यिज्रएली नाबोत की एक दाखबारी थी, जो समारिया के राजा अहाब के महल से लगी हुई थी। अहाब ने किसी दिन नाबोत से कहा, "अपनी दाखबारी मुझे दे दो। मैं उसे सब्जी का बाग बनाना चाहता हूँ, क्योंकि वह मेरे महल से लगी हुई है। मैं उसके बदले में तुम्हें उस से अच्छी दाखबारी दे दूँगा या यदि तुम चाहो, तो मैं तुम्हें उसका मूल्य चुका दूँगा।" किन्तु नाबोत ने अहाब से कहा, "ईश्वर यह न होने दे कि मैं आप को अपने पुरखों की विरासत दे दूँ।" अहाब उदास और क्रुद्ध हो कर अपने घर चला गया, क्योंकि यिज्रएली नाबोत ने उस से कहा था, "मैं तुम्हें अपने पुरखों की विरासत नहीं दूँगा।" उसने अपने पलंग पर लेट कर मुँह फेर लिया और भोजन करने से इनकार कर दिया। उसकी पत्नी ईजेबेल ने उसके पास आ कर पूछा, "आप क्यों उदास हैं और भोजन करना नहीं चाहते?" उसने उत्तर दिया, "मैंने यिज्रएली नाबोत से कहा, 'रुपया ले कर मुझे अपनी दाखबारी दो या यदि तुम चाहो तो मैं उसके बदले में तुम को एक दूसरी दाखबारी दे दूँगा।' उसने उत्तर में कहा, 'मैं आप को अपनी दाखबारी नहीं दूंगा'।" इस पर उसकी पत्नी ईजेबेल ने कहा, "वाह ! आप इस्राएल के कैसे राजा हैं? ? उठ कर भोजन कीजिए और प्रसन्न हो जाइए। मैं आप को यिज्रएली नाबोत की दाखबारी दिलाऊँगी।" उसने अहाब के नाम से पत्र लिखा, उस पर उसकी मुहर लगायी और उसे नाबोत के नगर में रहने वाले नेताओं और प्रतिष्ठित लोगों के पास भेज दिया। उसने पत्र में यह लिखा, "उपवास घोषित करो और लोगों की सभा में नाबोत को प्रथम स्थान पर बैठाओ। तब उसके सामने दो गुण्डों को बैठा दो, जो उस पर यह अभियोग लगायें कि उसने ईश्वर और राजा को अभिशाप दिया है। इसके बाद उसे नगर के बाहर ले जा कर पत्थरों से मरवा डालो।" नाबोत के नगर में रहने वाले नेताओं और प्रतिष्ठित लोगों ने ईजेबेल के उस आदेश का पालन किया, जो उनके पास भेजे हुए ईजेबेल के पत्र में लिखा हुआ था। उन्होंने उपवास घोषित किया और लोगों की सभा में नाबोत को प्रथम स्थान पर बैठाया। इसके बाद दो गुण्डे आये, नाबोत के सामने बैठ गये और यह कहते हुए लोगों की सभा में नाबोत के विरुद्ध साक्ष्य देने लगे, "नाबोत ने ईश्वर और राजा को अभिशाप दिया है।" लोगों ने नाबोत को नगर के बाहर ले जा कर पत्थरों से मारा और वह मर गया। इसके बाद उन्होंने ईजेबेल के पास यह कहला भेजा, "नाबोत को पत्थरों से मारा गया और उसका देहान्त हो गया है।" ईजेबेल ने ज्योंही सुना कि नाबोत पत्थरों से मार डाला गया है, वह अहाब से बोली, “उठिए और यिज्रएली नाबोत की दाखबारी को अपने अधिकार में कर लीजिए। जो नाबोत दाम ले कर आप को अपनी दाखबारी नहीं देना चाहता था, वह अब जीवित नहीं रहा; वह मर चुका है।" अहाब यह सुन कर कि नाबोत मर चुका है, तुरन्त ही यिज्रएली नाबोत की दाखबारी को अपने अधिकार में करने के लिए चल पड़ा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे !
1. हे प्रभु ! मेरी बात सुन ! मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे ! मेरी दुहाई तेरे पास पहुँचे। मेरे राजा ! मेरे ईश्वर !
2. तू न तो बुराई से समझौता कर लेता और न दुष्टों को शरण देता है। घमण्डी तेरे सामने टिक नहीं पाते।
3. तू सभी कुकर्मियों से घृणा करता और सभी झूठ बोलने वालों का सर्वनाश करता है। प्रभु कपटियों और हत्यारों का तिरस्कार करता है।
अल्लेलूया ! तेरी शिक्षा मुझे ज्योति प्रदान करती है और मेरा पथ आलोकित कर देती है। अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है आँख के बदले आँख, और दाँत के बदले दाँत। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ- दुष्ट का सामना नहीं करो। यदि कोई तुम्हारे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, तो दूसरा भी उसके सामने कर दो। यदि कोई मुकदमा लड़ कर तुम्हारा कुरता लेना चाहे, तो उसे अपनी चादर भी ले लेने दो। और यदि कोई तुम्हें आधा कोस बेगार में ले जाये, तो उसके साथ कोस भर चले जाओ। जो तुम से माँगे, उसे दे दो और जो तुम से उधार लेना चाहे, उस से मुँह न मोड़ो।"
प्रभु का सुसमाचार।