वर्ष का दसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का पहला ग्रन्थ 19:9,11-16

"पर्वत पर प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ।"

एलियस पर्वत होरेब के पास पहुँचा और एक गुफा के अन्दर चल कर वहाँ रात बितायी। प्रभु ने उस से कहा, "निकल आओ, और पर्वत पर प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ।" तब प्रभु उसके सामने से हो कर आगे बढ़ा। प्रभु के आगे-आगे एक प्रचण्ड आँधी चली- पहाड़ फट गये और चट्टानें टूट गयीं, किन्तु प्रभु आँधी में नहीं था। आँधी के बाद भूकम्प हुआ, किन्तु प्रभु भूकम्प में नहीं था। भूकम्प के बाद अग्नि दिखाई पड़ी, किन्तु प्रभु अग्नि में नहीं था। अग्नि के बाद मन्द समीर की सरसराहट सुनाई पड़ी। एलियस ने यह सुन कर अपना मुँह चादर से ढक लिया और वह बाहर निकल कर गुफा के द्वार पर खड़ा हो गया। तब उसे एक वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ी, "एलियस ! तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" उसने उत्तर दिया, "विश्वमंडल के प्रभु-ईश्वर के लिए अपने उत्साह के कारण मैं यहाँ हूँ। इस्स्राएली लोगों ने तेरा विधान त्याग दिया, तेरी बेदियों को नष्ट कर डाला और तेरे नबियों को तलवार के घाट उतारा। मैं ही बच गया हूँ और वे मुझे भी मार डालना चाहते हैं।" प्रभु ने कहा, "जाओ, जिस रास्ते से आये हो, उसी से दमिश्क की मरुभूमि लौट जाओ। वहाँ पहुँच कर हजाएल का अराम के राजा के रूप में और निमशी के पुत्र येहू का इस्राएल के राजा के रूप में अभिषेक करो। इसके बाद आवेल-महोला के निवासी, शाफाट के पुत्र एलीसय का अभिषेक करो, जिससे वह तुम्हारे स्थान नबी हो।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 26:7-9,13-14

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तेरे दर्शनों के लिए तरसता हूँ।

1. हे प्रभु ! तू मेरी पुकार पर ध्यान दे, मुझे पर दया कर और मेरी सुन। प्रभु की शरण में जाना यही मेरे हृदय की अभिलाषा रही।

2. हे प्रभु! मैं तेरे दर्शनों के लिए तरसता हूँ, अपना मुख मुझ से न छिपा। अप्रसन्न हो कर अपने सेवक को न त्याग, क्योंकि तू ही मेरा सहारा है।

3. मुझे विश्वास है कि मैं इस जीवन में प्रभु की भलाई को देख पाऊँगा। प्रभु पर भरोसा रखो, दृढ़ रहो और प्रभु पर भरोसा रखो।

जयघोष

अल्लेलूया ! आप लोग संसार में उज्ज्वल तारों की तरह चमकेंगे, क्योंकि जीवन का वचन आप लोगों को प्राप्त हो गया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार (वर्ष 1 और वर्ष 2)

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:27-32

"जो बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।"

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है- व्यभिचार मत करो। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ - जो बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।" "यदि तुम्हारी दाहिनी आँख तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये, तो उसे निकाल कर फेंक दो। अच्छा यही है कि तुम्हारे अंगों में से एक नष्ट हो जाये, किन्तु तुम्हारा सारा शरीर नरक में न डाला जाये। और यदि तुम्हारा दाहिना हाथ तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये तो उसे काट कर फेंक दो। अच्छा यही है कि तुम्हारे अंगों में से एक नष्ट हो जाये, किन्तु तुम्हारा सारा शरीर नरक में न जाये। "यह भी कहा गया है - जो कोई अपनी पत्नी को त्यागे, वह उसे त्यागपत्र दे। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ - व्यभिचार को छोड़ किसी अन्य कारण से जो अपनी पत्नी को त्याग देता है, वह उस से व्यभिचार कराता है। और जो त्यागी हुई स्त्री से विवाह करता है, वह व्यभिचार करता है।"

प्रभु का सुसमाचार।