मूसा ने समस्त इस्राएलियों से यह कहा, "अब मैं एक सौ बीस बरस का हो गया हूँ और चलने-फिरने में असमर्थ हूँ। प्रभु ने मुझ से कहा, 'तुम इस यर्दन नदी को नहीं पार करोगे।' तुम लोगों का प्रभु-ईश्वर यर्दन पार करने में तुम्हारा नेतृत्व करेगा। वह तुम्हारे लिए उन लोगों का विनाश करेगा और तुम उनका देश अपने अधिकार में करोगे। योशुआ यर्दन पार करने में तुम्हारा नेतृत्व करेगा, जैसा कि प्रभु ने कहा है। प्रभु उन लोगों का विनाश करेगा, जैसा कि उसने अमोरियों के राजाओं सीहोन और ओग का तथा उनके देश का विनाश किया है। जब प्रभु उन लोगों को तुम्हारे हवाले कर देगा, तो तुम मेरे आदेश के अनुसार ही उनके साथ व्यवहार करोगे।" 550 उन्नीसवाँ सप्ताह - मंगलवार “दृढ़ बने रहो और ढारस रखो ! भयभीत न हो और उन से मत डरो; क्योंकि तुम्हारा प्रभु-ईश्वर तुम्हारे साथ चलता है। वह तुम्हें निराश नहीं करेगा और तुम को नहीं छोड़ेगा।" तब मूसा ने योशुआ को बुलाया और सभी इस्राएलियों के सामने उस से कहा, "दृढ़ बने रहो और ढारस रखो ! तुम इन लोगों को उस देश ले चलोगे, जिसे प्रभु ने शपथ खा कर उनके पूर्वजों को देने की प्रतिज्ञा की है। तुम उस देश को उनके अधिकार में दे दोगे। प्रभु तुम्हारे आगे-आगे चलेगा और तुम्हारे साथ रहेगा। वह तुम्हें निराश नहीं करेगा और तुम को नहीं छोड़ेगा। भयभीत न हो और मत डरो।"
प्रभु की वाणी
अनुवाक्य : प्रभु ने उन्हें अपनी प्रजा बना लिया।
1. मैं प्रभु के नाम की स्तुति करूँगा। तुम लोग हमारे ईश्वर का गुणगान करो। वह हमारी चट्टान है। उसके सभी कार्य निर्दोष हैं और उसके सभी मार्ग न्यायपूर्ण।
2. प्राचीन काल को याद करो, युग-युगों के वर्षों पर ध्यान दो। अपने पिता से पूछो, वह तुम्हें बतायेगा। बड़ों से पूछो, वे तुम्हें समझायेंगे।
3. जब सर्वोच्च ईश्वर ने जातियों के देश निर्धारित किये और सब मनुष्यों को पृथ्वी पर बिखेर दिया, तो उसने स्वर्गदूतों की संख्या के अनुसार राष्ट्रों की सीमाओं को निर्धारित किया।
4. उस समय उसने याकूब को अपनी ही प्रजा के रूप में अपनाया। प्रभु ही याकूब का पथप्रदर्शक रहा। उसका कोई और देवता नहीं।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ।" अल्लेलूया !
उस समय शिष्य येसु के पास आ कर पूछने लगे, "स्वर्ग के राज्य में सब से बड़ा कौन है?" येसु ने एक बालक को बुलाया और उसे उनके बीच खड़ा कर कहा, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ- यदि तुम फिर छोटे बालकों जैसे नहीं बन जाओगे, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करोगे। इसलिए जो अपने को इस बालक जैसा छोटा समझता है, वही स्वर्ग के राज्य में सब से बड़ा है। और जो मेरे नाम पर ऐसे बालक का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है।" "सावधान रहो ! उन नन्हों में से एक को भी तुच्छ न समझो। मैं तुम से कहता हूँ - उनके दूत स्वर्ग में निरन्तर मेरे स्वर्गिक पिता के दर्शन करते हैं।" "तुम्हारा क्या विचार है- यदि किसी के एक सौ भेड़ें हों और उन में से एक भी भटक जाये, तो क्या वह उन निन्यानबे भेड़ों को पहाड़ी पर छोड़ कर उस भटकी हुई को खोजने नहीं जायेगा? और यदि वह उसे पाये, तो विश्वास करो कि उसे उन निन्यानबे की अपेक्षा, जो भटकी नहीं थीं, उस भेड़ के कारण अधिक आनन्द होगा। उसी तरह मेरा स्वर्गिक पिता नहीं चाहता कि उन नन्हों में से एक भी खो जाये।"
प्रभु का सुसमाचार।
No Reflections Available so far