वर्ष का तेईसवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

कलोसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:24-2:3

"जो रहस्य युगों तक गुप्त रहा, उसका संदेश सुनाने के लिए मैं कलीसिया का सेवक बन गया हूँ।"

इस समय मैं आप लोगों के लिए जो कष्ट पाता हूँ, इसके कारण मैं प्रसन्न हूँ। मसीह ने अपने शरीर अर्थात् कलीसिया के लिए जो दुःख भोगा है, उस में जो कमी रह गयी है, मैं उसे अपने शरीर में पूरा करता हूँ। मैं ईश्वर के विधान के अनुसार कलीसिया का सेवक बन गया हूँ, ताकि मैं आप लोगों को ईश्वर का वह संदेश, वह रहस्य सुनाऊँ, जो युगों तथा पीढ़ियों तक गुप्त रहा और अब उसके सन्तों के लिए प्रकट किया गया है। ईश्वर ने उन्हें दिखलाना चाहा कि गैरयहूदियों में इस रहस्य की कितनी महिमामय समृद्धि है। वह रहस्य यह है कि मसीह आप लोगों के बीच हैं और उन में आप लोगों की महिमा की आशा है। हम उन्हीं मसीह का प्रचार करते हैं, प्रत्येक मनुष्य को उपदेश देते और प्रत्येक मनुष्य को पूर्ण ज्ञान की शिक्षा देते हैं, जिससे प्रत्येक मनुष्य को मसीह के शरीर का पूर्ण अंग बना दें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं उनके सामर्थ्य से, जो मुझ में प्रबल रूप से क्रियाशील है, प्रेरित हो कर कठिन परिश्रम करते हुए संघर्ष में लगा रहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप जान जायें कि आप लोगों के लिए, लौदीकिया के विश्वासियों मुझे कभी नहीं देखा, मैं कितना कठोर परिश्रम करता रहता हूँ, जिससे वे हिम्मत न हारें, प्रेम परिपूर्णता प्राप्त करें और इस प्रकार ईश्वर के रहस्य के मर्म तक पहुँच जायें। वह रहस्य है की संपूर्ण निधि निहित है। और उन सबों के लिए, जिन्होंने की एकता में बँधे रहें, ज्ञान की मसीह, जिन में प्रज्ञा तथा ज्ञान

प्रभु की वाणी।

📖भजन

अनुवाक्य : ईश्वर से ही सुरक्षा और सम्मान मिलता है ।

1. मेरी आत्मा ईश्वर पर ही भरोसा रखे, क्योंकि उसी से सुरक्षा मिलती है। वही मेरी चट्टान है, मेरी सुरक्षा, मेरा गढ़- मैं विचलित नहीं होऊँगा

2. सभी लोग उसी की शरण लें और हर समय उसी पर भरोसा रखें । उसी के सामने अपना हृदय खोल दो, क्योंकि ईश्वर हमारा आश्रय है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।" अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:6-11

"वे इस बात की ताक में थे कि येसु विश्राम के दिन किसी को चंगा करें।"

येसु किसी विश्राम के दिन सभागृह में जा कर शिक्षा देने लगे। वहाँ एक मनुष्य था, जिसका दायाँ हाथ सूख गया था । शास्त्री और फ़रीसी इस बात की ताक में थे कि यदि येसु विश्राम के दिन किसी को चंगा करें, तो हम उन पर दोष लगायें । येसु ने उनके विचार जान कर सूखे हाथ वाले से कहा, "उठो और बीच में खड़े हो जाओ।" वह उठ खड़ा हो गया। येसु ने उन से कहा, “मैं तुम से पूछता हूँ - विश्राम के दिन भलाई करना उचित है या बुराई, जान बचाना या नष्ट करना ?" तब उन सबों पर दृष्टि दौड़ा कर उन्होंने उस मनुष्य से कहा, "अपना हाथ बढ़ाओ।" उसने ऐसा ही किया और उसका हाथ चंगा हो गया । वे बहुत क्रुद्ध हो गये और आपस में परामर्श करने लगे कि हम येसु के विरुद्ध क्या करें।

प्रभु का सुसमाचार।