वर्ष का चौबीसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

तिमथी के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 3:1-13

"धर्माध्यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्द्य हो ! उपयाजक भी निर्मल अन्तःकरण से विश्वास के प्रति ईमानदार रहें।"

यह कथन बिलकुल सच है कि यदि कोई अध्यक्ष बनना चाहता है, तो वह एक अच्छी बात की कामना करता है। धर्माध्यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्द्य हो, उसने केवल एक बार विवाह किया हो, वह संयमी, समझदार, भद्र, अतिथि-प्रेमी और कुशल शिक्षक हो। वह मद्यसेवी या क्रोधी नहीं, बल्कि सहनशील हो; वह झगड़ालू या लोभी न हो। वह अपने घर-बार का अच्छा प्रबन्ध करे और गंभीरतापूर्वक अपने बच्चों को अनुशासन में रखे। यदि कोई अपने घरबार का प्रबन्ध नहीं कर सकता, तो वह ईश्वर की कलीसिया की देखभाल कैसे करेगा? वह नवदीक्षित न हो, जिससे वह घमण्डी न बने और इस प्रकार शैतान की तरह दण्डित न हो जाये। यह भी आवश्यक है कि वह गैर-ईसाइयों में नेकनाम हो। कहीं ऐसा न हो कि वह चर्चा का विषय बने और शैतान के फन्दे में पड़ जाये । इसी तरह उपयाजक गंभीर तथा निष्कपट हों। वे न तो मद्यसेवी हों और न लोभी। वे निर्मल अन्तःकरण से विश्वास के प्रति ईमानदार रहें। पहले उनकी भी परीक्षा ली जाये और अनिन्द्य प्रमाणित हो जाने के बाद ही वे उपयाजकों का कार्य करें । उनकी पत्नियाँ चुगलखोर नहीं, बल्कि गंभीर, संयमी और सब बातों में विश्वसनीय हों । उपयाजक लोग ऐसे हों जिन्होंने केवल एक बार विवाह किया हो और जो अपने बच्चों तथा घरबार का, अच्छा प्रबन्ध करते हों। जो उपयाजक अपना सेवाकार्य अच्छी तरह पूरा करते हैं, वे प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं और येसु मसीह के विश्वास के विषय में प्रकट रूप से बोलने के अधिकारी हैं।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 100:1-3,5-6

अनुवाक्य : मैं सारे हृदय से अपने घर में सदाचरण करने का प्रयत्न करूँगा ।

1. मैं दया और न्याय का गीत गाऊँगा। हे प्रभु! मैं तेरे आदर में भजन सुनाऊँगा। मैंने सन्मार्ग पर चलने को ठाना है, तू कब मेरे पास आयेगा?

2. मैं सारे हृदय से अपने घर में सदाचरण करने का प्रयत्न करूँगा। मैं अपनी आँखों के सामने कोई भी बुराई सहन नहीं करूँगा

3. जो छिप कर अपने पड़ोसी की निन्दा करता है, मैं उसे चुप रहने के लिए विवश करूँगा। जो इठलाता है और घमण्ड करता है, मैं उसे अपने यहाँ नहीं रहने दूँगा

4. मेरी दृष्टि देश के प्रभु-भक्तों पर है, वे मेरे यहाँ रह जायें। जो सन्मार्ग पर चलता है, वही मेरा सेवक हो सकता है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है। अल्लेलूया !

h2>सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 7:11-17

"ऐ युवक ! मैं तुम से कहता हूँ, उठो ।"

येसु नाईम नगर गये। उनके साथ उनके शिष्य और एक विशाल जनसमूह भी चल रहा था। जब वह नगर के फाटक के निकट पहुँचे, तो लोग एक मुर्दे को बाहर ले जा रहे थे। वह अपनी माँ का एकलौता बेटा था और वह विधवा थी। नगर के बहुत-से लोग उसके साथ थे। माँ को देख कर प्रभु को उस पर तरस आया और उन्होंने उस से कहा, "मत रोओ", और पास आ कर उन्होंने अरथी का स्पर्श किया। इस पर ढोने वाले रुक गये। येसु ने कहा, "ऐ युवक ! मैं तुम से कहता हूँ, उठो ।" मुर्दा उठ बैठा और बोलने लगा। उसे येसु ने उसकी माँ को सौंप दिया । सब लोग विस्मित हो गये और यह कहते हुए ईश्वर की महिमा करने लगे, "हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है।" येसु के विषय में यह बात सारी यहूदिया और आसपास के समस्त प्रदेश में फैल गयी ।

प्रभु का सुसमाचार।