दाऊद के वंशज येसु मसीह को बराबर याद रखो, जो मेरे सुसमाचार के अनुसार मृतकों में से जी उठे हैं। इस सुसमाचार की सेवा में मैं कष्ट पाता हूँ और अपराधी की तरह बन्दी हूँ। परन्तु ईश्वर का वचन बन्दी नहीं होता। मैं चुने हुए लोगों के लिए सब कुछ सह लेता हूँ, जिससे वे भी येसु मसीह के द्वारा मुक्ति तथा सदा बनी रहने वाली महिमा प्राप्त करें। यह कथन सुनिश्चित है- यदि हम उनके साथ मर गये, तो हम उनके साथ जीवन भी प्राप्त करेंगे; यदि हम दृढ़ रहें, तो उनके साथ राज्य करेंगे; यदि हम उन्हें अस्वीकार करेंगे, तो वह भी हमें अस्वीकार करेंगे, यदि हम मुकर जायेंगे, तो भी वह सत्यप्रतिज्ञ बने रहते हैं, क्योंकि वह अपने स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते। लोगों को इन बातों का स्मरण दिलाते रहो और ईश्वर के नाम पर उन से अनुरोध करो कि निरे शब्दों में वाद-विवाद न करें। इस से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि यह सुनने वालों के विनाश का कारण हो सकता है। अपने को ईश्वर के सामने सुग्राह्य और एक ऐसे कार्यकर्त्ता के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयत्न करते रहो, जिसे लज्जित होने का कोई कारण न हो और जो निष्कपट रूप से सत्य का प्रचार करे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! तू मुझे अपने मार्ग सिखा।
1. हे प्रभु ! तू मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपने पथ बता। मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल और मुझे शिक्षा देने की कृपा कर, क्योंकि तू ही मेरा ईश्वर और मुक्तिदाता है।
2. प्रभु भला और न्यायी है, वह पापियों को मार्ग पर लाता है। वह दीनों को सन्मार्ग पर ले चलता और पद्दलितों को अपना मार्ग बताता है।
3. प्रभु के विधान और नियमों पर चलने वाले जानते हैं कि उसके मार्ग प्रेम और सच्चाई हैं। प्रभु पर श्रद्धा रखने वाले उसके कृपापात्र हैं और विधान का रहस्य जानते हैं।
अल्लेलूया ! हे प्रभु ! मुझे ऐसी शिक्षा दे कि मैं सारे हृदय से तेरी संहिता का पालन करता रहूँ। अल्लेलूया !
एक शास्त्री येसु के पास आया। उसने यह विवाद सुना था और यह देख कर कि येसु ने सदूकियों को ठीक उत्तर दिया, उन से पूछा, "सब से पहली आज्ञा कौन-सी है?" येसु ने उत्तर दिया, "पहली आज्ञा यह है हे इस्त्राएल, सुनो ! हमारा प्रभु-ईश्वर एकमात्र प्रभु है। अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो। दूसरी आज्ञा यह है अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इन से बड़ी कोई आज्ञा नहीं है।" शास्त्री ने उन से कहा, “ठीक है, गुरुवर ! आपने सच कहा है। एक ही ईश्वर है, उसके सिवा और कोई नहीं है। उसे अपने सारे हृदय, अपनी सारी बुद्धि और अपनी सारी शक्ति से प्यार करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करना, यह हर प्रकार के होम और बलिदान से बढ़ कर है।" येसु ने उसका विवेकपूर्ण उत्तर सुन कर उस से कहा, "तुम ईश्वर के राज्य से दूर नहीं हो।" इसके बाद किसी को येसु से और प्रश्न करने का साहस नहीं हुआ।
प्रभु का सुसमाचार।