वर्ष का दसवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का पहला ग्रन्थ 17:1-6

एलियस इस्त्राएल के प्रभु-ईश्वर का सेवक है।

गिलआद के तिशबे-निवासी एलियस ने अहाब से कहा, "इस्राएल के उस जीवन्त प्रभु-ईश्वर की शपथ, जिसका मैं सेवक हूँ। जब तक मैं नहीं कहूँगा, तब तक अगले वर्षों में न तो ओस गिरेगी और न पानी बरसेगा।" इसके बाद एलियस को प्रभु की वाणी यह कहती सुनाई दी, "यहाँ से पूर्व की ओर जाओ और यर्दन नदी के पूर्व करीत घाटी में छिपे रहो। तुम नदी का पानी पीओगे। मैंने कौवों को आदेश दिया कि वे वहाँ तुम्हें भोजन दिया करें।" प्रभु ने जैसा कहा, एलियस ने वैसा ही किया। वह जा कर यर्दन के पूर्व करीत की घाटी में रहने लगा। कौवे सुबह शाम उसे रोटी और मांस ला कर देते थे और वह नदी का पानी पीता था।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 120, 1-8

अनुवाक्य : जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया, वही प्रभु मेरी सहायता करेगा।

1. मैं पर्वतों की ओर देखता रहता हूँ- क्या वहाँ से मुझे सहायता मिलेगी? जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया, वही प्रभु मेरी सहायता करेगा।

2. वह तुम्हें कभी विचलित न होने दे, तुम्हारा रक्षक न सो जाये। नहीं ! इस्राएल की रक्षा करने वाला न तो सोता है और न झपकी लेता है।

3. प्रभु ही तुम्हारी रक्षा करता है, वह छाया की तरह तुम्हारे दाहिने रहता है। न तो दिन में सूर्य से तुम्हारी कोई हानि होगी और न रात में चन्द्रमा से।

4. प्रभु तुम्हें हर बुराई से बचायेगा, वह तुम्हारी आत्मा की रक्षा करेगा, अभी और अनन्तकाल तक।

जयघोष

अल्लेलूया ! खुश हो और आनन्द मनाओ - स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार

"धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं।"

येसु यह विशाल जनसमूह देख कर पहाड़ी पर चढ़े और बैठ गये। उनके शिष्य उनके पास आये और वह यह कह कर उन्हें शिक्षा देने लगे : "धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं- स्वर्गराज्य उन्हीं का है। धन्य हैं वे, जो नम्र हैं उन्हें प्रतिज्ञात देश प्राप्त होगा। धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं उन्हें सान्त्वना मिलेगी। धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं वे तृप्त किये जायेंगे। धन्य हैं वे, जो दयालु हैं उन पर दया की जायेगी। धन्य हैं वे, जिनका हृदय निर्मल है वे ईश्वर के दर्शन करेंगे। धन्य हैं वे, जो मेल कराते हैं वे ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे। धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं स्वर्गराज्य उन्हीं का है। धन्य हो तुम, जब लोग मेरे कारण तुम्हारा अपमान करते हैं, तुम पर अत्याचार करते और तरह-तरह के झूठे दोष लगाते हैं। खुश हो और आनन्द मनाओ स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। तुम्हारे पहले के नबियों पर भी वे इसी तरह अत्याचार किया करते थे।"

प्रभु का सुसमाचार।