वर्ष का तैंतीसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 1

📕पहला पाठ

मक्काबियों का पहला ग्रन्थ 4:36-37,52-59

"उन्होंने वेदी का प्रतिष्ठान किया और आनन्द के साथ होम चढ़ाया।”

उस समय यूदस और उसके भाइयों ने यह कहा, "हमारे शत्रु हार गये। हम जा कर मंदिर का शुद्धीकरण और प्रतिष्ठान करें।" समस्त सेना एकत्र हो गयी और सियोन के पर्वत की ओर चल पड़ी। एक सौ अड़तालीसवें वर्ष के नौवें महीने - अर्थात् किसलेव के पच्चीसवें दिन, लोग पौ फटते ही उठे और उन्होंने होम की जो नयी वेदी बनायी थी, उस पर विधिवत बलि चढ़ायी। जिस समय और जिस दिन गैरयहूदियों ने वेदी को अपवित्र कर दिया था, उस समय और उसी दिन भजन गाते और सितार, वीणा तथा झाँज बजाते हुए उन्होंने वेदी का प्रतिष्ठान किया। सब लोगों ने दण्डवत कर आराधना की और ईश्वर को धन्य कहा, जिसने उन्हें सफलता दी थी। वे आनन्द के साथ होम, शांति तथा धन्यवाद का यज्ञ चढ़ा कर आठ दिन तक वेदी के प्रतिष्ठान का पर्व मनाते रहे। उन्होंने मंदिर का अग्रभाग सोने की मालाओं तथा ढालों से विभूषित किया, फाटकों तथा याजकों की शालाओं को मरम्मत किया और इन में दरवाजे लगाये। लोगों में उल्लास था और उन पर लगा हुआ गैरयहूदियों का कलंक मिट गया। यूदस ने अपने भाइयों तथा इस्राएल के समस्त समुदाय के साथ यह निर्णय किया कि प्रतिवर्ष उसी समय अर्थात् किसलेव के पच्चीसवें दिन से ले कर आठ दिन तक वेदी के पुर्नप्रतिष्ठान का पर्व उल्लास तथा आनन्द के साथ मनाया जायेगा।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : 1 इतिहास-ग्रन्थ 29:10-12

अनुवाक्य : हे प्रभु! हम तेरे महिमामय नाम की स्तुति करते हैं।

हे प्रभु! तू धन्य है! अनादिकाल से और सदा के लिए। तू इस्राएल, हमारे पिता का राजा है।

2. हे प्रभु! तुझ में महिमा, सामर्थ्य, प्रताप, गौरव और प्रभुता है। स्वर्ग में तथा पृथ्वी पर जो कुछ है, तेरा ही है।

3. हे प्रभु! सर्वत्र तेरा ही साम्राज्य है। तू समस्त विश्व का अधिपति है। धन और सम्मान तुझ में मिलता है।

4. तू समस्त पृथ्वी का शासक है। तेरे हाथ में शक्ति है और सामर्थ्य, तेरे हाथ में महिमा है और प्रताप।

📒जयघोष

अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।" अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 19:45-48

"तुम लोगों ने ईश्वर का मंदिर लुटेरों का अड्डा बना दिया है।"

येसु मंदिर में प्रवेश कर बिक्री करने वालों को यह कहते हुए बाहर निकालने लगे, "लिखा है- मेरा घर प्रार्थना का घर होगा, परन्तु तुम लोगों ने उसे लुटेरों का अड्डा बना दिया है।" वह प्रतिदिन मंदिर में शिक्षा देते थे। महायाजक, शास्त्री और जनता के नेता उनके सर्वनाश का उपाय ढूँढ़ रहे थे, परन्तु उन्हें नहीं सूझ रहा था कि क्या करें; क्योंकि सारी जनता बड़ी रुचि से उनकी शिक्षा सुनती थी।

प्रभु का सुसमाचार।