2)

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 16:13-23

"तुम पेत्रुस हो। मैं तुम्हें स्वर्गराज्य की कुंजियाँ प्रदान करूँगा।"

येसु ने कैसरिया फ़िलिपी प्रदेश पहुँच कर अपने शिष्यों से पूछा, "मानव पुत्र कौन है, इसके विषय में लोग क्या कहते हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, "कुछ लोग कहते हैं योहन बपतिस्ता; कुछ लोग कहते हैं- एलियस; और कुछ लोग कहते हैं येरेमियस अथवा नबियों में से कोई।" इस पर येसु ने कहा, "और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?" सिमोन पेत्रुस ने उत्तर दिया, "आप मसीह हैं, आप जीवन्त ईश्वर के पुत्र हैं।" इसपर येसु ने उस से कहा, "सिमोन, योनस के पुत्र ! तुम धन्य हो, क्योंकि किसी निरे मनुष्य ने नहीं, बल्कि मेरे स्वर्गिक पिता ने तुम पर यह प्रकट किया है। मैं तुम से कहता हूँ कि तुम पेनुस अर्थात् चट्टान हो और इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा और अधोलोक के फाटक इसके सामने टिक नहीं पायेंगे। मैं तुम्हें स्वर्गराज्य की कुंजियाँ प्रदान करूँगा। तुम पृथ्वी पर जिसका निषेध करोगे, स्वर्ग में भी उसका निषेध रहेगा और पृथ्वी पर जिसकी अनुमति दोगे, स्वर्ग में भी उसकी अनुमति रहेगी।" इसके बाद येसु ने अपने शिष्यों को कड़ी चेतावनी दी कि तुम लोग किसी को भी यह नहीं बताओ कि मैं मसीह हूँ। उस समय से येसु अपने शिष्यों को यह समझाने लगे कि मुझे येरुसालेम जाना होगा; नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों की ओर से बहुत दुःख उठाना, मार डाला जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा। पेत्रुस येसु को अलग ले गया और उन्हें यह कह कर समझाने लगा, "ईश्वर ऐसा न करे, प्रभु ! यह आप पर कभी नहीं बीतेगी।" इस पर येसु ने मुड़ कर पेत्रुस से कहा, "हट जाओ, शैतान ! तुम मेरे रास्ते में बाधा बन रहे हो। तुम ईश्वर की बातें नहीं, बल्कि मनुष्यों की बातें सोचते हो।"

प्रभु का सुसमाचार।