वर्ष का आठवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 2

पहला पाठ

सन्त यूदस का पत्र 17:20-25

"ईश्वर आप को पाप से सुरक्षित करने में और आप को दोषरहित और आनन्दित बना कर अपनी महिमा में प्रस्तुत करने में समर्थ है।"

प्यारे भाइयो ! आप लोग हमारे प्रभु येसु मसीह के प्रेरितों की भविष्यवाणियाँ याद रखें। आप अपने परमपावन विश्वास की नींव पर अपने जीवन का निर्माण करें। पवित्र आत्मा से प्रार्थना करते रहें। ईश्वर के प्रेम में सुदृढ़ बने रहें और उस दिन की प्रतीक्षा करें जब हमारे प्रभु येसु मसीह की दया आप को अनन्त जीवन प्रदान करेगी। कुछ लोगों का विश्वास दृढ़ नहीं है उन पर दया करें और उन्हें आग में से निकाल कर उनकी रक्षा करें। कुछ लोगों पर दया करते समय आप सतर्क रहें और विषयवासना से दूषित उनके वस्त्र से भी घृणा करें। जो आप को पाप से सुरक्षित करने में और आप को दोषरहित और आनन्दित बना कर अपनी महिमा में प्रस्तुत करने में समर्थ है, जो हमें हमारे प्रभु येसु मसीह द्वारा मुक्ति प्रदान करता है, उसी एकमात्र ईश्वर को अनादि काल से, अब और अनन्त काल तक महिमा, प्रताप, सामर्थ्य और अधिकार ! आमेन !

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 62:2-6

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरे ईश्वर ! मेरी आत्मा तेरे लिए तरसती है।

1. हे ईश्वर ! तू ही मेरा ईश्वर है। मैं तुझे ढूँढ़ता रहता हूँ। मेरी आत्मा तेरे लिए तरसती है। जल के लिए सूखी सन्तप्त भूमि की तरह मैं तेरे दर्शनों के लिए लालायित हूँ।

2. मैं तेरे पवित्र मंदिर में तेरा सामर्थ्य और तेरी महिमा देखना चाहता हूँ। तेरा प्रेम प्राणों से भी अधिक वांछनीय है। मेरा कंठ तेरी स्तुति करता रहेगा।

3. मैं जीवन भर तुझे धन्य कहूँगा और हाथ जोड़ कर तुझ से प्रार्थना करता रहूँगा। तू मेरी आत्मा को तृप्त कर देता है। मैं उल्लसित होकर तेरी महिमा का बखान करता हूँ।

जयघोष

अल्लेलूया ! मसीह की शिक्षा अपनी परिपूर्णता में आप लोगों में निवास करे। आप उनके द्वारा पिता-ईश्वर को धन्यवाद देते रहें। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 11:27-33

"आप किस अधिकार से यह सब कर रहे हैं?"

येसु और उनके शिष्य फिर येरुसालेम आये। जब येसु मंदिर में टहल रहे थे, तो महायाजक, शास्त्री और नेता उनके पास आ कर पूछने लगे, "आप किस अधिकार से यह सब कर रहे हैं? किसने आप को यह सब करने का अधिकार दिया है?" येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "मैं भी आप लोगों से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। यदि आप मुझे इसका उत्तर देंगे तो मैं भी आप को बता दूँगा कि मैं किस अधिकार से यह सब कर रहा हूँ। बताइए, योहन का बपतिस्मा स्वर्ग का था अथवा मनुष्यों का?" वे यह कह कर आपस में परामर्श करने लगे- "यदि हम कहें, 'स्वर्ग का', तो यह कहेंगे, 'तब आप लोगों ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया'। यदि हम कहें, 'मनुष्यों का' तो…।" वे जनता से डरते थे, क्योंकि सब योहन को नबी मानते थे। इसलिए उन्होंने येसु को उत्तर दिया, "हम नहीं जानते।" इस पर येसु ने उन से कहा, "तब मैं भी आप लोगों को नहीं बताऊँगा कि मैं किस अधिकार से यह सब कर रहा हूँ।"

प्रभु का सुसमाचार।