अस्सूर के राजा सनहेरीब ने हिजकीया के पास दूतों को भेजते हुए उस से कहा, "यूदा के राजा हिजकीया से यह कहना : तुम अपने ईश्वर पर भरोसा रखते हो, जो तुम्हें यह आश्वासन देता है कि येरुसालेम अस्सूर के राजा के हाथ नहीं पड़ेगा। इस प्रकार का धोखा मत खाओ। तुमने सुना है कि अस्सूर के राजाओं ने सब देशों का सर्वनाश किया है, तो तुम कैसे बच सकते हो?" हिजकीया ने दूतों के हाथ से पत्र ले कर पढ़ा। इसके बाद उसने मंदिर जा कर उसे प्रभु के सामने खोल कर रख दिया। तब हिजकीया ने प्रभु से इस प्रकार प्रार्थना की "हे प्रभु! इस्राएल के ईश्वर ! तू केरुबीम पर विराजमान है। तू पृथ्वी भर के सब राज्यों का एकमात्र ईश्वर है। तूने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है। हे प्रभु ! तू कान लगा कर सुन ! हे प्रभु ! तू आँखें खोल कर देख ! सरहेरीब के शब्द सुन, जिनके द्वारा उसने जीवन्त ईश्वर का अपमान किया है। हे प्रभु ! यह सच है कि अस्सूर के राजाओं ने राष्ट्रों का सर्वनाश किया और उनके देवताओं को जलाया है। वे देवता नहीं, बल्कि मनुष्यों द्वारा लकड़ी और पत्थर की मूर्तियाँ मात्र थे। इसलिए वे उन्हें नष्ट कर सके। हे प्रभु! हमारे ईश्वर ! हमें उसके पंजे से छुड़ा जिससे पृथ्वी भर के राज्य यह स्वीकार करें कि, हे प्रभु ! तू ही ईश्वर है।" तुम्हारी उस समय आमोस के पुत्र इसायस ने हिजकीया के पास यह कहला भेजा, "प्रभु, इस्राएल का राजा यह कहता है : मैंने अस्सूर के राजा. सनहेरीब के विषय में तुम्हारी प्रार्थना सुनी है। सनहेरीब के विरुद्ध प्रभु का कहना इस प्रकार है- सियोन की कुँवारी पुत्री तेरा तिरस्कार और उपहास करती है। येरुसालेम की पुत्री तेरी पीठ पीछे सिर हिलाती है। क्योंकि येरुसालेम में से एक अवशेष निकलेगा और पर्वत सियोन से बचे हुए लोगों का एक दल। विश्वमंडल के प्रभु का अनन्य प्रेम यह कर दिखायेगा। इसलिए अस्सूर के राजा के विषय में प्रभु यह कहता है : वह इस नगर में प्रवेश नहीं करेगा और इस पर एक बाण भी नहीं छोड़ेगा। वह ढाल ले कर उसके पास नहीं भटकेगा और उसकी मोरचाबन्दी नहीं करेगा। वह जिस रास्ते से आया, उसी से वापस जायेगा। वह इस नगर में प्रवेश नहीं करेगा। यह प्रभु की वाणी है। मैं अपने नाम और अपने सेवक दाऊद के कारण यह नगर बचा कर सुरक्षित रखूँगा।" उसी रात प्रभु के दूत ने आ कर अस्सूर के राजा के शिविर में एक लाख पचासी हजार लोगों को मारा। सब मर कर पड़े हुए थे। अस्सूर का राजा सनहेरीब शिविर उठा कर अपने देश लौटा और निनीवे में रहा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : ईश्वर अपना नगर सुदृढ़ बनाये रखता है।
1. हमारे ईश्वर के नगर में प्रभु महान् और अत्यन्त प्रशंसनीय है। उसका पवित्र पर्वत ऊँचा और मनोहर है, वह समस्त पृथ्वी को आनन्द प्रदान करता है।
2. सियोन का पर्वत ! पृथ्वी का ध्रुव ! राजाधिकार का नगर ! ईश्वर इसके गढ़ों में निवास करता और इसे सुरक्षित रखता है।
3. हे प्रभु ! हम तेरे मंदिर में तेरे प्रेम का मनन करते हैं। हे ईश्वर ! तेरा नाम और तेरी स्तुति पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाती है। तेरा दाहिना हाथ न्याय से भरा है।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी।" अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "पवित्र वस्तु कुत्तों को मत दो और अपने मोती सूअरों के सामने मत फेंको। कहीं ऐसा न हो कि वे उन्हें अपने पैरों तले कुचल दें और पलट कर तुम्हें फाड़ डालें।" "दूसरों से अपने साथ जैसा व्यवहार चाहते हो, तुम भी उनके साथ वैसा ही किया करो। यही संहिता और नबियों की शिक्षा है।" “सँकरे द्वार से प्रवेश करो। चौड़ा है वह फाटक और विस्तृत है वह मार्ग, जो विनाश की ओर ले जाता है। उस पर चलने वालों की संख्या बड़ी है। किन्तु सँकरा है वह द्वार और सँकीर्ण है वह मार्ग, जो जीवन की ओर ले जाता है। जो उसे पाते हैं, उनकी संख्या थोड़ी है।"
प्रभु का सुसमाचार।