वर्ष का चौदहवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 2

📕पहला पाठ

नबी होशेआ का ग्रन्थ 8:4-7,11-13

"इस्त्राएल पवन बोता है, किन्तु वह आँधी लुनेगा।"

प्रभु यह कहता है, "उन्होंने मेरी अनुमति लिये बिना राजाओं का अभिषेक किया। उन्होंने मुझ से परामर्श किये बिना नेताओं को नियुक्त किया। उन्होंने अपने सोने और चाँदी से अपने लिए ऐसी देवमूर्तियाँ बनायीं, जो उनके विनाश का कारण बन जायेंगी।" "हे समारिया ! तुम्हारी बछड़े की देवमूर्ति बीभत्स है। मेरा क्रोध उन लोगों पर भड़क उठा है। वे बहुत समय तक अपने को निर्दोष प्रमाणित नहीं कर सकेंगे।" "क्योंकि वह देवमूर्ति इस्राएल से आयी, किसी कारीगर ने उसे बनाया है। और वह कोई देवता है ही नहीं। समारिया का वह बछड़ा टुकड़े-टुकड़े कर दिया जायेगा।" "इस्राएल पवन बोता है; किन्तु वह आँधी लुनेगा। वह उस डंठल के सदृश है जिस में बाल नहीं लगती और गेहूँ पैदा नहीं होता। यदि उस में गेहूँ भी होता, तो विदेशी उसे खा जाते।" "एफ्राईम ने अपनी वेदियों की संख्या बढ़ायी, किन्तु वे उसके लिए पाप का कारण बन गयीं। मैंने उसे बहुत-से नियम लिख कर दिये हैं, किन्तु उसने उन्हें किसी अपरिचित के नियम माना है। वे अपनी ही इच्छा के अनुसार बलि चढ़ाते हैं और बलिपशु का मांस खाते हैं, किन्तु प्रभु उन्हें स्वीकार नहीं करता। वह उनके अपराध याद करता है और उन्हें पापों का दण्ड देता है। वे फिर मिस्र देश जायेंगे।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 118:3-10

अनुवाक्य : इस्त्राएल के पुत्र प्रभु पर भरोसा रखते हैं।

1. हमारा ईश्वर सर्वशक्तिमान है, वह स्वर्ग में विराजमान है। उन लोगों की देवमूर्तियाँ चाँदी और सोने की हैं, वे मनुष्यों द्वारा बनायी गयी हैं।

2. उनके मुख तो हैं, किन्तु वे बोलती नहीं; आँखें हैं, किन्तु वे देखती नहीं; उनके कान हैं, किन्तु वे सुनती नहीं; नाक है, किन्तु वे सूँघती नहीं।

3. उनके हाथ हैं, किन्तु वे छूती नहीं; पैर हैं, किन्तु वे चलती नहीं। जो उन्हें बनाते हैं, वे उन्हीं की तरह बन जायेंगे और वे सब भी जो उन पर भरोसा रखते हैं।

4. इस्राएल के पुत्र प्रभु पर भरोसा रखते हैं, वही उनकी सहायता तथा रक्षा करता है। हारून की सन्तति प्रभु पर भरोसा रखती है, वही उनकी सहायता तथा रक्षा करता है।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "भला गड़ेरिया मैं हूँ। मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं।" अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:32-38

"फ़सल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं।"

लोग एक गूँगे अपदूतग्रस्त मनुष्य को येसु के पास ले आये। येसु ने अपदूत को निकाला और वह गूँगा बोलने लंगा। लोग अचंभे में पड़ कर कहने लगे, "इस्राएल में ऐसा चमत्कार कभी नहीं देखा गया है।" परन्तु फ़रीसी कहते थे, "यह नरकदूतों *के नायक की सहायता से अपदूतों को निकालता है।" येसु सभागृहों में शिक्षा देते, राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते, हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करते हुए, सब नगरों और गाँवों में घूमते रहते थे। लोगों को देख कर येसु को उन पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके-माँदे पड़े हुए थे। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "फसल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं। इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।"

प्रभु का सुसमाचार।