वर्ष का सत्ताईसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 1

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📕पहला पाठ

नबी योएल का ग्रन्थ 1:13-15; 2:1-2

"प्रभु का दिन अन्धकार और विषाद का दिन है।"

हे याजको ! टाट ओढ़ कर शोक मनाओ। वेदी के सेवको ! विलाप करो। मेरे ईश्वर के सेवको ! शोक के वस्त्र पहन कर रात बिताओ; क्योंकि तुम्हारे ईश्वर का मंदिर नैवेद्य और तर्पण से वंचित हो गया है। उपवास की घोषणा करो, सभा बुलाओ, बूढ़ों और देश के सभी निवासियों को अपने प्रभु-ईश्वर के मंदिर में एकत्र करो और प्रभु की दुहाई दो। हाय ! वह दिन आ रहा है। प्रभु का दिन निकट आ गया है। वह सर्वशक्तिमान् की विनाश-लीला की तरह आ रहा है। सियोन में तुरही बजाओ। मेरे पवित्र पर्वत पर खतरे का घंटा बजा दो। देश के सभी निवासी काँप उठें, क्योंकि प्रभु का दिन आ रहा है, वह निकट आ गया है। वह अन्धकार और विषाद का दिन है। वह बादलों और अँधेरे का दिन है। एक बहुसंख्यक और शक्तिशाली सेना काले बादल की तरह पर्वतों पर फैल रही है। इस प्रकार की सेना न पहले कभी थी और न अनन्तकाल तक फिर कभी होगी ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 9:2-3,6,16,8-9

अनुवाक्य : प्रभु न्यायपूर्वक संसार का विचार करेगा।

1. हे प्रभु ! मैं सारे हृदय से तुझे धन्यवाद देता हूँ, मैं तेरे सभी अपूर्व कार्यों का बखान करता हूँ। मैं उल्लसित हो कर तुझ से आनन्द मनाता और तेरे पवित्र नाम के आदर में भजन गाता हूँ

2. तूने राष्ट्रों को हटा दिया और दुष्टों का सर्वनाश किया, तूने सदा के लिए उनका नाम मिटा दिया है। राष्ट्र उस चोरगढ़े में गिरे, जिसे उन्होंने खोदा था, जो फन्दा उन्होंने लगाया था, उसी में उनके पैर फँस गये ।

3. प्रभु का राज्य सदा बना रहेगा। वह अपने न्यायासन पर विराजमान है - वह न्यायपूर्वक संसार का विचार करेगा, वह सच्चाई से लोगों का विचार करेगा ।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "अब इस संसार का नायक निकाल दिया जायेगा। और मैं जब पृथ्वी के ऊपर उठाया जाऊँगा, तो सब मनुष्यों को अपनी ओर आकर्षित करूँगा ।" अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 11:15-26

"यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकालता हूँ, तो ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।"

जब येसु ने एक अपदूत निकाला था, तो लोगों में से कुछ ने कहा, "यह अपदूतों के नायक बेलजेबुल की सहयता से अपदूतों को निकालता है।" कुछ लोग येसु की परीक्षा लेने के लिए उन से स्वर्ग की ओर का कोई चिह्न माँगने लगे। उनके विचार जान कर येसु ने उन से कहा, "जिस राज्य में फूट पड़ जाती है, वह उजड़ जाता है और घर के घर ढह जाते हैं। यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करने लगे, तो उसका राज्य कैसे टिका रहेगा? तुम कहते हो कि मैं बेलजेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ। यदि मैं बेलजेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसकी सहायता से उन्हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्याय करेंगे। परन्तु यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकालता हूँ, तो निस्संदेह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।" "यदि कोई बलवान् मनुष्य हथियार बाँध कर अपने घर की रखवाली करता हो तो उसकी धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहती है । पर यदि कोई उस से भी बलवान् उस पर टूट पड़े और उसे हरा दे, तो जिन हथियारों पर उसका भरोसा था, वह उन्हें उस से छीन लेता है और उसका माल लूट कर बाँट देता है।" "जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है।" "जब अशुद्ध आत्मा किसी मनुष्य से निकलता है, तो वह विश्राम की खोज में निर्जन स्थानों में भटकता फिरता है। विश्राम न मिलने पर वह कहता है; 'जहाँ से निकला हूँ, अपने उसी घर को वापस जाऊँगा' । लौट कर वह उस घर को झाड़ा-बुहारा और सजाया हुआ पाता है। तब वह जा कर अपने से भी बुरे सात अपदूतों को ले आता है और वे उस घर में घुस कर वहीं बस जाते हैं। और उस मनुष्य की यह पिछली दशा पहली से भी बुरी हो जाती है।"

