वर्ष का अट्ठाईसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:13,16-18

"उसने निराशाजनक परिस्थिति में भी आशा रख कर विश्वास किया ।"

ईश्वर ने इब्राहीम और उनके वंश को प्रतिज्ञा की कि वे पृथ्वी के उत्तराधिकारी होंगे। यह इसलिए नहीं हुआ कि इब्राहीम ने संहिता का पालन किया, बल्कि इसलिए कि उन्होंने विश्वास किया और ईश्वर ने उन्हें धार्मिक माना है। यह प्रतिज्ञा विश्वास पर, और इसलिए कृपा पर भी, निर्भर रहती है। वह न केवल उन लोगों पर, जो संहिता का पालन करते हैं, बल्कि समस्त वंश पर लागू होती है उन सबों पर जो इब्राहीम की तरह विश्वास करते हैं। इब्राहीम हम सबों के पिता हैं। जैसा कि लिखा है - मैंने तुम को बहुत-से राष्ट्रों का पिता नियुक्त किया है। ईश्वर की दृष्टि में इब्राहीम हमारे पिता हैं। इब्राहीम ने निराशाजनक परिस्थिति में भी आशा रख कर विश्वास किया और वह बहुत-से राष्ट्रों के पिता बन गये, जैसा कि उन से कहा गया था - तुम्हारे असंख्य वंशज होंगे।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 104:6-9,42-43

अनुवाक्य : प्रभु सदा अपना विधान याद करता है। अथवा : अल्लेलूया !

1. हे प्रभु-भक्त इब्राहीम की सन्तति ! हे प्रभु के कृपापात्र याकूब के पुत्रो ! प्रभु ही हमारा ईश्वर है, उसके निर्णय समस्त पृथ्वी पर लागू हैं

2. वह सदा अपना विधान याद करता है, हजारों पीढ़ियों के लिए अपनी प्रतिज्ञाएँ, इब्राहीम के लिए ठहराया हुआ विधान, इसहाक के सामने खायी हुई शपथ

3. उसने अपने सेवक इब्राहीम को दी गयी अपनी पवित्र प्रतिज्ञा का स्मरण रखा । इसलिए वह अपनी प्रफुल्लित प्रजा को, आनन्द के गीत गाते हुए अपने कृपापात्रों को निकाल लाया।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "सत्य का आत्मा मेरे विषय में साक्ष्य देगा और तुम भी साक्ष्य होगे।" अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 12:8-12

"उसी घड़ी पवित्र आत्मा तुम्हें सिखायेगा, कि तुम्हें क्या-क्या कहना चाहिए।"

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "जो मुझे मनुष्यों के सामने स्वीकार करेगा, उसे मानव पुत्र भी ईश्वर के दूतों के सामने स्वीकार करेगा। परन्तु जो मुझे मनुष्यों के सामने अस्वीकार करेगा, वह ईश्वर के दूतों के सामने अस्वीकार किया जायेगा।" "यदि कोई मानव पुत्र के विरुद्ध कुछ कहे तो उसे क्षमा मिल जायेगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा करने वाले को क्षमा नहीं मिलेगी ।" "जब वे तुम्हें सभागृहों, न्यायधीशों और शासकों के सामने खींच ले जायेंगे, तो यह चिन्ता न करो कि हम कैसे बोलेंगे और अपनी ओर से क्या कहेंगे; क्योंकि उसी घड़ी पवित्र आत्मा तुम्हें सिखायेगा कि तुम्हें क्या-क्या कहना चाहिए।"

प्रभु का सुसमाचार।