वर्ष का इकतीसवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 13:8-10

"जो प्यार करता, वह संहिता के सभी नियमों का पालन करता है।”

भातृ-प्रेम का ऋण छोड़ कर और किसी बात में किसी का ऋणी न बनें। जो दूसरों को प्यार करता है, उसने संहिता के सभी नियमों का पालन किया। 'व्यभिचार मत करो, हत्या मत करो, चोरी मत करो, लालच मत करो, – इनका तथा अन्य सभी दूसरी आज्ञाओं का सारांश यह है अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। प्रेम पड़ोसी के साथ अन्याय नहीं करता। इसलिए जो प्यार करता है, यह संहिता के सभी नियमों का पालन करता है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 111:1,2,4,5,9

अनुवाक्य : धन्य है वह मनुष्य, जो तरस खा कर उधार देता है!

📒जयघोष

अल्लेलूया! यदि मसीह के नाम के कारण आप लोगों का अपमान किया जाये, तो अपने को धन्य समझिए, क्योंकि ईश्वर का महिमामय आत्मा आप पर छाया रहता है। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:25-33

"जो अपना सब कुछ नहीं त्याग देता, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता।”

येसु के साथ-साथ एक विशाल जनसमूह चल रहा था। उन्होंने मुड़ कर लोगों से कहा, "यदि कोई मेरे पास आये और अपने माता-पिता, पत्नी, सन्तान, भाई-बहनों और यहाँ तक कि अपने जीवन से बैर न रखे, तो वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता। जो अपना क्रूस उठा कर मेरा अनुसरण नहीं करता, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता।” "तुम में ऐसा कौन होगा, जो मीनार बनवाना चाहे और पहले बैठ कर खर्च का हिसाब न लगाये और यह न देखे कि क्या उसे पूरा करने की पूँजी मेरे पास है? कहीं ऐसा न हो कि नींव डालने के बाद वह पूरा न कर सके और देखने वाले यह कह कर उसकी हँसी उड़ाने लगें, 'इस मनुष्य ने निर्माण कार्य प्रारंभ तो किया, किन्तु यह उसे पूरा नहीं कर सका।" "अथवा कौन राजा ऐसा होगा, जो दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो और पहले बैठ कर यह विचार न करें कि जो बीस हजार की फौज के साथ मुझ पर चढ़ा आ रहा है, क्या मैं दस हजार की फौज से उसका सामना कर सकता हूँ? यदि वह सामना नहीं कर सकता, तो जब तक दूसरा राजा दूर है, वह राजदूतों को भेज कर संधि के लिए निवेदन करेगा।" "इसी तरह तुम में से जो अपना सब कुछ नहीं त्याग देता, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता।”

प्रभु का सुसमाचार।