प्रभु का सुसमाचार।


📚 मनन-चिंतन

आज का सुसमाचार ईश्वर के साथ हमारे संबंध के विषय पर प्रकाश डालता है। यह दोहरे विश्वास का परिचय देता है: पहला, कि निष्पक्षता असंभव है, और दूसरा, कि एक शिष्य के जीवन में ईश्वर के प्रति निष्ठा के अलावा कोई निश्चित अवस्था नहीं होती। ईश्वर के राज्य को उपस्थित करने की हमारी प्रतिबद्धता में, हमें येसु के पक्ष में होने का निर्णय लेना चाहिए। मिशनरी शिष्य को, येसु की तरह, बुराई के खिलाफ संघर्ष में शामिल होना चाहिए। यह हमारी मुख्य चिंताओं में से एक होनी चाहिए, क्योंकि यह वास्तव में ईश्वर के साथ हमारे रिश्ते और येसु के साथ हमारे जुड़ाव को प्रदर्शित करता है। यह येसु के साथ होना, उससे संबंधित होना है, जो हर प्रकार की बुराई के खिलाफ हमारे संघर्ष को निर्धारित और समर्थन करता है। अच्छा देखना और उसे बुरा मानना निश्चित रूप से अंधापन का सबसे चरम रूप है जिसकी कल्पना भी नहीं जा सकती। येसु के शिष्य को, चीज़ों को पहचानने और वास्तव में यह देखना चाहिए कि वे कहाँ से आती हैं और उनकी जड़ क्या है।

फादर संजय कुजूर एस.वी.डी.

📚 REFLECTION


Today’s Gospel sheds light on the theme of our relationship with God. It introduces a double conviction: first, that neutrality is impossible, and second, that there are no definitive states in the life of a disciple, except fidelity to God. In our commitment to make the kingdom of God present, we must make the decision to be on the side of Jesus. The missionary disciple must, like Jesus, be involved in the struggle against evil. This should be one of our main concerns, because it genuinely demonstrates our filial relationship with God and our communion with Jesus. It is being with Jesus, belonging to him, that determines and supports our struggle against every form of evil. To see good and to judge it to be evil is surely the most extreme form of blindness imaginable. A disciple of Jesus must discern things and really look at where they come from, what their root is.

-Fr. Sanjay Kujur SVD

📚 मनन-चिंतन -2

आज के सुसमाचार में हम देखते हैं कि नेताओं द्वारा येसु के विरुद्ध एक भयानक अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने येसु पर अपदूतों के नायक बेलजेबुल के साथ होने का आरोप लगाया। यह बहुत ही भयावह था लेकिन येसु इससे जरा भी विचलित नहीं हुये और इस बात को लेकर कुछ बिंदुओं को बहुत स्पष्ट कर दिया। संत पापा फ्राँसिस का कहना है कि येसु ने हम सभी के पालन और सुरक्षा के लिए तीन मानदंड निर्धारित किए। सबसे पहले, येसु शैतान से लड़ते है। हमें इस सच्चाई को भ्रमित नहीं करना चाहिए। दूसरी बात कि हमें थोडा इधर थोडा उधर का रवेया का नहीं अपनाना चाहिये। जो येसु के साथ नहीं है, वह येसु के विरुद्ध है। तीसरी और महत्वपूर्ण बात, हमारे दिलों पर सतर्कता होनी चाहिये क्योंकि शैतान चालाक है। उसे हमेशा के लिए बाहर नहीं किया जाता है। केवल अंतिम दिन ऐसा ही होगा।”

