वर्ष का बारहवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का दूसरा ग्रन्थ 17:5-8,13-15,18

"प्रभु ने इस्त्राएल को अपने सामने से दूर किया। यूदा का वंश ही शेष रहा।"

अस्सूर के राजा शलमन-एस्सर ने सारे देश पर आक्रमण किया और समारिया तक पहुँच कर तीन वर्ष तक उसके चारों ओर घेरा डाला। होशेआ के राज्यकाल के नौवें वर्ष में अस्सूर के राजा ने समारिया को अपने अधिकार में किया। उसने इस्राएलियों को अस्सूर ले जा कर उन्हें हलह नामक नगर में, गोजान की नदी हाबीर के तट पर और मेदियों के कुछ नगरों में बसाया। यह इसलिए हुआ कि इस्राएलियों ने अपने प्रभु-ईश्वर के विरुद्ध पाप किया, जो उन्हें मिस्त्र के राजा फिराउन के हाथ से छुड़ा कर ले आया. था। उन्होंने पराये देवताओं की उपासना की थी और उन लोगों के रिवाजों को अपनाया था, जिन्हें प्रभु ने उनके सामने से भगा दिया था। प्रभु ने अपने नबियों और द्रष्टाओं के मुख से इस्राएल और यूदा को चेतावनी दे कर कहा था, "अपना कुमार्ग छोड़ कर मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो जो उस संहिता में लिखे हुए हैं जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों के लिए निर्धारित किया और नबियों, अपने सेवकों द्वारा उन्हें सुनाया था।" किन्तु वे सुनना नहीं चाहते थे और अपने उन पूर्वजों की तरह हठीले और विद्रोही थे, जिन्होंने अपने प्रभु-ईश्वर में विश्वास नहीं किया था। उन्होंने प्रभु की आज्ञाओं, अपने पूर्वजों के लिए निर्धारित विधान और प्रभु की चेतावनियों का तिरस्कार किया। इसलिए प्रभु का क्रोध इस्राएल पर भड़क उठा और उसने इस्राएल को अपने सामने से दूर कर दिया। केवल यूदा का वंश बचा रह गया।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 59:3-5,12-13

अनुवाक्य : हे प्रभु ! अपने भुजबल से हमें बचा और हमारी सुन।

1. हे ईश्वर : तूने हमें त्याग दिया और हम टूट गये। तू हम पर क्रुद्ध हुआ। अब हमारे पास लौटने की कृपा कर।

2. तूने पृथ्वी को कँपाया और वह फट गयी है। अब उसकी दरारें भर दे क्योंकि वह डगमगाती है। तूने अपनी प्रजा को घोर कष्ट में डाल दिया और हमें लड़खड़ा देने वाली मदिरा पिलायी है।

3. हे ईश्वर ! क्या तूने हमें त्याग दिया है? अब तू हमारी सेनाओं का साथ नहीं देता। हम पर अत्याचार किया जा रहा है-तू ही हमारी सहायता कर। क्योंकि मनुष्य की सहायता व्यर्थ ही है। ईश्वर की सहायता से ही हम महान् कार्य करेंगे। वही हमारे शत्रुओं को परास्त करेंगे।

जयघोष

अल्लेलूया ! ईश्वर का वचन जीवन्त और सशक्त है। वह हमारी आत्मा के अन्तरतम तक पहुँच जाता है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 7:1-5

"पहले अपनी ही आँख की धरन निकाल लो।"

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "दोष न लगाओ, जिससे तुम पर भी दोष न लगाया जाये; क्योंकि जिस रीति से तुम दोष लगाते हो, उसी रीति से तुम पर भी दोष लगाया जायेगा और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जायेगा। जब तुम्हें अपनी ही आँख की धरन का पता नहीं है, तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्यों देखते हो? जब तुम्हारी ही आँख में धरन है, तो तुम अपने भाई से कैसे कह सकते हो, 'मैं तुम्हारी आँख का तिनका निकाल दूँ?' रे ढोंगी ! पहले अपनी ही आँख की धरन निकाल लो। तभी अपने भाई की आँख का तिनका निकालने के लिए अच्छी तरह देख सकोगे।"

प्रभु का सुसमाचार।