राजा दारा ने नदी के उस पार रहने वाले क्षत्रपों के नाम यह राजाज्ञा निकाली - "यहूदियों के राज्यपाल और उनके नेताओं को ईश्वर का वह मंदिर बनाने दो। वे उसे उसके मूल स्थान पर फिर बनाएँ। ईश्वर के उस मंदिर का निर्माण करने वाले यहूदी नेताओं के साथ तुम्हारे व्यवहार के विषय में मेरी राज्याज्ञा इस प्रकार है : राजकीय सम्पत्ति से - अर्थात् नदी के उस पार के राजस्व से उन लोगों का पूरा-पूरा खर्च तत्काल चुकाया जाये। मैं, दारा ने यह राजाज्ञा निकाली। इसका अक्षरशः पालन किया जाए।" नबी हग्गय और इद्दो के पुत्र नबी जकर्या की प्रेरणा से यहूदी नेता मंदिरे के निर्माण कार्य को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने वह कार्य पूरा किया, जिसे इस्राएल के ईश्वर, और फारस के राजाओं सीरुस, द्वारा और अर्तजर्कसीस ने उन्हें सौंपा था। राजा दारा के छठे वर्ष में, अदार महीने के तीसरे दिन, मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया। इस्त्राएलियों - याजकों, लेवियों तथा अन्य लौटे हुए निर्वासितों ने आनन्द के साथ ईश्वर के मंदिर का प्रतिष्ठान-उत्सव मनाया। ईश्वर के इस मंदिर के प्रतिष्ठान के समय उन्होंने एक सौ साँड़ों, दो सौ मेड़ों, चार सौ मेमनों और इस्राएल के वंशों की संख्या के अनुसार समस्त इस्राएल के पापों के प्रायश्चित्त के लिए बारह बकरों की बलि चढ़ायी। इसके बाद उन्होंने येरुसालेम में ईश्वर के मंदिर के लिए याजकों को दलों में विभक्त किया और लेवियों को श्रेणियों में, जैसा कि मूसा के ग्रन्थ में लिखा हुआ है। लौटे हुए निर्वासितों ने प्रथम महीने के चौदहवें दिन पास्का पर्व मनाया। याजकों और लेवियों ने शुद्धीकरण की रीतियों को पूरा किया। वे सब के सब शुद्ध हो गये। लेवियों ने लौटे हुए निर्वासितों, अपने साथी याजकों और अपने लिए पास्का के मेमने का वध किया ।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : आओ, हम ईश्वर के मंदिर चलें ।
1. मुझे यह सुन कर कितना आनन्द हुआ - "आओ, हम ईश्वर के मंदिर चलें।" हे येरुसालेम ! अब हम पहुँचे हैं, हमने तेरे फाटकों में प्रवेश किया है
2. येरुसालेम का पुनर्निर्माण हो गया है, यहाँ इस्राएल के वंश, प्रभु के वंश आते हैं। वे ईश्वर का स्तुतिगान करने आते हैं, जैसा कि इस्राएल को आदेश मिला है। यहाँ न्याय के आसन संस्थापित हैं और दाऊद के वंश का सिंहासन भी।
अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं। अल्लेलूया !
येसु की माता और भाई उन से मिलने आए, किन्तु भीड़ के कारण उनके पास नहीं पहुँच सके। लोगों ने उन से कहा, "आपकी माता और आपके भाई बाहर हैं। वे आप से मिलना चाहते हैं।" उन्होंने उत्तर दिया, "मेरी माता और मेरे भाई वे हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।"
प्रभु का सुसमाचार।