वर्ष का पन्द्रहवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 2

पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रन्थ 1:11-17

"शुद्ध हो जाओ। अपने कुकर्म मेरी आँखों के सामने से दूर करो।"

प्रभु यह कहता है, "तुम्हारे असंख्य बलिदानों से मुझ को क्या? मैं तुम्हारे मेढ़ों और बछड़ों की चरबी से ऊब गया हूँ। मैं साँड़ों, मेमनों और बकरों का रक्त नहीं चाहता। जब तुम मेरे दर्शन करने आते हो, तो कौन तुम से यह सब माँगता है? तुम मेरे प्रांगण फिर नहीं रौंदना। मेरे पास व्यर्थ का चढ़ावा लिये फिर नहीं आना। तुम्हारे लोबान से मुझे घृणा हो गयी है।" "अमावस, विश्राम-दिवस और तुम्हारी धर्मसभाएँ-इन सब समारोहों में अन्याय होता है और मैं उसे सहन नहीं करता। तुम्हारे अमावस और अन्य पर्वों से मुझे घृणा हो गयी है ये मेरे लिए असह्य भार बन गये हैं।" "जब तुम अपने हाथ फैलाते हो, तो मैं तुम्हारी ओर से आँख फेर लेता हूँ। मैं तुम्हारी असंख्य प्रार्थनाओं को अनसुना कर देता हूँ। तुम्हारे हाथ रक्त से रंगे हुए हैं। स्नान करो, शुद्ध हो जाओ। अपने कुकर्म मेरी आँखों के सामने से दूर करो। पाप करना छोड़ दो; भलाई करना सीखो। न्याय के अनुसार आचरण करो, पद्दलितों को सहायता दो, अनाथों को न्याय दिलाओ और विधवाओं की रक्षा करो।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 49:8-9,16-17,21,23

अनुवाक्य : सदाचारी ही ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।

1. मैं यज्ञों के कारण तुम पर दोष नहीं लगाता - तुम्हारे बलिदान तो सदा मेरे सामने हैं। मुझे न तो तुम्हारे घरों के साँड़ चाहिए और न तुम्हारे बाड़ों के बकरे ही।

2. तुम मेरी संहिता का तिरस्कार करते और मेरी बातों पर ध्यान नहीं देते हो, तो तुम मेरी आज्ञाओं का पाठ और मेरे विधान की चरचा क्यों करते हो?

3. तुम यह सब करते हो और मैं चुप रहूँ? क्या तुम मुझे अपने जैसा समझते हो? जो धन्यवाद का बलिदान चढ़ाता है, वही मेरा सम्मान करता है। सदाचारी ही ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं - स्वर्गराज्य उन्हीं का है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:34-11:1

"मैं शांति नहीं, बल्कि तलवार ले कर आया हूँ।"

येसु ने अपने प्रेरितों से यह कहा, "यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर शांति ले कर आया हूँ। शांति नहीं, बल्कि तलवार ले कर आया हूँ। मैं पुत्र और पिता में, पुत्री और माता में, बहू और सास में फूट डालने आया हूँ। मनुष्य के घर वाले ही उसके शत्रु बन जायेंगे।" "जो अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं। जो अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं। जो अपना क्रूस उठा कर मेरा अनुसरण नहीं करता, वह मेरे योग्य नहीं। जिसने अपना जीवन सुरक्षित रखा है, वह उसे खो देगा और जिसने मेरे कारण अपना जीवन खो दिया है, वह उसे सुरक्षित रख सकेगा।" "जो तुम्हारा स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है। जो नबी का इसलिए स्वागत करता है कि वह नबी है, वह नबी का पुरस्कार पायेगा और जो धर्मी का इसलिए स्वागत करता है कि वह धर्मी है, वह धर्मी का पुरस्कार पायेगा।" "जो कोई इन छोटों में से किसी को एक प्याला ठंढा पानी भर इसलिए पिला दे कि वह मेरा शिष्य है, तो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि वह अपने पुरस्कार से वंचित नहीं रहेगा।" अपने बारह शिष्यों को ये अनुदेश देने के बाद येसु यहूदियों के नगरों में शिक्षा देने और सुसमाचार का प्रचार करने वहाँ से चल दिये।

प्रभु का सुसमाचार।