जब अहज्या की माता अतल्या ने देखा कि उसका पुत्र मर गया है, तो वह समस्त राजकुल का विनाश करने लगी। किन्तु राजा योराम की पुत्री और अहज्या की बहन यहोशेबा ने अहज्या के पुत्र योआश को चुपके से उन राजकुमारों से अलग कर दिया जिनकी हत्या हो रही थी और उसे उसकी धाय के साथ शयनकक्ष में रखा। इस प्रकार वह अतल्या से छिपा रहा और बच गया। वह छह वर्ष तक गुप्त रूप से प्रभु के मंदिर में उसके साथ रहा। उस समय अतल्या समस्त देश का शासन करती थी। सातवें वर्ष यहोयादा ने कारियों के शतपतियों और अंगरक्षकों को बुला भेजा। उसने उन्हें प्रभु के मंदिर के अन्दर ले जा कर उनके साथ समझौता कर लिया और शपथ दिला कर उन्हें राजकुमार को दिखाया। शतपतियों ने याजक यहोयादा के आदेश का पूरा-पूरा पालन किया। प्रत्येक अपने आदमियों - जो विश्राम-दिवस को पहरे से छूट गये और जो विश्राम दिवस को पहरे पर आये थे - दोनों को ले कर याजक यहोयादा के पास आया। याजक ने शतपतियों को प्रभु के मंदिर में सुरक्षित राजा दाऊद के भाल और ढालें दे दीं। अंगरक्षक मंदिर के दक्षिण कोने से उत्तरी कोने तक, वेदी और मंदिर के सामने, हाथ में अस्त्र लिये खड़े हो गये। तब यहोयादा ने राजकुमार को बाहर ला कर उसे मुकुट और राजचिह्न पहनाये और राजा के रूप में उसका अभिषेक किया। सब तालियाँ बजा कर चिल्ला उठे - राजा की जय ! अतल्या लोगों का जयकार सुन कर प्रभु के मंदिर में लोगों के पास आयी। उसने देखा कि राजा, प्रथा के अनुसार सेनापतियों और तुरही बजाने वालों के साथ, मंच पर खड़ा है, देश भर के लोग आनन्द मना रहे हैं और तुरहियाँ बज रही हैं। इस पर अतल्या अपने वस्त्र फाड़ कर चिल्ला उठी, "यह राजद्रोह है ! राजद्रोह है !" याजक यहोयादा ने सेना के शतपतियों से कहा, "उसे बाहर ले जाओ। जो उसके साथ जायेगा, उसे तलवार के घाट उतार दो।" क्योंकि याजक ने कहा था कि प्रभु के मंदिर में उसका वध नहीं किया जा सकता है, वे उसे पकड़ कर अश्व-फाटक से हो कर राजमहल ले गये। वहाँ उसका वध कर दिया गया। तब यहोयादा ने प्रभु, राजा और जनता के बीच एक ऐसा विधान निर्धारित किया, जिससे जनता फिर प्रभु की प्रजा बन जाये। इसके बाद देश भर के लोगों ने बाल के मंदिर जा कर उसे नष्ट कर दिया। उन्होंने वेदियों और मूर्तियों के टुकड़े-टुकड़े कर दिये और बाल के पुरोहित मत्तान को वेदियों के सामने मार डाला। याजक ने प्रभु के मंदिर पर पहरा बैठा दिया। देश भर के लोग आनन्दित थे और नगर फिर शांत हो गया। अतल्या को राजमहल में तलवार के घाट उतारा गया था।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य: प्रभु ने सियोन को चुना और अपने निवास के लिए चाहा।
1. प्रभु ने शपथ खा कर दाऊद से प्रतिज्ञा की है। वह अपने वचन से नहीं मुकरेगा। "मैं तुम्हारे वंशजों में से एक को तुम्हारे सिंहासन पर बैठाऊँगा।"
2. "यदि तुम्हारे पुत्र मेरे विधान का पालन करेंगे और मेरे दिये हुए नियमों पर चलेंगे, तो उनके पुत्र भी युग युगों तक तुम्हारे सिंहासन पर बैठेंगे।"
3. क्योंकि प्रभु ने सियोन को चुना और अपने निवास के लिए चाहा। “यह मेरा चिरस्थायी निवास है। मेरी इच्छा यह है कि मैं यहीं रहूँ।"
4. "मैं यहाँ दाऊद के लिए एक शक्तिशाली वंशज उत्पन्न करूँगा, अपने मसीह के लिए एक प्रदीप जलाऊँगा। उसके शत्रुओं को लज्जित होना पड़ेगा, किन्तु उसके मस्तक पर मेरा मुकुट शोभायमान होगा।"
अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं- स्वर्गराज्य उन्हीं का है। अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "पृथ्वी पर अपने लिए पूँजी जमा नहीं करो, जहाँ मोरचा लगता है, कीड़े खाते हैं और चोर सेंध लगा कर चुराते हैं। स्वर्ग में अपने लिए पूँजी जमा करो, जहाँ न तो मोरचा लगता है, न कीड़े खाते हैं और न चोर सेंध लगा कर चुराते हैं। क्योंकि जहाँ तुम्हारी पूँजी है, वहीं तुम्हारा हृदय भी रहेगा।" “आँख शरीर का दीपक है। यदि तुम्हारी आँख अच्छी हो, तो तुम्हारा सारा शरीर प्रकाशमान होगा; किन्तु यदि तुम्हारी आँख बीमार हो, तो तुम्हारा सारा शरीर अंधकारमय होगा। इसलिए जो ज्योति तुम में है, यदि वही अंधकार हो, तो यह कितना घोर अंधकार होगा।"
प्रभु का सुसमाचार।