वर्ष का ग्यारहवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का पहला ग्रन्थ 21:17-29

"तुमने इस्त्राएल को पाप करने के लिए फुसलाया है।"

नाबोत की मृत्यु के बाद तिशबी एलियस को प्रभु की वाणी यह कहती हुई सुनाई पड़ी, "समारिया में रहने वाले इस्राएल के राजा अहाब से मिलने जाओ। वह नाबोत की दाखबारी में है। वह उसे अपने अधिकार में करने के लिए वहाँ गया है। उस से कहो : 'प्रभु यह कहता है। क्या तुम नाबोत की हत्या करने के बाद उसकी विरासत अपने अधिकार में करने आये हो?' उसके बाद उस से कहो : 'प्रभु यह कहता है। जहाँ कुत्तों ने नाबोत का रक्त चाटा, वहीं वे तुम्हारा भी रक्त चाटेंगे।" अहाब ने एलियस से कहा, "मेरे शत्रु ! क्या तुम फिर मेरे पास आ गये?" उसने उत्तर दिया, "मैं फिर आया हूँ, क्योंकि जो काम प्रभु की दृष्टि में बुरा है, उसे तुमने करने का निश्चय किया है। इसलिए मैं तुम पर विपत्ति ढाऊँगा और तुम्हें मिटा दूँगा। अहाब के घराने में जितने पुरुष हैं, मैं इस्राएल में से उन सब का अस्तित्व समाप्त कर दूँगा। मैंने नबाट के पुत्र येरोबआम के घराने और अहीया के पुत्र बाशा के घराने के साथ जो किया है, वही तुम्हारे घराने के साथ करूँगा, क्योंकि तुमने मेरा क्रोध भड़काया है और इस्स्राएल से पाप कराया है। और ईजेबेल के विषय में प्रभु यह कहता है : यिज्रएल की चारदीवारी के पास कुत्ते ईजेबेल को खा जायेंगे। अहाब के घराने का जो व्यक्ति नगर में मरेगा, वह कुत्तों द्वारा खाया जायेगा और जो खेत में मरेगा, वह आकाश के पक्षियों द्वारा खाया जायेगा।" अहाब की तरह कभी कोई नहीं हुआ, जिसने जो काम प्रभु, की दृष्टि में बुरा है, उसे करने का निश्चय किया; क्योंकि उसकी पत्नी ईजेबेल ने उसे बहकाया था। प्रभु ने जिन अमोरियों को इस्राएलियों के सामने से भगा दिया, अहाब ने उन्हीं की तरह देवमूर्तियों का अनुयायी बन कर अत्यन्त घृणित कार्य किया। अहाब ने ये शब्द सुन कर अपने वस्त्र फाड़ डाले और अपने शरीर पर टाट ओढ़ कर उपवास किया। वह टाट के कपड़े में सोता था और उदास हो कर इधर-उधर टहलता था। तब प्रभु की वाणी तिशबी एलियस को यह कहते हुए सुनाई पड़ी, “क्या तुमने देखा है कि अहाब ने किस तरह अपने को मेरे सामने दीन बना लिया है? चूँकि उसने अपने को मेरे सामने दीन बना लिया, इसलिए मैं उसके जीवनकाल में उसके घराने पर विपत्ति नहीं ढाऊँगा। मैं उसके पुत्र के राज्यकाल में उसके घराने पर विपत्ति ढाऊँगा।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 50:3-6,11,16

अनुवाक्य : हे प्रभु ! दया कर, क्योंकि हमने पाप किया है।

1. हे ईश्वर ! तू दयालु है, मुझ पर दया कर। तू दयासागर है, मेरा अपराध क्षमा कर। मेरी दुष्टता पूर्ण रूप से धो डाल, मुझ पापी को शुद्ध कर।

2. मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ, मेरा पाप निरन्तर मेरे सामने है। मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है। जो काम तेरी आँखों में बुरा है, वही मैंने किया है।

3. तू मेरे पापों पर दृष्टि न डाल, तू मेरा अपराध मिटा देने की कृपा कर। हे प्रभु! मेरे मुक्तिदाता ! मुझे बचा और मैं तेरी भलाई का बखान करूँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैं तुम लोगों को एक नयी आज्ञा देता हूँ जैसे मैंने तुम लोगों को प्यार किया है, वैसे तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।" अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:43-48

"अपने शत्रुओं से प्रेम करो।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है अपने पड़ोसी से प्रेम करो और अपने बैरी से बैर। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ अपने शत्रुओं से प्रेम करो और जो तुम पर अत्याचार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो। इस से तुम अपने स्वर्गिक पिता की सन्तान बन जाओगे; क्योंकि वह भले और बुरे, दोनों पर अपना सूर्य उगाता है तथा धर्मी और अधर्मी, दोनों पर पानी बरसाता है। यदि तुम उन्हीं से प्रेम रखते हो, जो तुम से प्रेम रखते हैं, तो पुरस्कार का दावा कैसे कर सकते हो? क्या नाकेदार भी ऐसा नहीं करते? और यदि तुम अपने भाइयों को ही नमस्कार करते हो, तो कौन-सा बड़ा काम करते हो? क्या गैरयहूदी भी ऐसा नहीं करते? इसलिए तुम पूर्ण बनो, जैसे तुम्हारा स्वर्गिक पिता पूर्ण है।"

प्रभु का सुसमाचार।