मूसा ने इस्राएलियों से कहा, "ईश्वर ने जब पृथ्वी पर मनुष्य की सृष्टि की थी, तुम तब से ले कर अपने पहले के प्राचीन युगों का हाल पूछो। क्या पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक कभी इतनी अद्भुत घटना हुई है? क्या इस प्रकार की बात कभी सुनने में आयी है? क्या और कोई ऐसा राष्ट्र है, जिसने तुम लोगों की तरह अग्नि में से बोलते हुए ईश्वर की वाणी सुनी और जीवित बच गया हो? ईश्वर ने आतंक दिखा कर, विपत्तियों, चिह्नों, चमत्कारों और युद्धों के माध्यम से अपने सामर्थ्य तथा बाहुबल द्वारा तुम लोगों को मिस्र देश से निकाल लिया है - यह सब तुमने अपनी आँखों से देखा है। क्या और कोई ऐसा ईश्वर है, जिसने इस तरह किसी दूसरे राष्ट्र में से अपना राष्ट्र चुन लिया हो?" "यह सब तुम लोगों को इसलिए देखने को मिला कि तुम जान जाओ कि प्रभु ही ईश्वर है। उसके सिवा और कोई ईश्वर नहीं है। तुम्हें शिक्षा देने के लिए उसने आकाश से तुम को अपनी वाणी सुनायी और पृथ्वी पर तुम को वह महान् अग्नि दिखायी, जिस में से तुमने उसे बातें करते सुना है। उसने तुम्हारे पूर्वजों को प्यार किया और उनके वंशजों को चुन लिया, इसलिए उसने अपना सामर्थ्य प्रकट किया और वह स्वयं तुम लोगों को मिस्र से निकाल लाया। उसने तुम्हारे सामने से ऐसे राष्ट्रों को भगा दिया, जो तुम से अधिक महान् और शक्तिशाली थे। उसने तुम को उनके देश में पहुँचा दिया और अब उसे विरासत के रूप में उन्हें प्रदान किया। आज यह जान लो और इस पर मन-ही-मन विचार करो कि ऊपर आकाश में तथा नीचे पृथ्वी पर प्रभु ही ईश्वर है; उसके सिवा और कोई ईश्वर नहीं है। मैं तुम लोगों को आज उसके नियम और आदेश सुनाता हूँ। तुम उनका पालन किया करो जिससे जो देश तुम्हारा प्रभु-ईश्वर तुम्हें सदा के लिए देने वाला है, उस में तुम को और तुम्हारे पुत्रों को सुख-शांति तथा लम्बी आयु मिल सके।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : मैं तेरे सभी कार्य याद करता हूँ।
1. मैं तेरे सभी कार्य याद करता हूँ, प्राचीन काल में किये हुए तेरे चमत्कार । मैं तेरे सभी कार्यों पर विचार करता हूँ, मैं तेरे महान् कार्यों का मनन करता हूँ।
2. हे ईश्वर ! तेरा मार्ग पवित्र है। कौन सा देवता हमारे महान् ईश्वर के तुल्य है ? तू वह ईश्वर है, जो चमत्कार दिखाता है। तूने राष्ट्रों में अपना सामर्थ्य प्रदर्शित किया ।
3. तूने अपने भुजबल से अपनी प्रजा का, याकूब तथा योसेफ के पुत्रों का उद्धार किया । तूने मूसा और हारून के द्वारा झुण्ड की तरह अपनी प्रजा का पथप्रदर्शन किया ।
अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं - स्वर्गराज्य उन्हीं का है। अल्लेलूया।
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "यदि कोई मेरा अनुसरण करना चाहे, तो वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा। मनुष्य को इस से क्या लाभ यदि वह सारे संसार को प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन ही गँवा दें? अपने जीवन के बदले मनुष्य दे ही क्या सकता है? क्योंकि मानव पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा सहित आयेगा और वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्म का फल देगा। मैं तुम से कहे देता हूँ- यहाँ कुछ ऐसे लोग विद्यमान हैं जो तब तक नहीं मरेंगे, जब तक वे मानव पुत्र को राजकीय प्रताप के साथ आता हुआ न देख लें।"
प्रभु का सुसमाचार।
