वर्ष का तैंतीसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

मक्काबियों का दूसरा ग्रन्थ 6:18-31

"मैं यह अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करूँगा कि किस प्रकार पवित्र विधियों की रक्षा के लिए कोई स्वेच्छा से मर सकता है।"

एलेआजार मुख्य शास्त्रियों में से एक था, वह बहुत बूढ़ा हो चला था और उसकी आकृति भव्य तथा प्रभावशाली थी। वह अपना मुँह खोलने और सूअर का मांस खाने के लिए बाध्य किया जा रहा था। किन्तु उसने कलंकित जीवन की अपेक्षा गौरवपूर्ण मृत्यु को चुना। वह सूअर का मांस उगल कर स्वेच्छा से उस स्थान की ओर बढ़ा, जहाँ कोड़े लगाये जाते थे। ऐसा उन लोगों को करना चाहिए, जिन्हें जीवन का मोह छोड़ कर वर्जित भोजन अस्वीकार करने का साहस है। उस अवैध भोजन का प्रबन्ध करने वाले एलेआजार के पुराने परिचित थे। उन्होंने उसे अलग ले जा कर अनुरोध किया कि वह ऐसा मांस मँगवा कर खाये, जो वर्जित नहीं है और जिसे उसने स्वयं पकाया है, और राजा के आदेश के अनुसार बलि का मांस खाने का स्वाँग मात्र करे। इस प्रकार वह मृत्यु से बच सकेगा और पुरानी मित्रता के कारण उसके साथ अच्छा व्यवहार किया जायेगा। किन्तु उसने एक उत्तम निश्चय किया, जो उसकी उम्र, उसकी वृद्धावस्था की मर्यादा, उसके सफेद बालों, बचपन से उसके निर्दोष आचरण और विशेष कर ईश्वर द्वारा प्रदत्त पवित्र नियमों के अनुकूल था। उसने उत्तर दिया, "मुझे तुरन्त अधोलोक पहुँचा दो। मेरी अवस्था में इस प्रकार का स्वाँग अनुचित है। कहीं ऐसा न हो कि बहुत-से युवक यह समझें कि एलेआजार ने नब्बे बरस की उम्र में विदेशियों के रीति-रिवाज अपनाये हैं। मेरे जीवन का बहुत कम समय रह गया है, यदि मैं उसे बचाने के लिए इस प्रकार का स्वाँग करता, तो वे शायद मेरे कारण भटक जाते और मेरी वृद्धावस्था पर दोष और कलंक लग जाता। यदि मैं इस प्रकार अभी मनुष्यों के दण्ड से बच जाता, तो भी, चाहे जीवित रहूँ अथवा मर जाऊँ, मैं सर्वशक्तिमान् के हाथ से नहीं छूट पाता। इसलिए यदि मैं अभी साहस के साथ अपना जीवन अर्पित करूंगा, तो मैं अपनी वृद्धावस्था की प्रतिष्ठा बनाये रखूँगा और युवकों के लिए यह अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करूँगा कि किस प्रकार पूज्य तथा पवित्र विधियों की रक्षा के लिए कोई स्वेच्छा से और आनन्द के साथ मर सकता है।" यह कह कर एलेआजार सीधे उस स्थान की ओर बढ़े, जहाँ कोड़े लगाये जाते थे। जो पहले उनके साथ सहानुभूति दिखलाते थे, वे अब उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगे, क्योंकि एलेआजार ने उन से जो कहा था, वह उन्हें मूर्खता ही लगी। कोड़ों की मार से मरते समय एलेआजार ने आह भर कर यह कहा, "प्रभु, सब कुछ जानता है। वह जानता है कि मैं मृत्यु से बच सकता था। मैं कोड़ों की मार से जो असह्य पीड़ा अपने शरीर में भोग रहा हूँ, उसे अपनी आत्मा से स्वेच्छा से स्वीकार करता हूँ, क्योंकि मैं उस पर श्रद्धा रखता हूँ।" इस प्रकार वह मर गया और उसने मरते समय न केवल युवकों के लिए, बल्कि राष्ट्र के अधिकाँश लोगों के लिए साहस तथा धैर्य का आदर्श प्रस्तुत किया।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 3:2-7

अनुवाक्य : प्रभु मुझे सँभालता है।

1. हे प्रभु! कितने ही हैं मेरे शत्रु! कितने ही मुझ से विद्रोह करते हैं! कितने ही मेरे विषय में यह कहते हैं - उसका ईश्वर उसकी सहायता नहीं करता।

2. हे प्रभु! तू ही मेरी ढाल और मेरा गौरव है। तू ही मेरा सिर ऊपर उठाता है। ज्योंही मैं प्रभु की दुहाई देता हूँ, वह अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर देता है।

3. मैं अपनी शय्या पर लेट कर सो जाता और फिर जागता हूँ : क्योंकि प्रभु मुझे सँभालता है। मैं उन लाखों शत्रुओं से नहीं डरता, जो चारों ओर मेरे विरुद्ध खड़े हैं।

📒जयघोष

अल्लेलूया! ईश्वर ने हम को पहले प्यार किया और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिए अपने पुत्र को भेजा है। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 19:1-10

"जो खो गया था, मानव पुत्र उसी को खोजने और बचाने आया है।"

येसु येरिको में प्रवेश कर आगे बढ़ रहे थे। जकेयुस नामक एक प्रमुख और धनी नाकेदार यह देखना चाहता था कि येसु कौन है। परन्तु वह छोटे कद का था, इसलिए वह भीड़ में उन्हें नहीं देख सका। वह आगे दौड़ कर येसु को देखने के लिए एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी रास्ते से आने वाले थे। जब येसु उस जगह पहुँचे, तो उन्होंने आँखें ऊपर उठा कर जकेयुस से कहा, "जकेयुस! जल्दी नीचे आओ, क्योंकि आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है।" उसने तुरन्त उतर कर आनन्द के साथ अपने यहाँ येसु का स्वागत किया। इस पर सब लोग यह कह कर भुनभुनाने लगे, "वह एक पापी के यहाँ ठहरने गये।” जकेयुस ने दृढ़ता से प्रभु से कहा, "प्रभु! देखिए, मैं अपनी आधी सम्पत्ति गरीबों को दूँगा और मैंने जिन लोगों के साथ किसी बात में बेईमानी की है, उन्हें उसका चौगुना लौटा दूँगा।" येसु ने उस से कहा, "आज इस घर में मुक्ति का आगमन हुआ है, क्योंकि यह भी इब्राहीम का बेटा है। जो खो गया था, मानवपुत्र उसी को खोजने और बचाने आया है।"

प्रभु का सुसमाचार।