वर्ष का छब्बीसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

नबी बारूक का ग्रन्थ 4:5-12,27-29

"जिसने तुम पर विपत्तियाँ आने दिया, वही तुम्हें आनन्द प्रदान करेगा।"

हे मेरी प्रजा ! ढारस रखो तुम इस्राएल का नाम बनाये रखती हो । तुम विनाश के लिए गैरयहूदियों के हाथ नहीं बिकी हो । तुमने ईश्वर का क्रोध भड़काया था, इसलिए तुम अपने शत्रुओं के हवाले कर दी गयी। तुमने अपने सृष्टिकर्ता को अप्रसन्न किया, क्योंकि तुमने ईश्वर को नहीं, बल्कि अपदेवताओं को बलि चढ़ायी थी। तुम ने शाश्वत ईश्वर को भुला दिया, जो तुम्हें भोजन दिया करता था। तुमने येरुसालेम को दुःख पहुँचाया, जिसने तुम्हारा पालन किया है। येरुसालेम ने ईश्वर का क्रोध तुम पर आते देखा और कहा, "हे सियोन की पड़ोसिनो ! मेरी बात सुनो ! ईश्वर ने मुझ पर बड़ा शोक भेजा। मैंने देखा कि शाश्वत ईश्वर ने मेरी प्रजा को बन्दी बना कर निर्वासित किया है। मैंने आनन्दित हो कर उसका पालन-पोषण किया, किन्तु आँसू बहाते हुए और दुःखी हो कर मैंने उसे जाते हुए देखा । मैं विधवा तथा सब से परित्यक्ता हूँ – कोई मेरा उपहास न करे। मैं अपनी प्रजा के पापों के कारण अकेली रह गयी हूँ, क्योंकि उसने ईश्वर की संहिता का मार्ग छोड़ दिया है।" "हे मेरी प्रजा ! ढारस रखो ! ईश्वर की दुहाई दो, क्योंकि जिसने यह सब तुम पर आने दिया, वही तुम्हारी सुध लेगा । तुम ने पहले ईश्वर से दूर हो जाने की बात सोची थी। अब दस-गुने उत्साह से उसके पास लौटने की चेष्टा करो, क्योंकि जिसने तुम पर इन विपत्तियों को आने दिया, वही तुम्हारा उद्धार कर तुम्हें अनन्त आनन्द प्रदान करेगा।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 68:33-37

अनुवाक्य : प्रभु दरिद्रों की पुकार सुनता है।

1. दीन-हीन यह देख कर आनन्दित हो उठेंगे, प्रभु-भक्तों में नवजीवन का संचार होगा; क्योंकि प्रभु दरिद्रों की पुकार सुनता है, वह अपनी पराधीन प्रजा का तिरस्कार नहीं करता । आकाश और पृथ्वी प्रभु की स्तुति करें, समुद्र भी और उस में विचरने वाले जन्तु।

2. ईश्वर सियोन का उद्धार करेगा और यहूदा के नगरों का पुनर्निर्माण करेगा। उसकी प्रजा लौट कर वहाँ आ जायेगी । उसके सेवकों के उत्तराधिकारी वहाँ बस जायेंगे, प्रभु के भक्त वहाँ निवास करेंगे ।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:17-24

"इसलिए आनन्दित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं।"

बहत्तर शिष्य सानन्द लौटे और बोले, "हे प्रभु! आपके नाम के कारण अपदूत भी हमारे अधीन हैं।" येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "मैंने शैतान को बिजली की तरह स्वर्ग से गिरते देखा। मैंने तुम्हें साँपों, बिच्छुओं और बैरी की सारी शक्ति को कुचलने का सामर्थ्य दिया है कुछ भी तुम्हें हानि नहीं पहुँचा सकेगा। लेकिन, इसलिए आनन्दित न हो कि अपदूत तुम्हारे अधीन हैं, बल्कि इसलिए आनन्दित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं।" उसी घड़ी येसु ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो कर आनन्द के आवेश में कहा, "हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा कर निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। हाँ, पिता, यही तुझे अच्छा लगा। मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। पिता को छोड़ कर यह कोई भी नहीं जानता कि पुत्र कौन है और पुत्र को छोड़ कर यह कोई भी नहीं जानता कि पिता कौन है। केवल वही जानता है जिसके लिए पुत्र उसे प्रकट करने की कृपा करे।" तब उन्होंने अपने शिष्यों की ओर मुड़ कर एकांत में उन से कहा, "धन्य हैं वे आँखें, जो यह सब देखती हैं जिसे तुम देखते हो ! क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ तुम जो बातें देख रहे हो, उन्हें कितने ही नबी और राजा देखना चाहते थे, परन्तु उन्होंने उनको देखा नहीं और जो बातें तुम सुन रहे हो, वे उन को सुनना चाहते थे, परन्तु उन को सुना नहीं।"

प्रभु का सुसमाचार।