भाइयो ! आप लोग हम से यह शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं कि किस प्रकार चलना और ईश्वर को प्रसन्न करना चाहिए और आप इसके अनुसार चलते भी हैं। हम प्रभु येसु के नाम पर आप से आग्रह के साथ अनुनय करते हैं कि आप इस विषय में और आगे बढ़ते जायें। आप लोग जानते हैं कि मैंने प्रभु येसु की ओर से आप को कौन-कौन आदेश दिये हैं। ईश्वर की इच्छा यह है कि आप लोग पवित्र बनें और व्यभिचार से दूर रहें; आप में से प्रत्येक धर्म और औचित्य के अनुसार अपने लिए एक पत्नी ग्रहण करे। गैरयहूदियों की तरह जो कि ईश्वर को नहीं जानते, कोई भी वासना के वशीभूत न हो। कोई भी मर्यादा का उल्लंघन न करे और इस सम्बन्ध में अपने भाई के प्रति अन्याय नहीं करे; क्योंकि प्रभु इन सब बातों का कठोर दण्ड देता है, जैसा कि हम आप लोगों को स्पष्ट शब्दों में समझा चुके हैं। क्योंकि ईश्वर ने हमें अशुद्धता के लिए नहीं, पवित्रता के लिए बुलाया है। इसलिए जो इस आदेश का तिरस्कार करता है, वह मनुष्य का नहीं, बल्कि ईश्वर का तिरस्कार करता है, जिसने आप को अपना पवित्र आत्मा प्रदान किया है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे धर्मियो ! प्रभु में आनन्द मनाओ !
1. प्रभु राज्य करता है। पृथ्वी प्रफुल्लित हो जाये, असंख्य द्वीप आनन्द मनायें। उसका सिंहासन सत्य और न्याय पर आधारित है।
2. पृथ्वी के अधिपति के आगमन पर पर्वत मोम की तरह पिघलते हैं। आकाश प्रभु का न्याय घोषित करता है। सभी राष्ट्र उसकी महिमा देखते हैं।
3. प्रभु उन लोगों को प्यार करते हैं, जो बुराई से घृणा करते हैं। वह अपने भक्तों की रक्षा करता और उन्हें दुष्टों के पंजे से छुड़ाता है।
4. धर्मी और निष्कपट लोगों के लिए ज्योति और आनन्द का उदय हुआ है। हे धर्मियो ! प्रभु में आनन्द मनाओ और उसके पवित्र नाम की स्तुति करो।
अल्लेलूया ! जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खड़ा होने योग्य बन जाओ। अल्लेलूया ! *
येसु ने अपने शिष्यों को यह दृष्टान्त सुनाया, "उस समय स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के सदृश होगा, जो अपनी-अपनी मशाल ले कर दुलहे की अगवानी करने निकलीं। उन में से पाँच नासमझ थीं, और पाँच समझदार। नासमझ अपनी मशाल के साथ तेल नहीं लायीं। समझदार अपनी मशाल के साथ-साथ कुप्पियों में तेल भी लायीं। दुलहे के आने में देर हो जाने पर सब ऊँघने लगीं और सो गयीं। आधी रात को आवाज आयी, 'देखो, दुलहा आ रहा है। उसकी अगवानी करने जाओ।' तब सब कुँवारियाँ उठीं और अपनी-अपनी मशाल सँवारने लगीं। नासमझ कुँवारियों ने समझदारों से कहा, 'अपने तेल में से थोड़ा हमें दे दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझ रही हैं।' समझदारों ने उत्तर दिया, 'क्या जाने कहीं हमारे और तुम्हारे लिए तेल पूरा न हो। अच्छा हो, तुम लोग दुकान जा कर अपने लिए खरीद लो।' वे तेल खरीदने गयी ही थीं कि दुलहा आ पहुँचा। जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह-भवन में प्रवेश कर गयीं और द्वार बन्द हो गया। बाद में दूसरी कुँवारियाँ भी आ कर कहने लगीं, 'हे प्रभु ! हे प्रभु ! हमारे लिए द्वार खोल दीजिए।' इस पर उसने उत्तर दिया, 'मैं तुम से कहे देता हूँ मैं तुम्हें नहीं जानता।' इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न तो वह दिन जानते हो और न वह घड़ी।"
प्रभु का सुसमाचार।