वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

प्रज्ञा-ग्रन्थ 1:1-7

"प्रज्ञा मनुष्य का हित चाहती है। प्रभु का आत्मा समस्त संसार में व्याप्त है।"

हे पृथ्वी के शासको! न्याय से प्रेम रखो। प्रभु के विषय में ऊँचे विचार रखो और निष्कपट हृदय से उसे खोजते रहो, क्योंकि जो उसकी परीक्षा नहीं लेते, वे उसे प्राप्त करते हैं। प्रभु अपने को उन लोगों पर प्रकट करता है, जो उस पर अविश्वास नहीं करते। कुटिल विचार मनुष्य को ईश्वर से दूर करते हैं। सर्वशक्तिमत्ता उन मूर्खी को परास्त कर देती है, जो उसकी परीक्षा लेते हैं। प्रज्ञा उस आत्मा में प्रवेश नहीं करती, जो बुराई की बातें सोचती है और उस शरीर में निवास नहीं करती, जो पाप के अधीन है। क्योंकि शिक्षा प्रदान करने वाला पवित्र आत्मा छल-कपट से घृणा करता है, वह मूर्खतापूर्ण विचारों से अलग रहता है और अन्याय से दूर भागता है। प्रज्ञा मनुष्य का हित तो चाहती है, किन्तु वह ईशनिन्दक को उसके शब्दों का दण्ड दिये बिना नहीं छोड़ेगी, क्योंकि ईश्वर मनुष्य के अन्तरतम का साक्षी है; वह उसके हृदय की थाह लेता और उसके मुख के सभी शब्द सुनता है। प्रभु का आत्मा संसार में व्याप्त है। वह सब कुछ को एकता में बाँधे रखता है। और मनुष्य जो कुछ कहते हैं, वह सब जानता है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 138:1-10

अनुवाक्य : हे प्रभु! मुझे अनन्त जीवन के मार्ग पर ले चलने की कृपा कर।

1. हे प्रभु! तू मेरी थाह लेता और मुझे जानता है। मैं चाहे लेदूँ या बैठ जाऊँ – तू जानता है। तू दूर रहते हुए भी मेरे विचार भाँप लेता है। मैं चाहे चलूँ या लेट जाऊँ तू देखता है। मैं जो भी करता हूँ - तू सब जानता है।

2. मेरे मुख से बात निकल ही नहीं पायी कि तू उसे पूरी तरह जान गया। तू मुझे आगे से और पीछे से संभालता है, तेरा हाथ मेरी रक्षा करता रहता है। तेरी यह सूक्ष्म दृष्टि मेरी समझ के परे है। यह इतनी गहरी है कि मैं उसकी थाह नहीं ले सकता।

3. मैं कहाँ जाकर तुझ से अपने को छिपा लूँ? मैं कहाँ भाग कर तेरी आँखों से ओझल हो जाऊँ? यदि मैं आकाश तक पहुँच जाऊँ, तो तू वहाँ है; यदि मैं अधोलोक में लेहूँ, तो तू वहाँ भी है।

4. यदि मैं उषा के पंखों पर चढ़ कर समुद्र के उस पार बस जाऊँ, तो वहाँ भी तेरा हाथ मुझे ले चलता, वहाँ भी तेरा दाहिना हाथ मुझे सँभालता।

📒जयघोष

अल्लेलूया! आप लोग संसार में उज्ज्वल नक्षत्रों की तरह चमकेंगे, क्योंकि जीवन का वचन आप लोगों को प्राप्त हो गया है। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 17:1-6

"यदि वह दिन में सात बार आ कर कहता है कि मुझे खेद है, तो तुम उसे क्षमा करते जाओ।”

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "प्रलोभन अनिवार्य है, किन्तु धिक्कार उस मनुष्य को, जो प्रलोभन का कारण बनता है! उन नन्हों में से एक के लिए भी पाप का कारण बनने की अपेक्षा उस मनुष्य के लिए अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का पाट बाँधा जाता और वह समुद्र में फेंक दिया जाता। इसलिए सावधान रहो।" "यदि तुम्हारा भाई कोई अपराध करता है, तो उसे डाँटो और यदि वह पश्चात्ताप करता है, तो उसे क्षमा कर दो। यदि वह दिन में सात बार तुम्हारे विरुद्ध अपराध करता और सात बार आ कर कहता है कि मुझे खेद है, तो तुम उसे क्षमा करते जाओ।" प्रेरितों ने प्रभु से कहा, "हमारा विश्वास बढ़ा दीजिए।" प्रभु ने उत्तर दिया, "यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी होता और तुम शहतूत के इस पेड़ से कहते, उखड़ कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी बात मान लेता।”

प्रभु का सुसमाचार।