वर्ष का दसवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का पहला ग्रन्थ 18:20-39

"यह प्रजा स्वीकार करे कि तू प्रभु सच्चा ईश्वर है। इस प्रकार तू उसका हृदय फिर अपनी ओर उन्मुख कर देगा।"

अहाब ने सब इस्राएलियों को बुला भेजा और नबियों को कारमेल पर्वत पर एकत्र किया। तब एलियस ने जनता के सामने आ कर कहा, “तुम लोग कब तक आगा-पीछा करते रहोगे? यदि प्रभु-ईश्वर है, तो उसी के अनुयायी बनो और यदि बाल ईश्वर है, तो उसी के अनुयायी बनो।" किन्तु लोगों ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया। तब एलियस ने जनता से कहा, “मैं प्रभु का अकेला नबी रह गया हूँ। बाल के नबियों की संख्या साढ़े चार सौ है। हमें दो साँड़ दो। वे उन दोनों में से एक को अपने लिए चुन ले, उसके टुकड़े-टुकड़े करें और लकड़ी पर रख दें, किन्तु वे उस में आग नहीं लगायें। मैं दूसरा साँड़ तैयार कर उसे लकड़ी पर रखूँगा और उस में, आग नहीं लगाऊँगा। तुम अपने देवता का नाम ले कर प्रार्थना करो और मैं प्रभु का नाम ले कर प्रार्थना करूँगा- जो देवता आग भेज कर उत्तर देगा, वही ईश्वर है।" सारी जनता ने यह कहते हुए उत्तर दिया, "हमें स्वीकार है।" तब एलियस ने बाल के नबियों से कहा, "तुम्हारी संख्या अधिक है, इसलिए तुम अपने लिए एक साँड़ चुन लो और उसे तैयार करो। अपने देवता का नाम ले कर प्रार्थना करो, किन्तु आग नहीं लगाओ।" उन्होंने अपने को दिया हुआ साँड़ ले कर तैयार किया। तब वे सुबह से दोपहर तक यह कहते हुए बाल से प्रार्थना करते रहे, "हे बाल ! हमारी सुन।" किन्तु कोई वाणी नहीं सुनाई पड़ी, कोई उत्तर नहीं मिला, यद्यपि वे अपनी बनायी हुई वेदी के चारों ओर घुटने झुकाये हुए नाचते रहे। दोपहर के लगभग एलियस यह कहते हुए उनका उपहास करने लगा, "तुम लोग और जोर से पुकारो। वह तो देवता है न? वह किसी सोच-विचार में पड़ा हुआ होगा, या किसी काम में लगा हुआ होगा या यात्रा पर होगा। हो सकता है वह सोया हुआ हो, तो उसे जगाना पड़ेगा।" वे और जोर से पुकारने और अपने रिवाज के अनुसार अपने को तलवारों और भालों से काट मारने लगे, यहाँ तक कि वे रक्त से लथपथ हो गये। वे दोपहर के बाद भी सन्ध्योपासना के समय तक ऐसा करते रहे, किन्तु न तो कोई वाणी सुनाई पड़ी और न कोई उत्तर मिला। उनकी प्रार्थना पर ध्यान ही नहीं दिया गया। तब एलियस ने जनता से कहा, "मेरे पास आओ।" सब लोग उसके पास आये और एलियस ने प्रभु की वेदी, जो गिरा दी गयी थी, फिर बनायी। प्रभु ने याकूब से कहा था कि तुम्हारा नाम इस्राएल होगा; उसी याकूब के पुत्रों के वंशों की संख्या के अनुसार एलियस ने बारह पत्थर लिये और उन से प्रभु के लिए एक वेदी बनायी। उसने उसके चारों ओर एक नाला खोदा, जिस में अनाज के दो पैमाने समा सकते थे। तब उसने लकड़ियाँ वेदी पर सजायीं, साँड़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिये और उसे लकड़ी पर रखा। तब उसने कहा, "चार घड़े पानी से भर कर होमबलि और लकड़ी पर उँडेल दो।" उसके बाद उसने कहा, "एक बार और यही करो।" जब उन्होंने ऐसा किया तो उसने कहा, "तीसरी बार यही करो।" जब उन्होंने तीसरी बार ऐसा किया; तो पानी वेदी पर से चारों ओर बहने लगा और नाला पानी से भर गया। सन्ध्योपासना के समय नबी एलियस ने आगे बढ़ कर कहा, "हे इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के ईश्वर ! आज यह दिखाने की कृपा कर कि तू इस्राएल का ईश्वर है और यह कि मैं तेरे सेवक ने यह सब तेरे आदेश के अनुसार किया है। मेरी सुन ! हे प्रभु ! मेरी सुन ! जिससे यह प्रजा स्वीकार करे कि तू प्रभु सच्चा ईश्वर है। इस प्रकार तू उसका हृदय फिर अपनी ओर उन्मुख कर देगा।" इस पर प्रभु की आग बरस पड़ी। उसने होमबलि, लकड़ी, पत्थर और मिट्ठी-सब कुछ भस्म कर दिया और नाली का पानी भी सुखा दिया। लोग यह देख कर मुँह के बल गिर पड़े और बोल उठे, "प्रभु ही ईश्वर है ! प्रभु ही ईश्वर है !"

भजन : स्तोत्र 15:1-2,4,5,8,11

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तुझ पर ही भरोसा है ! मेरी रक्षा कर।

1. हे प्रभु ! तुझ पर ही भरोसा है। तू मेरी रक्षा कर। मैं प्रभु से कहता हूँ, "तू ही मेरा ईश्वर है।"

2. जो अन्य देवताओं की शरण लेते हैं, उन्हें पछताना पड़ेगा। मैं उन देवताओं के नाम रक्त का बलिदान नहीं चढ़ाऊँगा।

3. हे प्रभु ! तू मेरा सर्वस्व और मेरा भाग्य है। तेरे ही हाथों मेरा जीवन है। प्रभु सदा मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दाहिने विद्यमान है, इसलिए मैं दृढ़ बना रहता हूँ।

4. तू मुझे जीवन का मार्ग दिखायेगा। तेरे पास रह कर परिपूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, तेरे दाहिने सदा के लिए सुख-शांति है।

जयघोष

अल्लेलूया ! हे मेरे ईश्वर ! मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:17-19

"मैं रद्द करने नहीं, बल्कि पूरा करने आया हूँ।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "यह न समझो कि मैं संहिता अथवा नबियों के लेखों को रद्द करने आया हूँ। उन्हें रद्द करने नहीं, बल्कि पूरा करने आया हूँ। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ- आकाश और पृथ्वी भले ही टल जायें, किन्तु संहिता की एक मात्रा अथवा एक बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। इसलिए जो उन छोटी-से-छोटी आज्ञाओं में से एक को भी भंग करता और दूसरों को ऐसा करना सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में छोटा समझा जायगा। जो उनका पालन करता और उन्हें सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में बड़ा समझा जायेगा।"

प्रभु का सुसमाचार।