वर्ष का छब्बीसवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

नबी ज़कर्या का ग्रन्थ 8:1-8

"मैं पूर्व के देशों से और सूर्यास्त के देशों से अपनी प्रजा का उद्धार करूँगा।" विश्वमंडल के प्रभु की वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ी - विश्वमंडल का प्रभु यह कहता है : मैं सियोन की बहुत अधिक चिन्ता करता हूँ, मुझ में उसके प्रति प्रबल उत्साह है। प्रभु यह कहता है : मैं सियोन लौट रहा हूँ, मैं येरुसालेम में निवास करने आ रहा हूँ। येरुसालेम निष्ठावान् नगर, और विश्वमंडल के प्रभु का पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा । विश्वमंडल के प्रभु यह कहता है : वृद्ध पुरुष और स्त्रियाँ अपने बुढ़ापे के कारण हाथ में छड़ी लिए हुए, फिर येरुसालेम के चौकों में बैठेंगे और नगर के चौक खेलते हुए लड़कों और लड़कियों से भरे रहेंगे । विश्वमंडल का प्रभु यह कहता है: यदि उस दिन इस राष्ट्र के बचे हुए लोगों को असंभव-सा लगेगा, तो क्या यह मुझे भी असंभव सा लगेगा? यह विश्वमंडल के प्रभु की वाणी है। विश्वमंडल का प्रभु यह कहता है: देखो ! मैं पूर्व के देशों से और सूर्यास्त के देशों से अपनी प्रजा का उद्धार करूँगा । मैं उन्हें वापस ले आऊँगा और वे येरुसालेम में निवास करेंगे। वे निष्ठा और न्याय से मेरी प्रजा होंगे और मैं उनका ईश्वर होऊँगा ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 101:16-21,29,22-23

अनुवाक्य : प्रभु सियोन का पुनर्निर्माण करेगा और अपनी सम्पूर्ण महिमा में प्रकट हो जाएगा ।

1. सभी राष्ट्र प्रभु के नाम पर श्रद्धा रखेंगे और पृथ्वी के समस्त राजा उसके प्रताप के सामने झुकेंगे, क्योंकि प्रभु सियोन का पुनर्निर्माण करेगा और अपनी सम्पूर्ण महिमा में प्रकट हो जाएगा। वह दीन-दुःखियों की प्रार्थना सुनेगा, वह उनकी प्रार्थनाओं का तिरस्कार नहीं करेगा ।

2. भावी पीढ़ी के लिए यह लिखा जाए, ताकि नवीन राष्ट्र प्रभु की स्तुति करें। प्रभु ने अपने ऊँचे तथा पवित्र स्थान से झुक कर देखा और स्वर्ग से पृथ्वी पर दृष्टि दौड़ायी, जिससे वह बंदियों की कराह सुने और मरने वालों को छुड़ा दे।

3. तेरे भक्तों के पुत्र सुरक्षा में निवास करेंगे और उनका वंश तेरे सामने बना रहेगा, जिससे सियोन में प्रभु के नाम की चर्चा हो और येरुसालेम में उसकी स्तुति होती रहे, जब पृथ्वी भर के सभी राष्ट्र प्रभु की पूजा के लिए मिल कर एक हो जाएँगे ।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! मानव पुत्र सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:46-50

"तुम सबों में जो छोटा है वही बड़ा है।"

शिष्यों में यह विवाद छिड़ गया कि हम में सब से बड़ा कौन है? येसु ने उनके विचार जान कर एक बालक को बुलाया और उसे अपने पास खड़ा कर उन से कहा, "जो मेरे नाम पर इस बालक का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह उसका स्वागत करता है जिसने मुझे भेजा है; क्योंकि तुम सबों में जो छोटा है, वही बड़ा है।" योहन ने कहा, "गुरुवर ! हमने किसी को आपका नाम ले कर अपदूतों को निकालते देखा है और हमने उसे रोकने की चेष्टा की, क्योंकि वह हमारी तरह आपका अनुसरण नहीं करता।" येसु ने कहा, "उसे मत रोको । जो तुम्हारे विरुद्ध नहीं है, वह तुम्हारे साथ है।"

प्रभु का सुसमाचार।