फादर रोनाल्ड मेलकम वॉन

📚 REFLECTION


In today’s gospel we find a sinister campaign being run against Jesus by leaders. They blamed Jesus for being in association with the Beelzebul, the prince of demons. It was quite sinister however Jesus remained unfazed and made certain points very clear in this episode. Pope Francis says Jesus set three criteria for all to observe and be guarded. First of all, Jesus fights the devil. We must not confuse this truth. Secondly there is nothing being here or being there. He who is not with Jesus is against Jesus. The third and important thing, the vigilance over our hearts because the devil is astute. He is never cast out forever. It will only be so on the last day.”

-Fr. Ronald Melcum Vaughan

मनन-चिंतन - 3

जब प्रभु येसु के ऊपर आरोप लगाया गया कि वे अपदूतों के नायक बेलज़ेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालते हैं, तब सब से पहले प्रभु ने उन्हें उस तर्क का मिथ्यात्व दिखाया। उसके बाद उन्होंने अपने कार्यों की सच्चाई प्रस्तुत की। उन्होंने अपने आलोचकों को बताया कि वे ईश्वर की शक्ति और सामर्थ्य से ही अपदूतों को निकाल रहे थे, न कि बेलज़ेबुल की सहायता से। प्रभु ईश्वर शैतान से बहुत अधिक ताकत रखते हैं, वे शैतान के हथियारों को छीन कर उसे हरा कर खाली हाथ भेज सकते हैं। प्रभु येसु इसी सामर्थ्य से ही अपदूतों को निकाल रहे थे। यह ईश्वर के राज्य के आगमन का प्रमाण है। इस अवसर प्रभु यह भी कहते हैं कि जिस व्यक्ति से अशुध्द आत्मा निकलता है उस व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि वह जा कर अपने से भी बुरे सात अपदूतों को ले कर वापस उसी व्यक्ति में निवास करने के लिए आ सकता है और उस मनुष्य की यह पिछली दशा पहली से भी बुरी हो सकती है। संत पेत्रुस कहते हैं, “आप संयम रखें और जागते रहें! आपका शत्रु, शैतान, दहाड़ते हुए सिंह की तरह विचरता है और ढूँढ़ता रहता है कि किसे फाड़ खाये। आप विश्वास में दृढ़ हो कर उसका सामना करें।“ (1पेत्रुस 5:8-9) संत पौलुस कहते हैं, “आप ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप शैतान की धूर्तता का सामना करने में समर्थ हों” (एफेसियों 6:11) शैतान के प्रभाव तथा फन्दों से बचे रहने के लिए हम ईश्वर से लिपटे रहें।

-फादर फ्रांसिस स्करिया


SHORT REFLECTION

When some people accused Jesus of using the power of Beelzebul, the chief of the demons, first of all, Jesus showed them the falsity of this accusation. He, then proceeded to show them the truth. He told his critics that he was casting out demons with the power or God rather than of Beelzebul, the prince of the demons. God has much greater power than Beelzebul. God can simply disarm the devil and send him away empty handed. It is this mighty hand of God that was at work in Jesus when he cast out demons. This is a sign also of the advent of the Kingdom of God. Jesus also warns that the one from whom the demon is cast out needs to be alert because the unclean spirit can go and bring “seven other spirits more evil than itself” to enter and live in that person to make the last state of that person worse than the first. St. Peter says, “Discipline yourselves, keep alert. Like a roaring lion your adversary the devil prowls around, looking for someone to devour. Resist him, steadfast in your faith” (1Pet 5:8-9). St. Paul says, “Put on the whole armor of God, so that you may be able to stand against the wiles of the devil” (Eph 6:11). Let us cling on to Jesus to be free from the snares of the devil.

-Fr. Francis Scaria