आप लोगों में द्वेष और लड़ाई-झगड़ा कहाँ से आता है? क्या इसका कारण यह नहीं है कि आपकी वासनाएँ आपके अन्दर लड़ाई करती हैं? आप अपनी लालसा पूरी नहीं कर पाते और इसलिए हत्या करते हैं। आप जिस चीज के लिए ईर्ष्या करते हैं, उसे नहीं पा सकते हैं और इसलिए लड़ते-झगड़ते हैं। आप प्रार्थना नहीं करते, इसलिए आप लोगों के पास कुछ नहीं है। जब आप माँगते भी हैं, तो इसलिए नहीं पाते हैं कि अच्छी तरह से प्रार्थना नहीं करते। आप अपनी वासनाओं की तृप्ति के लिए धन की प्रार्थना करते हैं। रे कपटी तथा बेईमान लोगो ! क्या तुम यह नहीं जानते कि संसार से मित्रता रखने का अर्थ है ईश्वर से बैर करना? जो संसार का मित्र होना चाहता है, वह ईश्वर का शत्रु बन जाता है। क्या तुम समझते हो कि धर्मग्रन्थ अकारण कहता है कि ईश्वर ने जिस आत्मा का हम में समावेश किया है, वह उस को अपने लिए ही चाहता है। इसलिए वह हमें प्रचुर मात्रा में अनुग्रह देता है, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है - ईश्वर घमंडियों का विरोध करता, किन्तु विनीतों को अनुग्रह प्रदान करता है। आप लोग ईश्वर के अधीन रहिए। शैतान का सामना कीजिए, और वह आपके पास से भाग जायेगा। ईश्वर के पास जाइए और वह आपके पास आयेगा। पापियो ! अपने हाथ शुद्ध करो; कपटियो ! अपना हदय पवित्र करो। अपनी दुर्गति पहचान कर शोक मनाओ और आँसू बहाओ। तुम्हारी हँसी शोक में और तुम्हारा आनन्द विषाद में बदल जाये। प्रभु के सामने दीन-हीन बनो और वह तुम्हें ऊँचा उठायेगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : तुम प्रभु पर अपना भार छोड़ दो और वह तुम्हें सँभालेगा।
1. मैं कहता हूँ, “ओह ! यदि कपोत की तरह मेरे भी पंख होते, तो मैं कहीं उड़ जाता और विश्राम पाता ! मैं कहीं बहुत दूर भाग जाता और मरुभूमि में बसेरा कर लेता !”
2. हे प्रभु! प्रचण्ड वायु, घोर आँधी और उनके कपटपूर्ण वचनों से बचने के लिए, मैं शीघ्र ही वहाँ शरणस्थान पाता।
3. क्योंकि मैं नगर में हिंसा और संघर्ष ही देखता हूँ। हिंसा और संघर्ष रात-दिन हमारा नगर घेरे रहते हैं।
4. तुम प्रभु पर अपना भार छोड़ दो और वह तुम्हें सँभालेगा। वह धर्मी मनुष्य को कभी विचलित नहीं होने देगा।
अल्लेलूया ! मैं केवल हमारे प्रभु येसु मसीह के क्रूस पर गौरव करता हूँ। उन्हीं के कारण संसार मेरी दृष्टि में मर गया है और मैं संसार की दृष्टि में। अल्लेलूया !
येसु और उनके शिष्य पहाड़ से चल कर गलीलिया पार कर रहे थे। येसु नहीं चाहते थे कि किसी को इसका पता चले क्योंकि वह अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे। येसु ने उन से कहा, “मानव पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जायगा। वे उसे मार डालेंगे और मार डाले जाने के बाद वह तीसरे दिन जी उठेगा।” शिष्य यह बात नहीं समझ पाते थे, किन्तु येसु से प्रश्न करने में उन्हंम संकोच होता था । वे कफरनाहुम आये। घर पहुँच कर येसु ने शिष्यों से पूछा, “तुम लोग रास्ते में किस विषय पर विवाद कर रहे थे?” वे चुप रह गये, क्योंकि उन्होंने रास्ते में इस पर वाद-विवाद किया था कि हम में सब से बड़ा कौन है। येसु बैठ गये और बारहों को बुला कर उन्होंने उन से कहा, “यदि कोई पहला होना चाहे, तो वह सब से पिछला और सब का सेवक. बने।" उन्होंने एक बालक को शिष्यों के बीच खड़ा कर दिया और उसे गले लगा कर उन से कहा, “जो मेरे नाम पर इन बालकों में से किसी एक का भी स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह मेरा नहीं, बल्कि उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है।”
प्रभु का सुसमाचार।