राजा के पदाधिकारी, जो लोगों को स्वधर्मत्याग के लिए बाध्य करते थे, बलिदानों का प्रबन्ध करने मोदीन नामक नगर पहुँचे। बहुत-से इस्राएली उन से मिल गये, किन्तु मत्तथ्या और उसके पुत्र अलग रहे। राजा के पदाधिकारियों ने मत्तथ्या को सम्बोधित करते हुए कहा, "आप इस नगर के प्रतिष्ठित और शक्तिशाली नेता हैं। आप को अपने पुत्रों और भाइयों का समर्थन प्राप्त है। आप सर्वप्रथम आगे बढ़ कर राजाज्ञा का पालन कीजिए, जैसा कि सभी राष्ट्र, यूदा के लोग और येरुसालेम के निवासी कर चुके हैं। ऐसा करने पर आप और आपके पुत्र राजा के मित्र बनेंगे। और सोना, चाँदी और बहुत-से उपहारों द्वारा आपका और आपके पुत्रों का सम्मान किया जायेगा।" मत्तथ्या ने पुकार कर यह उत्तर दिया, "राज्य के सभी राष्ट्र भले ही राजा की बात मान जायें, सभी अपने पुरखों का धर्म छोड़ दें और राजा के आदेशों का पालन करें, किन्तु मैं, मेरे पुत्र और मेरे भाई - हम अपने पुरखों के विधान के अनुसार ही चलेंगे। ईश्वर हमारी रक्षा करे, जिससे हम उसकी संहिता और उसके नियमों का परित्याग न करें। हम राजा की आज्ञाओं का पालन नहीं करेंगे और अपने धर्म का किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं करेंगे।" मत्तथ्या के इन शब्दों के तुरन्त बाद एक यहूदी राजा के आदेशानुसार मोदीन की वेदी पर बलि चढ़ाने के लिए, सबों के देखते आगे बढ़ा। इस पर मत्तथ्या का धर्मोत्साह भड़क उठा और वह आगबबूला हो गया। उसने क्रोध के आवेग में आगे झपट कर उस यहूदी को वेदी पर मार डाला। उसने बलि के लिए लोगों को बाध्य करने वाले पदाधिकारी का वध किया और वेदी का विध्वंस किया। इस प्रकार मत्तथ्या ने पीनहास के सदृश संहिता के प्रति अपना उत्साह प्रदर्शित किया - पीनहास ने उसी तरह साल के पुत्र जिम्री का वध किया था। इसके बाद मत्तथ्या ने नगर भर में घूमते हुए ऊँचे स्वर से यह पुकार कर कहा, "जो संहिता के प्रति उत्साही हैं और विधान को बनाये रखने के पक्ष में हैं, वे मेरे पीछे-पीछे चले आयें।" इसके बाद वह और उसके पुत्र नगर में अपनी सारी सम्पत्ति छोड़ कर पहाड़ों पर भाग गये। उस समय बहुत-से लोग, जिन्हें धर्म और न्याय प्रिय था, उजाड़ प्रदेश जा कर वहाँ बस गये।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : सदाचारी ही ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।
1. प्रभु सर्वेश्वर बोलता है, वह उदयाचल से अस्ताचल तक पृथ्वी के सब लोगों को संबोधित करता है। वह सौन्दर्यमय सियोन पर विराजमान है।
2. "मेरी प्रजा को मेरे सामने एकत्र करो, जिसने यज्ञ चढ़ा कर मेरा विधान स्वीकार किया है।" आकाश प्रभु की न्यायप्रियता घोषित करता है। ईश्वर स्वयं हमारा न्याय करने वाला है।
3. ईश्वर को धन्यवाद का बलिदान चढ़ाओ और उसके लिए अपनी मन्नतें पूरी करो।” यदि तुम संकट के समय मेरी दुहाई दोगे, तो मैं तुम्हारा उद्धार करूँगा और तुम मेरा सम्मान करोगे।”
अल्लेलूया! आज अपना हृदय कठोर न बनाओ, प्रभु की वाणी पर ध्यान दो। अल्लेलूया!
येरुसालेम के निकट पहुँचने पर येसु ने शहर को देखा। वह उस पर रो पड़े और बोले, "हाय! कितना अच्छा होता यदि तू भी इस शुभ दिन यह समझ पाता कि किन बातों में तेरी शांति है। परन्तु अभी वे बातें तेरी आँखों में छिपी हुई हैं। तुझ पर वे दिन आयेंगे जब तेरे शत्रु तेरे चारों ओर मोरचा बांधकर तुझे घेर लेंगे, चारों ओर से तुझ पर दबाव डालेंगे, तुझे और तेरे अन्दर रहने वाली तेरी प्रजा को मटियामेट कर देंगे और तुझ में एक पत्थर पर दूसरा पत्थर पड़ा नहीं रहने देंगे, क्योंकि तूने अपने प्रभु के आगमन की, शुभ घड़ी को नहीं पहचाना।”
प्रभु का सुसमाचार।