वर्ष का सत्ताईसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

नबी योएल का ग्रन्थ 4:12-21

"हँसिया चलाओ, क्योंकि फसल पक चुकी है।"

प्रभु यह कहता है, "हँसिया चलाओ, क्योंकि फसल पक चुकी है। आओ और अंगूर रौंदो, क्योंकि कोल्हू परिपूर्ण है। कुण्ड लबालब भरे हुए हैं, क्योंकि राष्ट्रों की दुष्टता अपार है।" विचार की घाटी में लोगों की भारी भीड़ लग रही है, क्योंकि विचार की घाटी में प्रभु का दिन निकट आ गया है। सूर्य और चन्द्रमा अन्धकारमय होते जा रहे हैं और नक्षत्रों की ज्योति बुझ रही है। प्रभु सियोन से गरज रहा है, येरुसालेम से उसकी आवाज ऊँची उठ रही है। स्वर्ग और पृथ्वी काँप रहे हैं। किन्तु प्रभु अपनी प्रजा के लिए आश्रय सिद्ध होगा, इस्राएलियों के लिए सुदृढ़ गढ़ होगा। "उस दिन तुम जान जाओगे कि मैं तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ, जो अपने पवित्र पर्वत सियोन पर निवास करता है। येरुसालेम पवित्र होगा और विदेशी उसे फिर पार नहीं करेंगे । उस दिन पर्वतों से अंगूरी टपकेगी, पहाड़ियों से मधु की धाराएँ फूट निकलेंगी और यहूदियों की सब नदियों में भरपूर पानी होगा, क्योंकि प्रभु के मंदिर में से एक जलस्रोत बह निकलेगा जो बाबुल की घाटी को सींचेगा। मिस्त्र ऊसर हो जायेगा और एदोम मरुभूमि, क्योंकि उन्होंने यूदा के पुत्रों के साथ अत्याचार किया और अपने देश में उनका निर्दोष रक्त बहाया ।" किन्तु यहूदिया सदैव बसी रहेगी और येरुसालेम युग-युग आबाद रहेगा । "मैं उनके रक्त का बदला लूँगा, वह अदंडित नहीं रहेगा"; क्योंकि प्रभु सियोन में निवास करता रहेगा ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 96:1-2,5-6,11-12

अनुवाक्य : हे धर्मियो ! प्रभु में आनन्द मनाओ।

1. प्रभु राज्य करता है। पृथ्वी प्रफुल्लित हो जाये, असंख्य द्वीप आनन्द मनायें । अन्धकारमय बादल उसके चारों ओर मँडराते हैं । उसका सिंहासन सत्य और न्याय पर आधारित है।

2. पृथ्वी के अधिपति के आगमन पर पर्वत मोम की तरह पिघलते हैं। आकाश प्रभु का न्याय घोषित करता है। सभी राष्ट्र उसकी महिमा देखते हैं

3. धर्मी और निष्कपट लोगों के लिए ज्योति और आनन्द का उदय हुआ है। हे धर्मियो ! प्रभु में आनन्द मनाओ और उसके पवित्र नाम की स्तुति करो ।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 11:27-28

"धन्य है वह गर्भ, जिसने आप को धारण किया । वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते है।"

येसु लोगों को उपदेश दे ही रहे थे कि भीड़ में से कोई स्त्री उन्हें संबोधित करते हुए ऊँचे स्वर से बोल उठी, "धन्य है वह गर्भ, जिसने आप को धारण किया और धन्य हैं वे स्तन, जिनका आपने पान किया है!" परन्तु येसु ने कहा, “ठीक है; किन्तु वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।"

प्रभु का सुसमाचार।