प्रभु यह कहता है - धिक्कार है अस्सूर को ! वह मेरे क्रोधं की छड़ी है, मेरे कोप का डण्डा है। मैंने उसे एक विधर्मी देश के विरुद्ध भेजा था। जिस राष्ट्र पर मेरा क्रोध भड़क उठा था, उसे लूटने और उजाड़ने, उसे कूड़े की तरह रौंदने के लिए मैंने अस्सूर को भेजा था। किन्तु उसने ऐसा विचार नहीं किया और मनमानी की है। उसने सर्वनाश करना चाहा और असंख्य राष्ट्रों को मिटा देना चाहा। अस्सूर ने यह कहा, "मैंने अपनी शक्ति, अपनी बुद्धि और अपनी चतुराई से ऐसा किया है। मैंने राष्ट्रों के सीमान्त मिटाये, उनकी सम्पत्ति लूटी और राजाओं को बलपूर्वक उनके सिंहासनों से गिरा दिया। जिस तरह लोग परित्यक्त नीड़ में से अण्डे निकालते हैं, उसी तरह मैंने राष्ट्रों की सम्पत्ति हथिया ली है। मैंने सारी पृथ्वी को अपने अधिकार में किया। किसी ने पंख तक नहीं फड़फड़ाया या चोंच खोल कर चीं-चीं तक नहीं की।" क्या कुल्हाड़ी अपने चलाने वाले के सामने डींग मारती है? क्या आरा अपने को आराकश से बड़ा मानता है? क्या डण्डा अपने चलाने वाले को चला सकता है या लाठी उसे उठा सकती है, जो लकड़ी नहीं है? इसलिए विश्वमंडल का प्रभु-ईश्वर अस्सूर के हृष्ट-पुष्ट लोगों में रोग भेजेगा और ज्वर, प्रज्वलित अग्नि की तरह, उनका शरीर गलायेगा।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु ने अपनी प्रजा को नहीं त्यागा।
1. हे प्रभु! वे तेरी प्रजा को पीसते और अपने लोगों पर अत्याचार करते हैं। वे विधवाओं तथा परदेशियों को मार देते और अनाथ बच्चों का वध करते हैं।
2. वे यह भी कहते हैं, "प्रभु कुछ भी नहीं देखता, याकूब के ईश्वर को इसका पता भी नहीं चलता।" रे निर्बुद्धियो ! सावधान रहो ! रे मूर्खा ! तुम लोगों को कब होश आयेगा?
3. जिसने कान बनाया, क्या वह नहीं सुनता? जिसने आँख बनायी, क्या वह नहीं देखता? जो राष्ट्रों का शासन करता है, क्या वह दण्ड नहीं देगा? जो मनुष्यों को शिक्षा देता है, क्या वह नहीं जानता?
4. प्रभु ने अपनी प्रजा को नहीं त्यागा, उसने अपने लोगों को नहीं छोड़ा। धर्मियों को फिर न्याय. दिलाया जायेगा और सभी सच्चरित्र उसका समर्थन करेंगे।
अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया।
येसु ने यह कहा, "हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा कर निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। हाँ, पिता ! यही तुझे अच्छा लगा। मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। पिता को छोड़ कर कोई भी पुत्र को नहीं जानता। इसी तरह पिता को कोई भी नहीं जानता, केवल पुत्र जानता है और वही, जिसके लिए पुत्र उसे प्रकट करने की कृपा करे।"
प्रभु का सुसमाचार।