आज मानव ने हर क्षेत्र में बहुत तरक़्क़ी कर ली है। सौ साल पहले की दुनिया और आज की दुनिया में बहुत अंतर आया है। आज मनुष्य ने ऐसी ऐसी खोज और अविष्कार किए हैं जो दर्शाते हैं कि इस सृष्टि में मनुष्य कोई साधारण जीव नहीं है। उसने ऐसी दवाइयाँ खोज निकाली हैं जो कठिन से कठिन बीमारी को भी ठीक कर दे। ऐसे ऐसे संसाधन बनाए हैं, जिन्होंने जीवन को सुगम बना दिया है। ऐसा लगता है जैसे मानव इस सृष्टि का नया मालिक बन गया है। लेकिन एक सत्य के समक्ष वह आज भी मजबूर है - और वह है जीवन और मृत्यु। मनुष्य किसी को भी जीवन नहीं दे सकता और ना ही मृत्यु को टाल सकता है। वह चाहे कितनी बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त कर ले, कितने ही अविष्कार कर ले कितनी ही समस्याओं का हल निकाल ले लेकिन अपना जीवन नहीं ख़रीद सकता। मनुष्य का जीवन ही सबसे अमूल्य वस्तु है। अगर जीवन नहीं है तो कुछ भी नहीं है। यही अमूल्य वस्तु ईश्वर की सबसे बड़ी देन है, मनुष्य के लिए सबसे बड़ा वरदान है। यह जीवन तभी सार्थक होगा जब यह ईश्वर को प्राप्त करने के लिए लगाया जाए। क्या मेरा जीवन सार्थक है?
✍फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर)Today, humanity has made great progress in every field. The world of a hundred years ago and the world of today are vastly different. Humans have made such discoveries and inventions that prove we are not just ordinary creatures in this creation. We have developed medicines that can cure even the most severe illnesses. We have created resources and technologies that have made life easier and more convenient. It almost seems as though humanity has become the new master of creation. Yet, there is one truth before which we still remain powerless — and that is life and death. Humans cannot give life to anyone, nor can they prevent death. No matter how many great achievements we accomplish, how many inventions we create, or how many problems we solve — we cannot buy our own life. Human life itself is the most precious gift. Without life, nothing else matters. And this most precious gift is the greatest blessing from God. This life only becomes meaningful when it is lived to seek and serve God. So the question is: Is my life meaningful?
✍ -Fr. Johnson B. Maria (Gwalior)
हम इस युग में किस ओर जा रहे हैं? हम किसके पीछे जा रहे है? क्या हम लौकिक वस्तुए के पीछ जा रहे हैं? क्या हम इस संसार के वर्तमान फैशन के पीछे जा रहे है? क्या हम इस संसार में जो आकर्षित और आनंद देने वाली चीज़ें है, उसके पीछे जा रहें है? आज हम अपने से सवाल पूछें कि हम किसके पीछे जा रहे हैं? हम सभी ख्रीस्तीय एक भेड़ के समान है जिसे शत्रु-भेड़िया हर समय नष्ट करने और खाने के लिए सोचता है। यदि हम अपने जीवन को सुरक्षित रखना चाहते है तो हमें हमेंशा भले चरवाहे अर्थात् प्रभु येसु के पीछे जाने की जरूरत है। हमें सिर्फ उन्हीं का अनुसरण करना चाहिए। आइये हम आत्मत्याग करते हुए अपना कू्रस उठाये और येसु के पीछे हो लें।
✍फादर डेन्नीस तिग्गाIn this era where are we heading towards? Whom are we following? Are we going after worldly things? Are we following the current fashions of this world? Are we going after the alluring and pleasurable things in this world? Today we ask ourselves the question that whom are we craving after? All of us Christians are like a sheep to whom the enemy-the wolf is always thinking of destroying and devouring. If we want to keep our lives safe then we need to always follow the Good Shepherd i.e., Lord Jesus. In our lives we should only follow him. Let us deny ourself, take up our cross and follow Jesus.
✍ -Fr. Dennis Tigga