जो लोग येसु मसीह से संयुक्त हैं, उनके लिए अब कोई दण्डाज्ञा नहीं रह गयी है; क्योंकि आत्मा के विधान ने, जो येसु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, हम को पाप तथा मृत्यु की अधीनता से मुक्त कर दिया है। मानव स्वभाव की दुर्बलता के कारण जो कार्य मूसा की संहिता करने में असमर्थ थी, वही कार्य ईश्वर ने कर दिया है। उसने पाप के प्रायश्चित्त के लिए अपने पुत्र को भेजा, जिसने पापी मनुष्य के सदृश शरीर धारण कर लिया। इस प्रकार ईश्वर ने मानव शरीर में पाप को दण्डित किया, जिससे हम में - जो कि शरीर के अनुसार नहीं, बल्कि आत्मा के अनुसार आचरण करते हैं- संहिता की धार्मिकता पूर्णता तक पहुँच जाये। क्योंकि जो शरीर की वासनाओं से संचालित हैं, वे शरीर की बातों की चिन्ता करते हैं और इसका परिणाम मृत्यु है; जो आत्मा से संचालित हैं, वे आत्मा की बातों की चिन्ता करते हैं और इसका परिणाम जीवन और शांति है। क्योंकि शरीर की वासना ईश्वर के प्रतिकूल है; वह ईश्वर के नियम के अधीन नहीं होती और हो भी नहीं सकती। जो लोग शरीर की वासनाओं से संचालित हैं, उन पर ईश्वर प्रसन्न नहीं होता। यदि ईश्वर का आत्मा सचमुच आप लोगों में निवास करता है, तो आप शरीर की वासनाओं से नहीं, बल्कि आत्मा से संचालित हैं। जिस मनुष्य में मसीह का आत्मा निवास नहीं करता, वह मसीह का नहीं। यदि मसीह आप में निवास करते हैं, तो पाप के फलस्वरूप शरीर भले ही मर जाये किन्तु पापमुक्ति के फलस्वरूप आत्मा को जीवन प्राप्त है। जिसने येसु को मृतकों में से जिलाया, यदि उसका आत्मा आप लोगों में निवास करता है, तो जिसने येसु मसीह को मृतकों में से जिलाया है, वह अपने आत्मा द्वारा, जो आप में निवास करता है। आपके नश्वर शरीरों को भी जीवन प्रदान करेगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! ये वे लोग हैं, जो तेरे दर्शनों के लिए तरसते हैं।
1. पृथ्वी और जो कुछ उस में है, संसार और उसके निवासी यह सब प्रभु का है। क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली है, प्रभु ने जल पर उसे स्थापित किया है।
2. प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मंदिर में कौन रह पायेगा? वही, जिसके हाथ निर्दोष हैं, जिसका हृदय निर्मल है, जिसका मन असार संसार में नहीं रमता।
3. उसी को प्रभु की आशिष प्राप्त होगी, वही अपने मुक्तिदाता ईश्वर से पुरस्कार पायेगा। वह उन लोगों के सदृश हैं, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।
अल्लेलूया! प्रभु कहता है, "मैं नहीं चाहता कि पापी मर जाये, मैं चाहता हूँ कि वह पश्चात्ताप कर जीवन प्राप्त करे। " अल्लेलूया!
उस समय कुछ लोग येसु को उन गलीलियों के विषय में बताने आये, जिनका रक्त पिलातुस ने उनके बलि-पशुओं के रक्त के साथ मिला दिया था। येसु ने उन से कहा, "क्या तुम समझते हो कि ये गलीली अन्य सब गलीलियों से अधिक पापी थे, क्योंकि उन पर ही ऐसी विपत्ति पड़ी? मैं तुम से कहता हूँ, ऐसा नहीं है; लेकिन यदि तुम पश्चात्ताप नहीं करोगे, तो सब के सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे। अथवा क्या तुम समझते हो कि सीलोआम की मीनार के गिरने सें जो अठारह व्यक्ति दब कर मर गये, वे येरुसालेम के सब निवासियों से अधिक अपराधी थे? मैं तुम से कहता हूँ, ऐसा नहीं है; लेकिन यदि तुम पश्चात्ताप नहीं करोगे, तो सब के सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे। " तब येसु ने यह दृष्टान्त सुनाया, "किसी मनुष्य की दाखबारी में एक अंजीर का पेड़ था। वह उसमें फल खोजने आया, परन्तु उसे एक भी नहीं मिला। तब उसने दाखबारी के माली से कहा, 'देखो, मैं तीन वर्षों से अंजीर के इस पेड़ में फल खोजने आता हूँ, पर मुझे एक भी नहीं मिलता। इसे काट डालो। यह भूमि को क्यों छेंके हुए है? " परन्तु माली ने उत्तर दिया, 'मालिक! इस वर्ष भी इसे रहने दीजिए। मैं इसके चारों ओर खोद कर खाद दूँगा। यदि यह अगले वर्ष फल दे तो अच्छा, नहीं तो इसे काट डालिएगा'।"
प्रभु का सुसमाचार।