विश्वास में सच्चे पुत्र तिमथी के नाम पौलुस का पत्र, जो हमारे मुक्तिदाता ईश्वर और येसु मसीह, हमारी आशा, के आदेशानुसार येसु मसीह का प्रेरित है। पिता ईश्वर और हमारे प्रभु येसु मसीह तुम्हें अनुग्रह, दया और शांति प्रदान करें । मैं हमारे प्रभु येसु मसीह को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने मुझे बल दिया और मुझे विश्वास के योग्य समझ कर अपनी सेवा में नियुक्त किया है। मैं तो पहले ईश-निन्दक, अत्याचारी और अन्यायी था; किन्तु मुझ पर दया की गयी है, क्योंकि अविश्वास के कारण मैं यह नहीं जानता था कि मैं क्या कर रहा हूँ। मुझे हमारे प्रभु का अनुग्रह प्रचुर मात्रा में प्राप्त हुआ और साथ ही वह विश्वास और प्रेम, जो हमें येसु मसीह द्वारा मिलता है।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! तू मेरा भाग्य है।
1. हे प्रभु ! तुझ पर ही मेरा भरोसा है। तू मेरी रक्षा कर। मैं प्रभु से कहता हूँ, "तू ही मेरा ईश्वर है। हे प्रभु ! तू मेरा सर्वस्व और मेरा भाग्य है। तेरे ही हाथों में मेरा जीवन है।"
2. मैं अपने परामर्शदाता ईश्वर को धन्य कहूँगा। मेरा अन्तःकरण रात को भी मुझे मार्ग दिखाता है। प्रभु सदा मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दाहिने विद्यमान है, इसलिए मैं दृढ़ बना रहता हूँ
3. तू मुझे जीवन का मार्ग दिखायेगा। तेरे पास रह कर परिपूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, तेरे दाहिने सदा के लिए सुख-शांति है ।
अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा ही सत्य है। सत्य की सेवा में हमें समर्पित कर । अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों को यह दृष्टान्त सुनाया, "क्या अंधा अंधे को राह दिखा सकता है ? क्या दोनों ही गड्ढे में नहीं गिर पड़ेंगे ? शिष्य गुरु से बड़ा नहीं होता। पूरी-पूरी शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह अपने गुरु जैसा बन सकता है।" "जब तुम्हें अपनी ही आँख की धरन का पता नहीं है, तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्यों देखते हो ? जब तुम अपनी ही आँख की धरन नहीं देखते, तो अपने भाई से कैसे कह सकते हो, 'भाई ! मैं तुम्हारी आँख का तिनका निकाल दूँ' ! रे ढोंगी ! पहले अपनी ही आँख की धरन निकाल लो। तभी तुम अपने भाई की आँख का तिनका निकालने के लिए अच्छी तरह देख सकोगे ।"
प्रभु का सुसमाचार।