वर्ष का सत्ताईसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

नबी योना का ग्रन्थ 3:1-10

"निनिवे के लोगों ने कुमार्ग छोड़ दिया और ईश्वर द्रवित हो गया ।"

प्रभु की वाणी योना को दूसरी बार यह कहते हुए सुनाई पड़ी, "उठो ! महानगर निनिवे जा कर वहाँ के लोगों को उपदेश दो, जैसा कि मैंने तुम्हें बताया है।" इस पर योना उठ खड़ा हुआ और प्रभु के आज्ञानुसार निनिवे चला गया। निनिवे एक बहुत बड़ा शहर था। उसे पार करने में तीन दिन लगते थे। योना ने उस में प्रवेश किया और एक दिन की यात्रा पूरी करने के बाद वह इस प्रकार उपदेश देने लगा, "चालीस दिन के बाद निनिवे का विनाश किया जायेगा।" निनिवे के लोगों ने ईश्वर की बात पर विश्वास किया। उन्होंने उपवास की घोषणा की और बड़ों से ले कर छोटों तक सबों ने टाट ओढ़ लिया। निनिवे के राजा सत्ताईसवाँ सप्ताह - मंगलवार 671 ने यह खबर सुनी। उसने अपना सिंहासन छोड़ दिया, अपने वस्त्र उतार कर टाट पहन लिया और वह राख पर बैठ गया। इसके बाद उसने निनिवे में यह आदेश घोषित किया, "यह राजा तथा उसके सामन्तों का आदेश है : चाहे मनुष्य हो या पशु, गाय-बैल हो या भेड़-बकरी, कोई भी न तो खायेगा, न चरेगा और न पानी पियेगा। सभी व्यक्ति टाट ओढ़ कर पूरी शक्ति से ईश्वर की दुहाई देंगे। सभी अपना कुमार्ग तथा अपने हाथों से होने वाले हिंसात्मक कार्य छोड़ दें। क्या जाने ईश्वर द्रवित हो जाये, उसका क्रोध शांत हो जाये और हमारा विनाश न हो।" ईश्वर ने देखा कि वे क्या कर रहे हैं और किस प्रकार उन्होंने कुमार्ग छोड़ दिया है, तो वह द्रवित हो गया और उसने जिस विपत्ति की धमकी की थी, उसे उन पर नहीं आने दिया ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 129:1-4,7-8

अनुवाक्य : हे प्रभु ! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा, तो कौन टिक सकेगा?

1. हे प्रभु! मैं गहरे गर्त्त में से तेरी दुहाई देता हूँ। हे प्रभु! तू मेरी पुकार सुन और मेरी विनती पर धयान देने की कृपा कर

2. हे प्रभु ! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा, तो कौन टिक सकेगा? तुझ से पापों की क्षमा मिलती है, इसलिए लोग तुझ पर श्रद्धा रखते हैं

3. दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है। वह इस्राएल को सब अपराधों से मुक्त करेगा ।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:38-42

"मरथा ने अपने यहाँ उनका स्वागत किया। मरियम ने सब से उत्तम भाग चुन लिया ।"

येसु एक गाँव आये और मरथा नामक महिला ने अपने यहाँ उसका स्वागत किया। उसके मरियम नामक एक बहन थी, जो प्रभु के चरणों में बैठ कर उनकी शिक्षा सुनती रही। परन्तु मरथा सेवा-सत्कार के अनेक कार्यों में व्यस्त थी। उसने पास आ कर कहा, "प्रभु ! क्या आप यह ठीक समझते हैं कि मेरी बहन ने सेवा-सत्कार का पूरा भार मुझ पर ही छोड़ दिया है? उस से कहिए कि वह मेरी सहायता करे।" प्रभु ने उसे उत्तर दिया, "मरथा ! मरथा ! तुम बहुत-सी बातों के विषय में चिन्तित और व्यस्त हो; फिर भी एक ही बात आवश्यक है। मरियम ने सब से उत्तम भाग चुन लिया है, वह उस से नहीं लिया जायेगा ।"

प्रभु का सुसमाचार।