यहोयादा की मृत्यु के बाद यूदा के नेताओं ने राजा के पास आ कर उसे दण्डवत् किया। राजा ने उनकी बात मान ली। लोगों ने प्रभु, अपने पूर्वजों के ईश्वर का मंदिर त्याग दिया और वे अशेरा देवियों तथा देवमूतियों की पूजा करने लगे। इस अपराध के कारण ईश्वर का क्रोध यूदा तथा येरुसालेम पर भड़क उठा। उसने नबियों को भेजा, जिससे वे उन्हें प्रभु के पास वापस ले आयें, किन्तु लोगों ने नबियों का सन्देश सुन कर उस पर ध्यान नहीं दिया। ईश्वर के आत्मा ने याजक यहोयादा के पुत्र जकर्या को प्रेरित किया और उसने जनता के सामने खड़ा हो कर कहा, "ईश्वर यह कहता है- तुम लोग क्यों प्रभु की आज्ञाओं का उल्लंघन करते हो? इस में तुम्हारा कल्याण नहीं है। तुम लोगों ने प्रभु को त्याग दिया, इसलिए वह भी तुम लोगों को त्याग देगा।" इसके बाद सब लोगों ने मिल कर उसका विरोध किया और राजा के आदेश से उसे प्रभु-मंदिर के प्रांगण में पत्थरों से मार डाला। राजा योआश ने जकर्या के पिता यहोयादा के सब उपकारों को भुला कर उसके पुत्र जकर्या को मरवा डाला। जकर्या ने मरते समय यह कहा, "प्रभु देख रहा है और इसका बदला चुकायेगा।" वर्ष के अन्त में अमोरियों की सेना योआश पर आक्रमण करने निकली। उसने यूदा और येरुसालेम में प्रवेश कर जनता के सब नेताओं का वध किया और लूट का सारा माल दमिश्क के राजा के पास भेज दिया। अरामी सैनिकों की संख्या अधिक नहीं थी, फिर भी प्रभु ने एक बहुत बड़ी सेना को उनके हवाले कर दिया, क्योंकि इन्होंने अपने पूर्वजों के प्रभु-ईश्वर को त्याग दिया था। योआश को भी उचित दण्ड भोगना पड़ा। जब अरामियों की सेना योआश को घोर संकट में छोड़ कर चली गयी, तो उसके दरबारियों ने उसके विरुद्ध षड्यन्त्र रच कर उसे उसके पलंग पर मारा, क्योंकि उसने याजक यहोयादा के पुत्र का रक्त बहाया था। वह मर गया और दाऊद-नगर में दफनाया गया, किन्तु वह राजाओं के मकबरे में नहीं रखा गया।>
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : मेरी कृपा उस पर बनी रहेगी।
1. मैं अपने कृपापात्र को प्रतिज्ञा दे चुका हूँ। मैंने शपथ खा कर अपने सेवक दाऊद से कहा मैं तुम्हारा वंश सदा-सर्वदा के लिए स्थापित करूँगा, तुम्हारा सिंहासन युग युगों तक सुदृढ़ बनाये रखूँगा।
2. मेरी कृपा उस पर बनी रहेगी। मेरी प्रतिज्ञा उसके लिए चिरस्थायी है। मैं उसका वंश सदा ही बनाये रखूँगा, उसका सिंहासन स्वर्ग की तरह चिरस्थायी होगा।
3. यदि उसके पुत्र मेरी संहिता छोड़ देंगे और मेरी शिक्षा का तिरस्कार करेंगे, यदि वे मेरे नियमों का उल्लंघन करेंगे आर मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं करेंगे, तो मैं पापों के कारण उन्हें मारूँगा और कोड़े लगा कर अधर्म का दण्ड दूँगा, किन्तु दाऊद के लिए मेरा प्रेम चिरस्थायी है। मेरी सत्यप्रतिज्ञता सदा बनी रहेगी।
अल्लेलूया ! येसु मसीह धनी थे किन्तु आप लोगों के लिए निर्धन बने, जिससे आप उनकी निर्धनता द्वारा धनी बन जायें। अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "कोई भी दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता। वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम ईश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।" "मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खायें और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनें। क्या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो। वे न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्हारा स्वर्गिक पिता उन्हें खिलाता है। क्या तुम उन से बढ़ कर नहीं हो? चिन्ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु घड़ी भर भी बढ़ा सकता है? और कपड़ों की चिन्ता क्यों करते हो? खेत के फूलों को देखो। वे कैसे बढ़ते हैं ! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं। फिर भी मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि सुलेमान अपने पूरे ठाट-बाट में उन में से एक की भी बराबरी नहीं कर सकता था। हे अल्पविश्वासियो ! खेत की घास आज भर है और कल चूल्हे में झोंक दी जायेगी। उसे भी यदि ईश्वर इस प्रकार सजाता है, तो वह तुम्हें क्यों नहीं पहनायेगा?" "इसलिए यह कह कर चिन्ता मत करो हम क्या खायें, क्या पीयें, क्या पहनें। इन सब चीजों की खोज में गैरयहूदी लगे रहते हैं। तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीजों की जरूरत है। तुम सब से पहले ईश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो और ये सब चीजें तुम्हें यों ही मिल जायेंगी। कल की चिन्ता मत करो। कल अपनी चिन्ता स्वयं कर लेगा। आज की मुसीबत आज के लिए बहुत है।"
प्रभु का सुसमाचार।