वर्ष का तेरहवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 2

पहला पाठ

नबी आमोस का ग्रन्थ 5:14-15,21-24

"मैं तुम्हारी सारंगियों की आवाज सुनना नहीं चाहता। धार्मिकता कभी न सूखने वाली धारा की तरह बहती रहे।"

बुराई की नहीं, बल्कि भलाई की खोज में लगे रहो। इस प्रकार तुम्हें जीवन प्राप्त होगा और विश्वमंडल का प्रभु-ईश्वर तुम्हारे साथ होगा, जैसा कि तुम उसके विषय में कहते हो। बुराई से बैर करो, भलाई से प्रेम रखो और अदालत में न्याय बनाये रखो। तब हो सकता है कि विश्वमंडल का प्रभु-ईश्वर योसेफ के बचे हुए लोगों पर दया करे। मैं तुम्हारे पर्वों से बैर और घृणा करता हूँ। तुम्हारे धार्मिक समारोह मुझे नहीं सुहाते। मैं तुम्हारे होम और नैवेद्य स्वीकार नहीं करता और तुम्हारे द्वारा चढ़ाये हुए मोटे पशुओं के शांति-बलिदानों की ओर नहीं देखता। अपने गीतों का कोलाहल मुझ से दूर करो। मैं तुम्हारी सारंगियों की आवाज सुनना नहीं चाहता। न्याय नदी की तरह बहता रहे और धार्मिकता कभी न सूखने वाली धारा की तरह।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 49:7-13,16-17

अनुवाक्य : सदाचारी ही ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।

1. हे मेरी प्रजा इस्राएल ! मैं बोलूँगा और तुम्हारे विरुद्ध साक्ष्य दूंगा; क्योंकि मैं ईश्वर– तुम्हारा ईश्वर हूँ।

2. मैं यज्ञों के कारण तुम पर दोष नहीं लगाता - तुम्हारे बलिदान तो सदा मेरे सामने हैं। मुझे न तो तुम्हारे घरों के साँड़ चाहिए और न तुम्हारे बाड़ों के बकरे ही।

3. क्योंकि जंगल के सभी जानवर मेरे हैं और मेरे पहाड़ों पर चरने वाले हजारों चौपाये भी। मैं आकाश के सभी पक्षियों को जानता हूँ। मैदानों में बिचरने वाले सभी पशु मेरे ही हैं।

4. यदि मैं भूखा भी होता, तो मैं तुम से नहीं कहता, क्योंकि पृथ्वी और उसकी सभी चीजें मेरी ही हैं। क्या तुम समझते हो कि मैं साँड़ों का मांस खाता अथवा बकरों का रक्त पीता हूँ।

5. तुम मेरी संहिता का तिरस्कार करते और मेरी बातों पर ध्यान नहीं देते हो, तो तुम मेरी आज्ञाओं का पाठ और मेरे विधान की चर्चा क्यों करते हो?

जयघोष

अल्लेलूया ! पिता ने अपनी ही इच्छा से, सत्य की शिक्षा द्वारा, हम को जीवन प्रदान किया, जिससे हम एक प्रकार से उसकी सृष्टि के प्रथम फल बन जायें। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 8:28-34

"क्या आप यहाँ समय से पहले नरकदूतों को सताने आये हैं?"

जब येसु समुद्र के उस पार गदरीनियों के प्रदेश पहुँचे, तो दो अपदूतग्रस्त मनुष्य मकबरों से निकल कर उनके पास आये। वे इतने उग्र थे कि उस रास्ते से कोई भी आ-जा नहीं सकता था। वे चिल्ला कर कहने लगे, "हे ईश्वर के पुत्र ! हम से आप को क्या? क्या आप यहाँ समय से पहले हमें सताने आये हैं?" वहाँ कुछ दूरी पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। अपदूत यह कह कर अनुनय-विनय करने लगे, "यदि आप हम को निकाल ही रहे हैं, तो हमें सूअरों के झुण्ड में भेज दीजिए।" येसु ने उन से कहा, "जाओ।" तब अपदूत उन मनुष्यों से निकल कर सूअरों में जा घुसे और सारा झुण्ड तेजी से ढाल पर से समुद्र में कूद पड़ा और पानी में डूब कर मर गया। सूअर चराने वाले भाग गये और जा कर पूरा समाचार और अपदूतग्रस्तों के साथ जो कुछ हुआ, यह सब उन्होंने नगर में सुनाया। इस पर सारा नगर येसु से मिलने निकला और उन्हें देख कर निवेदन करने लगा कि वह उनके प्रदेश से चले जायें।

प्रभु का सुसमाचार।