वर्ष का बारहवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 2

पहला पाठ

राजाओं का दूसरा ग्रन्थ 24:8-17

"बाबुल का राजा यहोयाकीन को और सात हजार सैनिकों को बन्दी बना कर बाबुल ले गया।"

यहोयाकीन अट्ठारह बरस की उमर में राजा बना और उसने तीन महीने तक येरुसालेम में राज्य किया। उसकी माता का नाम नहुश्ता था और वह येरुसालेम निवासी एल्नातान की पुत्री थी। यहोयाकीन ने अपने पिता की तरह वही किया जो प्रभु की दृष्टि में बुरा था। उस समय बाबुल के राजा नबूकदनेजर के सेनापतियों ने येरुसालेम पर आक्रमण किया और उसे चारों ओर से घेर लिया। जब उसके सेनापति येरुसालेम का घेरा डाल चुके थे, तो बाबुल का राजा नबूकदनेजर स्वयं पहुँचा और यहोयाकीन ने अपनी माता, अपने दरबारियों, पदाधिकारियों और खोजों के साथ बाबुल के राजा के प्रति आत्मसमर्पण किया। बाबुल के राजा ने उसे बन्दी बनाया। यह नबूकदनेजर के राज्यकाल का आठवाँ वर्ष था। वह प्रभु के मंदिर और राजमहल की सब बहुमूल्य वस्तुएँ उठा बारहवाँ सप्ताह - बृहस्पतिवार 443 कर ले गया, जैसा कि प्रभु ने पहले से कहा था। उसने सोने की वह सब सामग्री तोड़ डाली जिसे इस्राएल के राजा सुलेमान ने प्रभु के मंदिर के लिए बनवाया था। वह येरुसालेम के सब पदाधिकारियों और सैनिकों को कुल मिला कर दस हजार लोगों को सब कारीगरों और लोहारों के साथ बन्दी बना कर ले गया। देश में केवल दरिद्र जनता रह गयी। वह यहोयाकीन को बाबुल ले गया। वह राजा की माता को, उसकी पत्नियों, खोजों और देश के प्रतिष्ठित लोगों को भी येरुसालेम से बाबुल ले गया। सात हजार सैनिक, एक हजार कारीगर और लोहार - जितने भी लोग युद्ध के योग्य थे सब बाबुल के राजा द्वारा निर्वासित किये गये। बाबुल के राजा ने यहोयाकीन के स्थान पर उसके चाचा मत्तन्या को राजा के रूप में नियुक्त किया और उसका नाम बदल कर सिदकीया रखा।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 78:1-5,8-9

अनुवाक्य : हे प्रभु ! अपने नाम की महिमा के हेतु हमारी सहायता कर।

1. हे प्रभु ! गैरयहूदी तेरी प्रजा के देश में घुस आये हैं। उन्होंने तेरा पवित्र मंदिर दूषित किया, येरुसालेम को खंडहरों का ढेर बना दिया और तेरे सेवकों के शव तथा तेरे भक्तों का मांस आकाश के पक्षियों तथा पृथ्वी के पशुओं के भोजन के लिए छोड़ दिया है।

2. उन्होंने येरुसालेम में रक्त पानी की तरह बहाया है। मृतकों को दफ़नाने के लिए कोई नहीं रहा। हमारे पड़ोसी हम पर ताना मारते हैं, हमारे आसपास रहने वाले हमारा उपहास करते हैं। हे प्रभु ! क्या तू सदा के लिए हम पर अप्रसन्न रहेगा? तेरा क्रोध कब तक अग्नि की तरह जलता रहेगा?

3. हमारे पूर्वजों के पापों के कारण हम पर अप्रसन्न न हो। शीघ्र ही हम पर दया कर, क्योंकि हम घोर संकट में पड़े हैं।

4. हे ईश्वर ! हमारे मुक्तिदाता ! अपने नाम की महिमा के हेतु हमारी सहायता कर। हे प्रभु ! अपने नाम के हेतु हमारे पाप क्षमा कर।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे।" अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 7:21-29

चट्टान पर और बालू पर बनाये घर।

प्रभु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "जो लोग 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कह कर मुझे पुकारते हैं, उन में से सब के सब स्वर्गराज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही स्वर्गराज्य में प्रवेश करेगा। उस दिन बहुत-से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु ! क्या हमने आपका नाम ले कर भविष्यवाणी नहीं की? आपका नाम ले कर अपदूतों को नहीं निकाला? आपका नाम ले कर बहुत-से चमत्कार नहीं दिखाये?' तब मैं उन्हें साफ-साफ बता दूँगा, 'मैंने तुम लोगों को कभी नहीं जाना। रे कुकर्मियो ! मुझ से दूर हटो'।" "जो मेरी ये बातें सुनता और उन पर चलता है, वह उस समझदार मनुष्य के सदृश है, जिसने चट्टान पर अपना घर बनवाया। पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। तब भी वह घर नहीं ढहा, क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गयी थी। "जो मेरी ये बातें सुनता है, किन्तु उन पर नहीं चलता, वह उस मूर्ख के सदृश है, जिसने बालू पर अपना घर बनवाया। पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। वह घर ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया।" जब येसु का यह उपदेश समाप्त हुआ, तो लोग उनकी शिक्षा पर बड़े अचम्भे में पड़ गये; क्योंकि वह उनके शास्त्रियों की तरह नहीं, बल्कि अधिकार के साथ शिक्षा देते थे।

प्रभु का सुसमाचार।