वर्ष का नौवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 1

पहला पाठ

सन्त पेत्रुस का दूसरा पत्र 1:1-7

"उन्होंने हमारे लिए अपनी अमूल्य और महती प्रतिज्ञाओं को पूरा किया। इस प्रकार हम ईश्वरीय स्वभाव के सहभागी बन गये हैं।"

येसु मसीह के सेवक और प्रेरित सिमोन पेत्रुस का यह पत्र उन लोगों के नाम है, जिन्हें हमारे ईश्वर और मुक्तिदाता येसु मसीह की दया से हमारे ही समान विश्वास का बहुमूल्य वरदान मिला है। आप लोगों को ईश्वर और हमारे प्रभु येसु के ज्ञान द्वारा प्रचुर मात्रा में अनुग्रह और शांति प्राप्त हो। उनके ईश्वरीय सामर्थ्य ने हमें वह सब प्रदान किया, जो भक्तिमय जीवन के लिए आवश्यक है और हम को उसी का ज्ञान प्राप्त करने योग्य बनाया, जिसने हमें अपनी महिमा और प्रताप द्वारा बुलाया है। उस महिमा और प्रताप के द्वारा उन्होंने हमारे लिए अपनी अमूल्य और महत्ती प्रतिज्ञाओं को पूरा किया। इस प्रकार आप उस दूषण से बच गये, जो वासना के कारण संसार में व्याप्त है, और आप ईश्वरीय स्वभाव के सहभागी बन गये हैं। इसलिए आप पूरी लगन से प्रयत्न करते रहें कि आपका विश्वास सदाचरण से, आपका सदाचरण ज्ञान से, आपका ज्ञान संयम से, आपका संयम धैर्य से, आपका धैर्य भक्ति से, आपकी भक्ति भ्रातृ-भाव से और आपका भ्रातृ-भाव प्रेम से युक्त हो।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 90:1-2,14-16

अनुवाक्य : हे मेरे ईश्वर ! मैं तुझ पर ही भरोसा रखता हूँ।

1. तुम जो सर्वोच्च के आश्रय में रहते और सर्वशक्तिमान् की छत्रच्छाया में सुरक्षित हो, तुम प्रभु से यह कहो, "तू ही मेरी शरण है और मेरा गढ़, तू ही मेरा ईश्वर है, तुझ पर ही मैं भरोसा रखता हूँ।"

2. वह मेरा भक्त है, इसलिए मैं उसका उद्धार करूँगा। वह मेरा नाम लेता है, इसलिए मैं उसकी रक्षा करूँगा। वह मेरी दुहाई देता है, इसलिए मैं उसकी सुनूँगा। मैं संकट में उसके साथ रहूँगा।

3. मैं उसे बचा कर सम्मानित करूँगा। मैं उसे दीर्घायु बना कर आनन्द प्रदान करूँगा और उसे मुक्ति के दर्शन कराऊँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! येसु मसीह, विश्वसनीय साक्षी, पुनर्जीवित मृतकों में से पहलौठे ! तूने हमें प्यार किया और अपने रक्त से हमें पापों से मुक्त किया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 12:1-12

"उन्होंने परमप्रिय पुत्र को मार डाला और दाखबारी के बाहर फेंक दिया।"

येसु ने महायाजकों, शास्त्रियों और नेताओं को यह दृष्टान्त सुनाया, "किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगवायी, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उस में रस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे असामियों को पट्टे पर दे कर वह परदेश चला गया। समय आने पर उसने असामियों के पास एक नौकर को भेजा, जिससे वह उन से दाखबारी की फसल का हिस्सा वसूल करे। असामियों ने नौकर को पकड़ कर मारा-पीटा और खाली हाथ लौटा दिया। उसने एक दूसरे नौकर को भेजा। उन्होंने उसका सिर फोड़ दिया और उसे अपमानित किया। उसने एक और नौकर को भेजा और उन्होंने उसे मार डाला। इसके बाद उसने और बहुत-से नौकरों को भेजा। उन्होंने उन में से कुछ लोगों को पीटा और कुछ को मार डाला। अब उसके पास एक ही बच गया - उसका परमप्रिय पुत्र। अंत में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। किन्तु उन असामियों ने आपस में कहा, 'यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और इसकी विरासत हमारी हो जायेगी।' उन्होंने उसे पकड़ कर मार डाला और दाखबारी के बाहर फेंक दिया। दाखबारी का स्वामी क्या करेगा? वह आ कर उन असामियों का सर्वनाश करेगा और अपनी दाखबारी दूसरों को सौंप देगा। "क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा? - कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है। यह प्रभु का कार्य है। यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है।" वे समझ गये कि येसु का यह दृष्टान्त हमारे ही विषय में है, और उन्हें गिरफ्तार करने का उपाय ढूँढ़ने लगे। किन्तु वे जनता से डरते थे और उन्हें छोड़ कर चले गये।

प्रभु का सुसमाचार।