मैं आपकी मानवीय दुर्बलता के कारण साधारण मानव जीवन का उदाहरण दे रहा हूँ। आप लोगों ने जिस तरह पहले अपने शरीर को अशुद्धता और अधर्म के अधीन किया था, जिस से वह दूषित हो गया था, उसी तरह अब आप को अपने शरीर को धार्मिकता के अधीन करना चाहिए, जिससे वह पवित्र हो जाये। क्योंकि जब आप पाप के दास थे, तो धार्मिकता के नियंत्रण से मुक्त थे। उस समय आप को उन कर्मों से क्या लाभ हुआ जिसके कारण अब आप को लज्जा होती है? क्योंकि उनका परिणाम मृत्यु है। किन्तु अब पाप से मुक्त हो कर आप ईश्वर के दास बन गये और पवित्रता का फल उत्पन्न कर रहे हैं, जिसका परिणाम है अनन्त जीवन; क्योंकि पाप का वेतन मृत्यु है, किन्तु ईश्वर का वरदान है- हमारे प्रभु येसु मसीह में अनन्त जीवन।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य है वह मनुष्य, जो प्रभु पर भरोसा रखता है।
1. धन्य है वह मनुष्य, जो दुष्टों की सलाह नहीं मानता, जो पापियों के मार्ग पर नहीं चलता और अधर्मियों के साथ नहीं बैठता, जो प्रभु का नियम हृदय से चाहता और रात-दिन उसका मनन करता है।
2. वह उस वृक्ष के सदृश है, जो जलस्रोत के पास लगाया गया है, जो समय पर फल देता और जिसके पत्ते मुरझाते नहीं। वह मनुष्य अपने सब कामों में सफल हो जाता है।
3. दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, नहीं होते; वे तो पवन द्वारा छितरायी हुई भूसी के सदृश हैं। प्रभु धर्मियों के मार्ग की रक्षा करता है, किन्तु दुष्टों का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है।
अल्लेलूया! मैंने सब कुछ छोड़ दिया और उसे कूड़ा समझता हूँ, जिससे मैं मसीह को प्राप्त करूँ और उनके साथ पूर्ण रूप से एक हो जाऊँ। अल्लेलूया!
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "मैं पृथ्वी पर आग ले कर आया हूँ और मेरी कितनी अभिलाषा है कि यह अभी धधक उठे! मुझे एक बपतिस्मा लेना है और जब तक वह नहीं हो जाता, मैं कितना व्याकुल हूँ।" "क्या तुम लोग समझते हो कि मैं पृथ्वी पर शांति ले कर आया हूँ? मैं तुम से कहता हूँ, ऐसा नहीं है। मैं फूट डालने आया हूँ। क्योंकि अब से यदि एक घर में पाँच व्यक्ति होंगे, तो उन में फूट होगी। तीन दो के विरुद्ध होंगे और दो तीन के विरुद्ध। पिता अपने पुत्र के विरुद्ध होगा और पुत्र अपने पिता के विरुद्ध। माता अपनी पुत्री के विरुद्ध होगी और पुत्री अपनी माता के विरुद्ध। सास अपनी बहू के विरुद्ध होगी और बहू अपनी सास के विरुद्ध।"
प्रभु का सुसमाचार।