वर्ष का बाईसवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

थेसलिनीकियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 4:13-17

"जो येसु में विश्वास करते हुए मर गये हैं, ईश्वर उन्हें येसु के साथ पुनर्जीवित कर देगा।"

भाइयो ! हम चाहते हैं कि आप लोगों को मृतकों के विषय में निश्चित जानकारी हो। कहीं ऐसा न हो कि आप उन लोगों की तरह शोक मनायें, जिन्हें कोई आशा नहीं है। हम तो विश्वास करते हैं कि येसु मर गये और फिर जी उठे। जो येसु में विश्वास करते हुए मर गये हैं, ईश्वर उन्हें उसी तरह येसु के साथ पुनर्जीवित कर देगा। हमें मसीह से जो शिक्षा मिली है, उसके आधार पर हम आप से यह कहते हैं - हम जो प्रभु के आने तक जीवित रहेंगे, मृतकों से पहले ही महिमा में प्रवेश नहीं करेंगे। क्योंकि जब आदेश दिया जायेगा और महादूत की वाणी तथा ईश्वर की तुरही सुनाई पड़ेगी, तो प्रभु स्वयं स्वर्ग से उतरेंगे। जो मसीह में विश्वास करते हुए मर गये, वे पहले जी उठेंगे, इसके बाद हम, जो उस समय तक जीवित रहेंगे, उनके साथ बादलों में आरोहित किये जायेंगे और आकाश में प्रभु से मिलेंगे। इस प्रकार हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 95:1,3-5,11-13

अनुवाक्य : प्रभु पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है।

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ। समस्त पृथ्वी प्रभु का भजन सुनाये। सभी राष्ट्रों में उसकी महिमा का बखान करो। सभी लोगों को उसके अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ।

2. प्रभु महान् है और अत्यन्त प्रशंसनीय। अन्य राष्ट्रों के देवता निस्सार हैं- हमारा प्रभु ही परम श्रद्धेय है। प्रभु ने आकाश का निर्माण किया है।

3. स्वर्ग में आननद हो और पृथ्वी पर उल्लास, सागर की लहरें गरज उठें, खेतों के पौधे खिल जायें और वन के सभी वृक्ष आनन्द का गीत गायें।

4. क्योंकि प्रभु का आगमन निश्चित है। वह पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है। वह धर्म और सच्चाई से संसार के राष्ट्रों का शासन करेगा।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है। उसने मुझे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाने भेजा है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 4:16-30

"उसने मुझे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाने भेजा है। अपनी मातृभूमि में नबी का स्वागत नहीं होता।"

येसु नाजरेत आये, जहाँ उनका पालन-पोषण हुआ था। विश्राम के दिन वह अपनी आदत के अनुसार सभागृह गये। वह पढ़ने के लिए उठ खड़े हुए और उन्हें नबी इसायस की पुस्तक दी गयी। पुस्तक खोल कर येसु ने वह स्थान निकाला, जहाँ लिखा है; प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है जिससे मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, बंदियों को मुक्ति का और अधों को दृष्टि-दान का संदेश दूँ, दलितों को स्वतंत्रता प्रदान करूँ और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करूँ। येसु ने पुस्तक बंद कर दी और उसे सेवक को दे कर वह बैठ गये। सभागृह के सब लोगों की आँखें उन पर लगी हुई थीं। तब वह उन से कहने लगे, "धर्मग्रन्थ का यह कथन आज तुम लोगों के सामने पूरा हो गया है।" सबों ने उनकी प्रशंसा की। वे उनके मनोहर शब्द सुन कर अचंभे में पड़ गये और कहने लगे, "क्या यह योसेफ का बेटा नहीं है?" येसु ने उन से कहा, "तुम लोग निश्चय ही मुझे यह कहावत सुना दोगे- ऐ वैद्य ! अपना ही इलाज करो। कफ़रनाहूम में जो कुछ हुआ है, हमने उसके बारे में सुना है वह सब अपनी मातृभूमि में भी कर दिखाइए।" फिर येसु ने कहा, “मैं तुम से कहे देता हूँ - अपनी मातृभूमि में नबी का स्वागत नहीं होता। मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि जब एलियस के दिनों में साढ़े तीन वर्षों तक पानी नहीं बरसा और सारे देश में घोर अकाल पड़ा था, तो उस समय इस्राएल में बहुत-सी विधवाएँ थीं। फिर भी एलियस उन में से किसी के पास नहीं भेजा गया वह सिदोन के सरेप्ता की एक विधवा के पास ही भेजा गया था। और नबी एलिसेयस के दिनों में इस्राएल में बहुत-से कोढ़ी थे। फिर भी उन में से कोई नहीं, बल्कि सीरी नामन ही नीरोग किया गया था।" यह सुन कर सभागृह के सब लोग बहुत क्रुद्ध हो गये। वे उठ खड़े हुए और उन्होंने येसु को नगर से बाहर निकाल दिया। जिस पहाड़ी पर उनका नगर बसा था, वे येसु को उसकी चोटी तक ले गये, ताकि उन्हें नीचे गिरा दें; परन्तु वह उनके बीच से निकल कर चले गये।

प्रभु का सुसमाचार।