ईश्वर के सामने, जो सब को जीवन प्रदान करता है और येसु मसीह के सामने, जिन्होंने पोंतियुस पिलातुस के सम्मुख अपना उत्तम साक्ष्य दिया है, मैं तुम को यह आदेश देता हूँ कि हमारे प्रभु येसु मसीह की अभिव्यक्ति के दिन तक अपना धर्म निष्कलंक तथा निर्दोष बनाये रखो । यह अभिव्यक्ति यथासमय परमधन्य तथा एकमात्र अधीश्वर के द्वारा हो जायेगी। वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है, जो अमरता का एकमात्र स्रोत है, जो अगम्य ज्योति में निवास करता है, जिसे न तो किसी मनुष्य ने कभी देखा है और न कोई देख सकता है। उसे सम्मान तथा अनन्तकाल तक बना रहने वाला सामर्थ्य । आमेन ।
अनुवाक्य : उल्लास के गीत गाते हुए प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ ।
1. हे समस्त पृथ्वी ! प्रभु की स्तुति करो ! आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो ! उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो जाओ
2. यह जान लो कि वही ईश्वर है। उसी ने हम को बनाया है हम उसी के हैं। हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं
3. धन्यवाद देते हुए उसके मंदिर में प्रवेश करो, भजन गाते हुए उसके प्रांगण में आ जाओ, उसकी स्तुति करो और उसका नाम धन्य कहो
4. ओह ! ईश्वर कितना भला है ! उसका प्रेम चिरस्थायी है, उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है
अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो सच्चे और निष्कपट हृदय से ईश्वर का वचन सुरक्षित रखते हैं और अपने धीरज के कारण फल लाते हैं । अल्लेलूया !
एक विशाल जनसमूह एकत्र हो रहा था और नगर-नगर से लोग येसु के पास आ रहे थे। उस समय वह यह दृष्टान्त सुनाने लगे, "कोई बोने वाला बीज बोने निकला । बोते-बोते कुछ बीज रास्ते के किनारे गिरे वे पैरों से रौंदे गये और आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया। कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे वे उग कर नमी के अभाव में झुलस गये । कुछ बीज काँटों में गिरे साथ-साथ बढ़ने वाले काँटों ने उन्हें दबा दिया। कुछ बीज अच्छी भूमि में गिरे - वे उग कर सौ-गुना फल लाये ।" इतना कहने के बाद वह पुकार कर बोले, "जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले ।" शिष्यों ने उन से इस दृष्टान्त का अर्थ पूछा। उन्होंने उन से कहा, "तुम लोगों को ईश्वर के राज्य का भेद जानने का वरदान मिला है। दूसरों को केवल दृष्टान्त मिले, जिससे वे देखते हुए भी नहीं देखें और सुनते हुए भी नहीं समझें।" "दृष्टान्त का अर्थ इस प्रकार है। ईश्वर का वचन बीज़ है। रास्ते के किनारे गिरे हुए बीज वे लोग हैं जिन्होंने सुना है; परन्तु कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करें और मुक्ति प्राप्त कर लें, इसलिए शैतान आ कर उनके हृदय से वचन ले जाता है। चट्टान पर गिरे हुए बीज वे लोग हैं जो वचन सुनते ही प्रसन्नता से ग्रहण करते हैं, किन्तु जिन में जड़ नहीं है। वे कुछ ही काल तक विश्वास करते हैं और संकट के समय विचलित हो जाते हैं। काँटों में गिरे हुए बीज वे लोग हैं जिन्होंने सुना है, परन्तु आगे चल कर वे चिन्ता, धनसम्पत्ति और जीवन के भोग-विलास से दब जाते हैं और परिपक्वता तक नहीं पहुँच पाते । अच्छी भूमि में गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो सच्चे और निष्कपट हृदय से वचन को सुनकर सुरक्षित रखते हैं और अपने धीरज के कारण फल लाते हैं।"
प्रभु का सुसमाचार।