वर्ष का तीसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 11:1-2,11-12,25-29

"जब उनकी अपूर्णता से समस्त गैरयहूदी संसार की समृद्धि हो गयी है, तो उनकी परिपूर्णता से कहीं अधिक लाभ होगा!"

मन में यह प्रश्न उठता है, "क्या ईश्वर ने अपनी प्रजा को त्याग दिया है? " निश्चय ही नहीं! मैं भी तो इस्राएली, इब्राहीम की सन्तान और बेनयामीन-वंशी हूँ। ईश्वर ने अपनी उस प्रजा को, जिसे उसने अपनाया, नहीं त्यागा है। क्या आप नहीं जानते कि धर्मग्रंथ एलियस के विषय में क्या कहता है, जब वह ईश्वर के सामने इस्राएल पर अभियोग लगाता है? इसलिए मन में यह प्रश्न उठता है, "क्या वे अपराध के कारण सदा के लिए पतित हो गये हैं? " निश्चय ही नहीं! उनके अपराध, के कारण ही गैरयहूदियों को मुक्ति मिली है, जिससे वे गैरयहूदियों की स्पर्धा करें। जब उनके अपराध तथा उनकी अपूर्णता से समस्त गैरयहूदी संसार की समृद्धि हो गयी है, तो उनकी परिपूर्णता से कहीं अधिक लाभ होगा! भाइयो! आप घमण्डी न बनें। इसलिए मैं आप लोगों पर यह रहस्य प्रकट करना चाहता हूँ इस्राएल का एक भाग तब तक अन्धा बना रहेगा, जब तक गैर-यहूदियों की पूर्ण संख्या का प्रवेश न हो जाये। ऐसा हो जाने पर समस्त इस्राएल को मुक्ति प्राप्त होगी, जैसा कि लिखा गया है: सियोन में से मुक्तिदाता उत्पन्न होगा और वह याकूब से अधर्म दूर कर देगा। जब मैं उनके पाप हर लूँगा, तो यह उनके लिए मेरा विधान होगा। सुसमाचार के विचार से, वे तो आप लोगों के कारण ईश्वर के शत्रु हैं; किन्तु चुनी हुई प्रजा के विचार से, वे पूर्वजों के कारण ईश्वर के कृपापात्र हैं; क्योंकि ईश्वर न तो अपने वरदान वापस लेता और न अपना बुलावा रद्द करता है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 93:12-15,17-18

अनुवाक्य : प्रभु ने अपनी प्रजा को नहीं त्यागा।

1. हे प्रभु! धन्य है वह मनुष्य; जिसे तू शिक्षा देता और अपनी संहिता का मार्ग दिखाता है। वह संकट के समय नहीं घबराता है।

2. प्रभु ने अपनी प्रजा को नहीं त्यागा, उसने अपने लोगों को नहीं छोड़ा। धर्मियों को फिर न्याय दिलाया जायेगा और सभी सच्चरित्र उसका समर्थन करेंगे।

3. यदि ईश्वर मेरी सहायता नहीं करता, तो मैं शीघ्र ही अधोलोक चला जाता। हे प्रभु! जब लगता कि मेरे पैर फिसलने वाले हैं, तो मुझे तेरी सान्त्वना का सहारा मिलता है।

📒जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो। और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ।" अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:1,7-11

"जो अपने को बड़ा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा और जो अपने को छोटा मानता है, वह बड़ा बनाया जायेगा।"

येसु किसी विश्राम के दिन एक प्रमुख फरीसी के यहाँ भोजन करने गये। वे लोग उनकी निगरानी कर रहे थे। येसु ने अतिथियों को मुख्य मुख्य स्थान चुनते देख कर उन्हें यह दृष्टान्त सुनाया, "विवाह में निमंत्रित होने पर सब से अगले स्थान पर मत बैठो। कहीं ऐसा न हो कि तुम से प्रतिष्ठित कोई अतिथि निमंत्रित हो और जिसने, तुम दोनों को निमंत्रण दिया है, वह आ कर तुम से कहे, 'इन्हें अपनी जगह दीजिए, और तुम्हें लज्जित हो कर सब से पिछले स्थान पर बैठना पड़े। परन्तु जब तुम्हें निमंत्रण मिले, तो जा कर सब से पिछले स्थान पर बैठो जिससे निमंत्रण देने वाला आ कर तुम से यह कहे, 'बंधु, आगे बढ़ कर बैठिए'। इस प्रकार सभी अतिथियों के सामने तुम्हारा सम्मान होगा। क्योंकि जो अपने को बड़ा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा और जो अपने को छोटा मानता है, वह बड़ा बनाया जायेगा।"

प्रभु का सुसमाचार।